बड़े पुरुष दरगाह

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दरगाह बड़े पुरुष बाबा दिकौली शरीफ़
हजरत अमीर नसरुल्लाह उर्फ बड़े पुरुष का मजार
धर्म संबंधी जानकारी
सम्बद्धताIslam
प्रोविंसउत्तर प्रदेश
देवताहजरत अमीर नसरुल्लाह उर्फ बड़े पुरुष या बुधवा बाबा
चर्च या संगठनात्मक स्थितिShrine
वर्तमान स्थितिसक्रीय
अवस्थिति जानकारी
अवस्थितिदिकौली गाँव, पिपरी, श्रावस्ती जिला, उत्तर प्रदेश, 271804
ज़िलाश्रावस्ती
राज्यउत्तर प्रदेश
देशभारत
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वास्तु विवरण
प्रकारमस्जिद, दरगाह
शैलीआधुनिक

दरगाह बड़े पुरुष बाबा दिकौली शरीफ़ या बड़े पुरुष दरगाह बहराइच के पास उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले के दिकौली गाँव में स्थित एक दरगाह है।[1] यह हज़रत अमीर नसरूल्लाह या नसरुल्लाह शाह या हज़रत सैय्यद नसरुल्लाह गाज़ी या मीर नसरुल्लाह की दरगाह है, जिन्हें बड़े पुरुष या बड़े पुरुख[1] के नाम से जाना जाता है।[2] बड़े पुरुष मुसलमानों और हिंदुओं दोनों के द्वारा पूजे जाते हैं।[3]

विभिन्न स्रोतों ने उन्हें सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी के चाचा (बड़े वालिद या ताऊ) बताया हैं। वह गाजी सैय्यद सालार मसूद की सेना में एक सेनापति थे। उनकी मृत्यु (1034 CE) दिकौली गाँव में हुई, जहाँ बहराइच - भिंगा मार्ग पर पंद्रह किलोमीटर की दूरी पर उनकी कब्र स्थित है।[1][4][5][6] बड़ी संख्या में हिंदू और मुसलमान बड़े पुरुष के मकबरे पर ज़ियारत करते हैं।[3]

मेला[संपादित करें]

बड़े पुरुष में पूरे जेठ महीने में वार्षिक मेला लगता है। गोण्डा, बिहार, सिद्धार्थ नगर, बस्ती, गोरखपुर, अंबेडकर नगर, प्रतापगढ़, इलाहाबाद और पड़ोसी देश नेपाल सहित देश के कोने-कोने से तीर्थयात्री यहां आते हैं। तीर्थयात्री ढोल मजीरा के साथ संगीत का प्रदर्शन करते हुए बड़े पुरुष के मजार पर पहुंचते हैं और अगरबत्ती, कपूर, इत्र के साथ पूजा करते हैं और चादर और सिन्नी चढ़ाते हैं।[7][8][3][9]

पुरानी परंपरा के अनुसार बहराइच के गाजी सालार मसूद की मजार पर जाने से पहले तीर्थयात्री बड़े पुरुष की मजार पर मत्था टेकते हैं।[10]

अभिगम्यता[संपादित करें]

दरगाह श्रावस्ती के जिला मुख्यालय से लगभग 22 किमी की दूरी पर स्थित है। यह बहराइच से 15 किमी दूर है।[1]

अन्य स्रोत[संपादित करें]

कुमार सुरेश सिंह ने एंथ्रोपोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा प्रकाशित अपनी सर्वेक्षण पुस्तक, पीपुल ऑफ इंडिया : उत्तर प्रदेश, खंड 3 में बड़े पुरुख को गाजी मियां (सालार मसूद) के आध्यात्मिक मार्गदर्शक के रूप में वर्णित किया है।[11]

फोटो गैलरी[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "जायरीन से गुलजार हुई दिकौली दरगाह" (Hindi में). दैनिक जागरण. June 1, 2013.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  2. Islam in India, Volume 4. Vikas Publishing House (Vidyajyoti Institute of Religious Studies. Islamic Section). 1989. पृ॰ 33. are situated graves ot many companions, disciples and devotees of the great Ghazi, including his two commanders (killed in a battle before him) Mir Nasrullah alias Burhwa Baba and Saifuddin Surkhru Salar, as well as his treasurer, Pir Khidr.2 The tombs of Muslim divines of later periods...
  3. "दिकौली दरगाह पर उमड़ा जायरीनों का सैलाब" (Hindi में). दैनिक जागरण. May 4, 2018.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  4. "Hazrat Sayyed Salar Masood Ghazi R.A." Aalequtub.com. अभिगमन तिथि 11 December 2022.
  5. "HAZRAT SAIYYAD SAALAAR MASUD GAAZI ALIAH REHMA". Ahlesunnatkokan.boards.net. अभिगमन तिथि 11 December 2022.
  6. Islam in India - Volume 4. Vikas Publishing House. 1989. पृ॰ 37. अभिगमन तिथि 12 November 2008. Mir Nasrullah's tomb is in village Dikauli at a distance of fifteen kilometres , on the Bahraich - Bhinga road , while Surkhru Salar , killed before him , is buried about a mile away from the dargah , near the Bahraich...
  7. "मजार पर चादर व सिन्नी चढ़ा मांगी दुआ" (Hindi में). दैनिक जागरण. May 19, 2022.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  8. "बड़े पुरुष के मेले में उमड़े लाखों जायरीन" (Hindi में). Amar Ujala. May 19, 2022.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  9. "चादर पोशी के साथ दिकौली दरगाह मेले की हुई शुरुआत" (Hindi में). Amar Ujala. May 24, 2019.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  10. "गंगा-जमुनी तहजीब का प्रतीक दिकौली मेला 23 से" (Hindi में). दैनिक जागरण. May 20, 2019.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  11. K. S. Singh; Baqr Raza Rizvi; J. C. Das (2005). People of India: The Communities: Nai-Yadav. Bio-Anthropological Indormation. Glossary. Select Bibliography. Maps. Index. Anthropological Survey of India. पृ॰ 1106.