दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे
दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे | |
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दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे | |
निर्देशक | आदित्य चोपड़ा |
लेखक |
आदित्य चोपड़ा जावेद सिद्दीकी |
निर्माता | यश चोपड़ा |
अभिनेता |
शाहरुख़ ख़ान काजोल अमरीश पुरी सतीश शाह |
छायाकार | मनमोहन सिंह |
संपादक | केशव नायडू |
संगीतकार | जतिन-ललित |
वितरक | यश राज फ़िल्म्स |
प्रदर्शन तिथियाँ |
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लम्बाई |
189 मिनट |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे 1995 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है, जो डीडीएलजे के नाम से भी प्रसिद्ध है। फिल्म का निर्देशन निर्माता और निर्देशक आदित्य चोपड़ा ने किया है। शाहरुख़ ख़ान, काजोल और अमरीश पुरी फ़िल्म के प्रमुख कलाकारों में थे। फ़िल्म का पहला प्रदर्शन 19 अक्टूबर 1995 को हुआ और 20 अक्टूबर 1995 को इसे पूरे भारत में प्रदर्शित किया गया।
इस फिल्म ने भारत में 58 करोड़ रुपये, जबकि विदेशों में 17.5 करोड़ रुपये की कमाई की थी। विदेशों में यह हिन्दी सिनेमा की सबसे सफल फिल्मों मे से एक मानी जाती है। इस फिल्म का किसी भी सिनेमाघर पर सबसे ज्यादा समय तक चलने का कीर्तिमान है, मार्च 2009 में इसने मुंबई के मराठा मंदिर में 700 सप्ताहों तक चलने का कीर्तिमान बनाया, इससे पहले यह कीर्तिमान शोले के नाम था जो करीब साढ़े पांच सालों तक एक ही सिनेमाघर में चली। अपनी पहले प्रदर्शन के 20 साल बाद, 2019 तक, यह अभी भी मुंबई के मराठा मंदिर सिनेमाघर में दिखाया जा रहा है।
इंडियाटाइम्स मूवीज] पत्रिका ने इसे भारत की "25 फिल्म जरूर देखें" में शामिल किया है। दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे दुनिया के 1000 फिल्में, जिन्हें मरने से पहले जरूर देखें में शामिल है। इस सूची में हिंदी सिनेमा की महज तीन फ़िल्मे शामिल है।
चरित्र
[संपादित करें]मुख्य कलाकार
[संपादित करें]- शाहरुख़ ख़ान - राज मलहोत्रा
- काजोल देवगन - सिमरन सिंह
- अनुपम खेर - धरमवीर महरोत्रा- राज के पिता
- अमरीश पुरी- सिमरन के पिता
दल
[संपादित करें]संगीत
[संपादित करें]दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे फिल्म के एल्बम में सात गानें है जिन्हें जतिन ललित ने संगीत दिया है। जतिन ललित एक संगीतकार जोड़ी है जिसमे दो भाई जतिन और ललित पंडित शामिल हैं। आनंद बख्शी ने गानों के बोल लिखे हैं। जब आशा भोंसले ने उनसे मिलने के बाद यश चोपड़ा से संपर्क किया तो, जतिन ललित को इस फिल्म में संगीत देने का मौका मिला। इस फिल्म के संगीत कर्ण प्रिय हैं। संगीत ने इस फिल्म को अपार सफलता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी.
सभी गीत आनंद बख्शी द्वारा लिखित; सारा संगीत जतिन ललित द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "घर आज परदेसी" | मनप्रीत कौर, पामेला चोपड़ा | ७:२९ |
2. | "हो गया है तुझको" | लता मंगेशकर, उदित नारायण | ५:४९ |
3. | "मेहँदी लगा के रखना" | लता मंगेशकर, उदित नारायण | ४:५० |
4. | "मेरे ख्वाबों में" | लता मंगेशकर | ४:३० |
5. | "रुक जा ओ दिल दीवाने" | उदित नारायण | ५:१४ |
6. | "तुझे देखा तो" | लता मंगेशकर, कुमार सानु | ६:४१ |
7. | "ज़रा सा झूम लूँ मैं" | आशा भोंसले, अभिजीत भट्टाचार्य | ५:५१ |
रोचक तथ्य
[संपादित करें]- आदित्य चोपड़ा फिल्म में टॉम क्रूज़ को हीरो के तौर पर लेना चाहते थे। पहले फिल्म का टाइटल "द ब्रेवहार्ट विल टेक द ब्राइड" था। यश चोपड़ा के कहने पर आदित्य ने शाहरुख़ खान को प्रस्तावित किया।
- आदित्य को शाहरुख़ के साथ चार मीटिंग करनी पड़ी, तब जाकर उन्होंने रोले स्वीकार किया। अगर शाहरुख़ नहीं मानते तो आदित्य की अगली पसंद सैफ़ अली ख़ान थे।
- किरण खेर ने फिल्म का आखिरी टाइटल "दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे" दिया था।
- फिल्म में पहनी शाहरुख़ खान की प्रसिद्द लैदर जैकेट उदय चोपड़ा ने कैलिफ़ोर्निया के बेकर्सफ़ील्ड में हार्ले-डेविडसन के शोरूम से ४०० डॉलर में खरीदी थी।
- काजोल के मंगेतर कुलजीत के रोले के लिए पहले अरमान कोहली से बात की गयी थी। लेकिन ऑडिशन पर परमीत सेठी जूते, जीन्स और वेस्टकोर्ट पेहेन कर आये तो उन्हें चुन लिया गया।
- पहला रिकॉर्ड होने वाला गाना "मेरे ख़्वाबों में जो आये..." था। आदित्य चोपड़ा ने २४ बार आनंद बख्शी से अलद-अलग लाइनें बदलकर ये गाना लिखवाया और फिर समापित किया।
- सुपरहिट गाना "तुझे देखा तो ये जाना सनम..."जिन पीली सरसों के खेत में शूट हुआ है, वो गुड़गांव में था।
नामांकन और पुरस्कार
[संपादित करें]- 1996 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - शाहरुख़ ख़ान
- 1996 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार - काजोल देवगन
- 1996 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता पुरस्कार - अनुपम खेर