हैहय राजवंश
हैहय राजवंश मध्य और पश्चिमी भारत में चन्द्रवंशी यदुकुल की प्रमुख शाखा थी जिसे हैहयवंश के क्षत्रियो के नाम से जाना जाता था। इस राजवंश की स्थापना राजा यदु के बड़े पुत्र सहस्त्रजीत के 2वे वंशधर महाराज हैहय ने की थी जो की पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु और भगवती लक्ष्मी के मानस पुत्र एवं हयग्रीव के अवतार एकवीर थे। सम्राट माहिष्मान ने इस वंश की राजधानी माहिष्मति।
इतिहास[संपादित करें]
इस राजवंश के सबसे पराक्रमी सम्राट कार्तवीर्य अर्जुन थे जो की स्वयं भगवान सुदर्शन चक्र भगवान थे[1] जिनका उल्लेख महाभारत में भी है। पुराणों ने अनुसार भगवान विष्णु के मानस प्रपोत्र और सुदर्शन चक्र के मूलावतार थे। महाभारत के अनुसार वो पृथ्वी के सम्राट थे और उनके अधिकृत आर्यव्रत के 21 क्षत्रिय राजा थे। [2][3][4] श्रीमद्भागवत महापुराण के नवम स्कंध में इस वंश के अधिपति के रूप में अर्जुन का उल्लेख किया गया है।[5] पुराणों में हैहय वंश का इतिहास चंद्रदेव की तेईसवी पीढ़ी में उत्पन्न वीतिहोत्र के समय तक पाया जाता है। श्रीमद्भागवत के अनुसार ब्रह्मा की बारहवी पीढ़ी में हैहय का जन्म हुआ। हरिवंश पुराण के अनुसार ग्यारहवी पीढ़ी में हैहय तीन भाई थे जिनमें हैहय सबसे छोटे भाई थे। हैहय के शेष दो भाई-महाहय एवं वेणुहय थे जिन्होंने अपने-अपने नये वंशो की परंपरा स्थापित की। हैहयवंश के सर्वाधिक सम्माननिय राजा सहस्त्रार्जुन जी महाराज हैं । जिनके विषय मे रामायण के लंका कांड में हनुमान रावण संवाद और अंगद रावण संवाद में उल्लेख है कि उन्होंने रावण के साथ युद्ध मे रावण को परास्त किया था । सहस्रजीत यदु का सबसे बड़ा पुत्र था, जिसके वंशज हैहयस थे।
वंशज[संपादित करें]
भगवान कार्तवीर्य अर्जुन के वैकुंठ प्रस्थान के बाद जब हैहय साम्राज्य बिखर गया तो उनके पुत्र तल्जंघा और उनके पौत्र वितिहोत्र ने रघुवंशियों को हरा दुबारा अयोध्या पर कब्जा कर लिया था। तालजंघ के पुत्र वितीहोत्र को राजा सगर ने मार डाला था। उनके वंशज विदर्भ के वितीहोत्र यानी कलचूरि राजवंश के क्षत्रिय हुए। वितिहोत्र की हत्या के बाद महिष्मति के सम्राट, कार्तवीर्य अर्जुन के पुत्र एवं परशुराम के शिष्य मधु बने जिनके पुत्र वृष्णी ने कई जनपद जिते, वृषणी के वंश का नाम सुक्तिमती के चेदी-चन्देल हुआ जिनके वंशज चन्देल राजवंश के क्षत्रिय हुए।
शासकों की सूची-[संपादित करें]
- सहस्रजित
- सतजीत
- महाउपाय, रेणुहाया और हैहय्या (हैहय साम्राज्य के संस्थापक)। (सूर्यवंशी राजा मंधात्री से समकालीन)
- धर्म हैहय का पुत्र था।
- नेत्रा
- कुंती
- सूजी
- महिष्मान
(नर्मदा नदी के तट पर महिष्मती के संस्थापक थे।)
(सूर्यवंशी राजा त्रिशंकु से समकालीन)
(सूर्यवंशी राजा हरिश्चंद्र के लिए समकालीन)
(सूर्यवंशी राजा रोहिताश्व के समकालीन)
- अर्जुन (सहस्रबाहु कार्तवीर्य अर्जुन) कृतवीर के पुत्र थे और अंत में भगवान परशुराम द्वारा मार डाला गया।
- जयध्वज, वृषभ, मधु और उरुजित परशुराम द्वारा छोड़ दिए गए थे और ९९ ५ अन्य लोग भगवान परशुराम द्वारा मारे गए थे।
- तालजंघ
(सूर्यवंशी राजा असिता के समकालीन)
(सूर्यवंशी राजा सगर के समकालीन)
सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ Sharma, H. (2010). Upanishadon Ki Kathayen (स्पेनिश में). Vidyā Vihāra. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-88140-98-5. अभिगमन तिथि २८ मार्च २०२०.
- ↑ Nath, Moti Lal (1989). The Upper Chambal Basin: A Geographical Study in Rural Settlements (अंग्रेज़ी में). Northern Book Centre. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-85119-59-5.
- ↑ Rigopoulos, Antonio (1998-01-01). Dattatreya: The Immortal Guru, Yogin, and Avatara: A Study of the Transformative and Inclusive Character of a Multi-faceted Hindu Deity (अंग्रेज़ी में). State University of New York Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-4384-1733-2.
- ↑ J.P. Mittal (2006). History Of Ancient India (a New Version) : From 7300 Bb To 4250 Bc,. Atlantic Publishers & Dist. पपृ॰ 143–. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-269-0615-4. मूल से 15 दिसंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 दिसंबर 2017.
- ↑ "नवम स्कंध". श्रीमद्भागवत महापुराण (द्वितीय खंड) (८६ वाँ संस्करण). गीता प्रेस. २०१५ (संवत २०७२). पपृ॰ ७७.
|date=
में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)