पाताल भुवनेश्वर
पाताल भुवनेश्वर चूना पत्थर की एक प्राकृतिक गुफा है, जो उत्तराखण्ड के पिथौरागढ़ जिले में गंगोलीहाट नगर से १४ किमी दूरी पर स्थित है। इस गुफा में धार्मिक तथा ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कई प्राकृतिक कलाकृतियां स्थित हैं। यह गुफा भूमि से ९० फ़ीट नीचे है, तथा लगभग १६० वर्ग मीटर क्षेत्र में विस्तृत है।
इस गुफा की खोज राजा ऋतुपर्णा ने की थी, जो सूर्य वंश के राजा थे और त्रेता युग में अयोध्या पर शासन करते थे।[1] स्कंदपुराण में वर्णन है कि स्वयं महादेव शिव पाताल भुवनेश्वर में विराजमान रहते हैं और अन्य देवी देवता उनकी स्तुति करने यहां आते हैं। यह भी वर्णन है कि राजा ऋतुपर्ण जब एक जंगली हिरण का पीछा करते हुए इस गुफा में प्रविष्ट हुए तो उन्होंने इस गुफा के भीतर महादेव शिव सहित ३३ कोटि देवताओं के साक्षात दर्शन किये थे। द्वापर युग में पाण्डवों ने यहां चौपड़ खेला और कलयुग में जगदगुरु आदि शंकराचार्य का ८२२ ई के आसपास इस गुफा से साक्षात्कार हुआ तो उन्होंने यहां तांबे का एक शिवलिंग स्थापित किया।[2]
गुफा के अंदर जाने के लिए लोहे की जंजीरों का सहारा लेना पड़ता है यह गुफा पत्थरों से बनी हुई है इसकी दीवारों से पानी रिस्ता रहता है जिसके कारण यहां के जाने का रास्ता बेहद चिकना है। गुफा में शेष नाग के आकर का पत्थर है उन्हें देखकर एेसा लगता है जैसे उन्होंने पृथ्वी को पकड़ रखा है। इस गुफा की सबसे खास बात तो यह है कि यहां एक शिवलिंग है जो लगातार बढ़ रहा है। वर्तमान में शिवलिंग की ऊंचाई 1.50 feet है और शिवलिंग को छूने की लंबाई तीन feet है यहां शिवलिंग को लेकर यह मान्यता है कि जब यह शिवलिंग गुफा की छत को छू लेगा, तब दुनिया खत्म हो जाएगी। संकरे रास्ते से होते हुए इस गुफा में प्रवेश किया जा सकता है।[3]
कुछ मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने क्रोध के आवेश में गजानन का जो मस्तक शरीर से अलग किया था, वह उन्होंने इस गुफा में रखा था। दीवारों पर हंस बने हुए हैं जिसके बारे में ये माना जाता है कि यह ब्रह्मा जी का हंस है। गुफा के अंदर एक हवन कुंड भी है। इस कुंड के बारे में कहा जाता है कि इसमें जनमेजय ने नाग यज्ञ किया था जिसमें सभी सांप जलकर भस्म हो गए थे।[4] इस गुफा में एक हजार पैर वाला हाथी भी बना हुआ है।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "इस गुफा में जाने से मिलेगा चार धामों का पुण्य". देहरादून: अमर उजाला. ६ नवम्बर २०१३. मूल से 30 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ३० जून २०१८.
- ↑ "पाताल भुवनेश्वर गुफा: ३३ कोटि देवी-देवता यहां करने आते हैं भगवान शिव के दर्शन". पंजाब केसरी. १२ मार्च २०१८. मूल से 30 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ३० जून २०१८.
- ↑ सिंह, प्रिया (११ मार्च २०१८). "रहस्यमई है ये गुफा, शिवलिंग से मिलता है दुनिया के खत्म होने का संकेत". नई दिल्ली: पत्रिका. मूल से 30 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ३० जून २०१८.
- ↑ "इस रहस्मयी गुफा में सभी देवी-देवता घंटियां बजकर करते हैं महादेव की आराधना". लाइव टुडे.
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- पाताल भुवनेश्वर - पिथौरागढ़ जनपद के आधिकारिक जालस्थल पर[मृत कड़ियाँ]
- उत्तराखण्द की प्राकृतिक धरोहर - पाताल भुवनेश्वर
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