क़यामत से क़यामत तक
क़यामत से क़यामत तक | |
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![]() क़यामत से क़यामत तक का पोस्टर | |
निर्देशक | मंसूर खान |
निर्माता | नासिर हुसेन |
लेखक | नासिर हुसेन |
अभिनेता |
आमिर खान जूही चावला दलीप ताहिल आलोक नाथ |
संगीतकार | आनंद मिलिंद |
प्रदर्शन तिथि(याँ) | , 1988 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
कयामत से कयामत तक सन् 1988 की हिन्दी भाषा की प्रेमकहानी फ़िल्म है। इसका निर्देशन मंसूर खान ने किया है और निर्माण उनके चाचा नासिर हुसैन ने किया है। इसमें नासिर के भतीजे और मंसूर के चचेरे भाई आमिर खान और जूही चावला मुख्य भूमिकाओं में हैं। फिल्म आलोचनात्मक प्रशंसा के साथ जारी हुई थी और यह एक बड़ी व्यावसायिक सफलता भी थी। इसने आमिर और जूही को बेहद लोकप्रिय सितारों में बदल दिया था।[1] इसकी कहानी आधुनिक रूप में रची गई दुखद रूमानी कहानियों लैला और मजनू, हीर राँझा और रोमियो और जूलियट पर आधारित है।
क़यामत से क़यामत तक हिंदी सिनेमा के इतिहास में एक मील का पत्थर थी। 1990 के दशक में हिंदी सिनेमा को परिभाषित करने वाली संगीतमय रोमांस फिल्मों की रूपरेखा इसी को माना जाता है। आनंद-मिलिंद द्वारा रचित, फिल्म का साउंडट्रैक समान रूप से सफल और लोकप्रिय था। इसने सर्वश्रेष्ठ मनोरंजन प्रदान करने वाली सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और सर्वश्रेष्ठ फिल्म और सर्वश्रेष्ठ निदेशक सहित ग्यारह नामांकनों से आठ फिल्मफेयर पुरस्कार जीते।
संक्षेप[संपादित करें]
धनकपुर गांव के किसान ठाकुर जसवंत सिंह (आलोक नाथ) और धनराज सिंह (दलीप ताहिल) भाई हैं। उनकी एक छोटी बहन मधुमती है, जिसे अमीर राजपूत परिवार से ठाकुर रघुवीर सिंह के पुत्र रतन सिंह (अर्जुन) ने गर्भवती किया और छोड़ दिया। जसवंत सिंह के अनुरोध करता है कि उसकी बहन की शादी रतन से कर दी जाए लेकिन वो परिवार से इनकार कर देते हैं। साथ ही वह मधु की वर्तमान स्थिति में रतन की भूमिका से भी इंकार कर देते हैं क्योंकि वे अपनी प्रतिष्ठा में रुचि रखते हैं।
अपमानित होकर, जसवंत गांव छोड़ देता है। घटनाओं को सहन करने में असमर्थ, मधुमती आत्महत्या कर लेती है। कुंठाग्रस्त धनराज रतन को उसकी शादी में मार देता है और कैद हो जाता है। दोनों परिवार अब कट्टर दुश्मन हैं। जसवंत दिल्ली चले जाते हैं, अपना कारोबार विकसित करते हैं, और अच्छी स्थिति तक पहुंचते हैं। वह धनराज के बच्चों को भी पालते हैं। सालों बाद, धनराज को जेल से रिहा कर दिया गया है। एक भावनात्मक धनराज अपने बेटे राज (आमिर खान) की कॉलेज विदाई पार्टी में घुस जाता है और देखता है कि उसका बेटा अपने सपनों को पूरा कर रहा है।
राज और उसका चचेरे भाई अपने परिवार के भूमि सौदे को पूरा करने के लिए धनकपुर जाते हैं। घर लौटने पर, राज रघुवीर सिंह की रिश्तेदार रशमी (जूही चावला) को पसंद करने लगता है। राज रश्मी के जन्मदिन की पार्टी में घुस जाता है। दोनों एक छुट्टियों के स्थान पर दोबारा मिलते हैं। वे जंगल में खो जाते हैं और रास्ता खोजने के दौरान प्यार में पड़ जाते हैं। राज रश्मी के परिवार के बारे में जान जाता है लेकिन उसे सच नहीं बता पाता है।
मुख्य कलाकार[संपादित करें]
- आमिर खान - राज
- जूही चावला - रशमी
- दलीप ताहिल - धनराज सिंह
- आलोक नाथ - जसवंत सिंह
- राजेन्द्रनाथ ज़ुत्शी - श्याम
- रीमा लागू - कमला सिंह
- अजीत वाच्छानी
- विजू खोटे
- मकरंद देशपांडे
- शहज़ाद ख़ान
- इमरान ख़ान - छोटा राज
संगीत[संपादित करें]
संगीत आनंद-मिलिंद द्वारा दिया गया है और बोल मजरुह सुल्तानपुरी के हैं। सारे गीत उदित नारायण और अल्का यागनिक द्वारा गाये गए हैं।
क्रम. | गीत | गायक | अवधि |
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1. | "पापा कहते हैं" | उदित नारायण | 05:55 |
2. | "ऐ मेरे हमसफर" | उदित नारायण & अल्का यागनिक | 05:53 |
3. | "अकेले हैं तो क्या गम है" | उदित नारायण, अल्का यागनिक | 05:59 |
4. | "गजब का है दिन" | उदित नारायण, अल्का यागनिक | 04:26 |
5. | "काहे सताए" | अल्का यागनिक | 02:19 |
6. | "पापा कहते हैं" (उदासीन) | उदित नारायण | 04:01 |
गीत "ऐ मेरे हमसफ़र" का पुन:निर्माण मिथून ने 2015 की फिल्म ऑल इज़ वेल के लिए किया था जिसको मिथुन और तुलसी कुमार द्वारा गाया गया था।
परिणाम[संपादित करें]
इस फ़िल्म का 1996 में एक तेलुगू रीमेक भी बना था जो कि पवन कल्याण की पहली फ़िल्म थी।
बौक्स ऑफिस[संपादित करें]
क़यामत से क़यामत तक टिकट खिड़की पर सफल रही थी और 1988 में तेज़ाब और शहँशाह के बाद सबसे बड़ी हिट फ़िल्म थी।
समीक्षाएँ[संपादित करें]
नामांकन और पुरस्कार[संपादित करें]
34वें फिल्मफेयर पुरस्कार में क़यामत से क़यामत तक ने कई पुरस्कार जीते थे।
सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ "आमिर खान की 'क़यामत' के 30 साल , देखिये मज़ेदार video". एनडीटीवी इंडिया. 30 अप्रैल 2018. मूल से 9 मई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 मई 2018.