राईआगर
राईआगर | |||||||
— कस्बा — | |||||||
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |||||||
देश | ![]() | ||||||
राज्य | उत्तराखण्ड | ||||||
ज़िला | [[ज़िला|]] | ||||||
विभिन्न कोड
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निर्देशांक: 29°44′23″N 80°02′51″E / 29.7395914°N 80.0474005°E राईआगर या रायागर उत्तराखण्ड राज्य के पिथौरागढ़ जनपद में स्थित एक छोटा सा कस्बा तथा बाजार है। बेरीनाग तहसील मुख्यालय से लगभग ५ किलोमीटर की दूरी पर स्थित राईआगर प्रमुखतः अपने तिराहे के लिए जाना जाता है, जहां से एक मार्ग गंगोलीहाट-पाताल भुवनेश्वर की ओर, दूसरा सेराघाट-अल्मोड़ा की ओर, तथा तीसरा बेरीनाग-उडियारी की ओर जाता है। तिराहे से कुछ १०० मीटर आगे एक अन्य मार्ग भी निकलता है, जो चौड़मन्या कस्बे तक जाता है।
१८३८ में ब्रिटिश कप्तान एच ड्रमंड ने यहाँ परित्यक्त लौह खदानें ढूंढ निकाली थी।[1] प्राचीन काल मे इसी क्षेत्र में तांबे की खानें होने का भी उल्लेख मिलता है।[2] इसी से कयास लगाए जाते रहे हैं कि अंग्रेजों के आगमन से पूर्व यह स्थल कुमाऊँ के गिने-चुने उत्खनन स्थलों में से एक रहा होगा। कस्बे में एक औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई),[3] तथा एक राजकीय इंटर कॉलेज है, जिसमें लगभग ५०० छात्र पढ़ते हैं।[4] एक समय चौड़मन्या से पिथौरागढ़ के लिए रोडवेज की एक बस चलती थी, जो राईआगर में रुकती थी; यह पिछले कई वर्षों से बंद है।[5] वर्तमान में क्षेत्र की परिवहन व्यवस्था केमू की कुछ बसों तथा टैक्सियों पर निर्भर है।
सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ Reedy, Chandra L. (1997). Himalayan Bronzes: Technology, Style, and Choices (अंग्रेज़ी में). London: Associated University Presse. पृ॰ 102. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780874135701.
- ↑ "कुमाऊं में विकसित हुई थी ताम्र युगीन संस्कृति". Amar Ujala. अभिगमन तिथि 1 जून 2018.
- ↑ "राईआगर में शुरू हुआ आईटीआई". Amar Ujala. मूल से 22 दिसंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 जून 2018.
- ↑ "जीआईसी राईआगर में भी शिक्षकों की कमी". Amar Ujala. मूल से 8 मई 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 जून 2018.
- ↑ "परिवहन निगम के 15 कमाऊ रूट बंद". Amar Ujala. मूल से 19 मई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 जून 2018.