मुण्डा भाषाएँ
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मुण्डा भाषाएँ | |
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भौगोलिक विस्तार: |
भारत, बांग्लादेश |
भाषा श्रेणीकरण: |
ऑस्ट्रो-एशियाई
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उपश्रेणियाँ: |
खेरवारी (उत्तर)
कोरकू (उत्तर)
कोरापुट (रेमो, सवारा)
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आइसो ६३९-२ व ६३९-५: | mun |
![]() भारत में मुण्डा भाषाओं का विस्तार |
मुण्डा एक भाषापरिवार है जिसे भारत तथा बांग्लादेश के लगभग १ करोड़ लोग बोलते हैं। यह ऑस्ट्रो-एशियाई भाषा-परिवार की एक शाखा है। इसका अर्थ है कि मुण्डा भाषा वियतनामी भाषा और खमेर भाषा से सम्बंधित है। भूमिज, हो, मुण्डारी और सन्ताली इस भाषासमूह की मुख्य भाषाएँ हैं।[1][2] भारत में मुण्डा के अलावा ऑस्ट्रो-एशियाई परिवार की दो अन्य शाखाएँ मिलती हैं: निकोबारी भाषाएँ तथा खसिक भाषाएँ।
इतिहास[संपादित करें]
भाषाविद, पॉल सिडवेल (2018) के अनुसार, प्रोटो-मुंडा भाषा शायद ऑस्ट्रोएशियाटिक से अलग हो गई है जो दक्षिणी चीन या दक्षिण पूर्व एशिया से लगभग 4000-3500 साल पहले पूर्वी भारत में आइ है।[3]
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ Pinnow, Heinz-Jurgen. "A comparative study of the verb in Munda language" (PDF). Sealang.com. मूल (PDF) से 21 अक्तूबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 March 2015.
- ↑ Daladier, Anne. "Kinship and Spirit Terms Renewed as Classifiers of "Animate" Nouns and Their Reduced Combining Forms in Austroasiatic". http://elanguage.net. Elanguage. मूल से 27 नवंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 March 2015.
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में बाहरी कड़ी (मदद) - ↑ Sidwell, Paul. 2018. Austroasiatic Studies: state of the art in 2018 Archived 2019-05-03 at the Wayback Machine. Presentation at the Graduate Institute of Linguistics, National Tsing Hua University, Taiwan, May 22, 2018.