दियत
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इस्लामी धर्मशास्त्र (फ़िक़्ह ) |
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दियत या दीया (अंग्रेज़ी: Diya (Islam)) अरबी शब्द है अर्थ है वह धन जो किसी अन्य व्यक्ति को मार डालने या अंग-भंग करने के बदले में दिया जाए।[1] इस्लामी कानून में, हत्या, शारीरिक नुकसान या गलती से संपत्ति की क्षति के मामलों में पीड़ित या पीड़ित के उत्तराधिकारियों को दिया जाने वाला वित्तीय मुआवजा है। यह क़िसास[2](समान प्रतिशोध) का एक वैकल्पिक दंड है। अरबी में, शब्द का अर्थ रक्त धन और फिरौती दोनों है। यह केवल तब लागू होता है जब हत्या गलती से की जाती है और दूसरा पीड़ित परिवार को दोषी पक्ष के साथ समझौता करने की स्वतंत्र सहमति होती है; अन्यथा क़िसास) लागू होता है।[3][4]
हदीस में
[संपादित करें]दियत से सम्बंधित कई हदीस है:
इमरान बिन हुसैन- रज़ियल्लाहु अन्हुमा- कहते हैं कि एक आदमी ने दाँत से एक आदमी का हाथ काट लिया। उसने अपना हाथ काटने वाले के मुँह से खींचा, तो उसके सामने के दाँत गिर गए। ऐसे में, दोनों नबी- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के पास निर्णय के लिए आए। आपने फ़रमायाः "कोई अपने भाई को ऐसे दांत से काटता है, जैसे साँड़ काटता है। तुझे कोई दियत नहीं मिलेगी।" [5]
अब्दुल्लाह बिन अब्बास -रज़ियल्लाहु अन्हुमा- से वर्णित है,वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया: “जो क़त्ल किया गया हो, परन्तु उसके क़ातिल का पता न हो, या दो समुदाय के मध्य धनुष-बाण चले हों अथवा पत्थर बाजी हुई हो, या कोड़े चले हों और किसी का वध हो जाए, परन्तु वध करने वाले का पता न चले, तो उसकी दियत भूलवश वध करने की दियत होगी। लेकिन जिसने जान-बूझकर किसी का वध किया, तो उसे स्वयं दियत देनी पड़ेगी। याद रहे कि जो क़ातिल को दियत देने से रोकने रका कारण बना, उसपर अल्लाह की, फ़रिश्तों की तथा तमाम लोगों की लानत है।” सह़ीह़- [इसे इब्ने माजा ने रिवायत किया है।]
हदीस: जो किसी मोमिन को जान-बूझकर क़त्ल करेगा,उसे मृतक के घर वालों के हवाले किया जाएगा। वह चाहें तो उसे क़त्ल कर दें और चाहें तो उससे दियत लें, जो इस प्रकार है : 30 ऐसी ऊँटनियाँ जो तीन साल पूरे करके चौथे साल में प्रवेश कर चुकी हों, 30 ऐसी ऊँटनियाँ जो चार साल पूरे करके पाँचवें साल में प्रवेश कर चुकी हों और 40 गाभिन ऊँटनियाँ। साथ ही दोनों पक्ष के लोग जिसपर सुलह कर लें, वह मृतक के परिजनों के लिए है।
अब्दुल्लाह बिन अम्र -रज़ियल्लाहु अन्हुमा- से वर्णित है कि नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया: “शिब्ह-ए-अमद (वह क़त्ल, जिसे जानबूझ-कर किए गए क़त्ल के समान माना गया है) की दियत क़त्ल-ए-अमद (जान-बूझकर किए गए क़त्ल) की तरह सख़्त है। लेकिन इसमें क़ातिल को क़त्ल नहीं किया जाएगा। उसकी सूरत यह है कि शैतान लोगों को इस तरह बहकाए कि बिना सोचे-समझे रक्तपात हो जाए, जबकि न आपसी द्वेष रहा हो और न हथियार का प्रयोग हुआ हो।”
[ह़सन- इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है।]
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ दियत शब्द के अर्थ | दियत - Hindi meaning | Rekhta Dictionary https://www.rekhtadictionary.com/meaning-of-diyat?lang=hi
- ↑ प्रोफेसर जियाउर्रहमान आज़मी, कुरआन मजीद की इन्साइक्लोपीडिया (20 दिसम्बर 2021). "क़िसास". www.archive.org. पृष्ठ 225.
- ↑ Aaron Spevack (2014), The Archetypal Sunni Scholar: Law, Theology, and Mysticism, SUNY Press, ISBN 978-1438453712, p. 81
- ↑ Tellenbach, Sylvia (2014). The Oxford Handbook of Criminal Law, Oxford University Press. pg. 261
- ↑ अनूदित हदीस-ए-नबवी विश्वकोश, "हदीस: कोई अपने भाई को ऐसे दांत से काटता है, जैसे साँड़ काटता है। तेरे लिए कोई दियत नहीं है।", www.hadeethenc.com