खुम्स
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इस्लामी धर्मशास्त्र (फ़िक़्ह ) |
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खुम्स (अंग्रेज़ी:Khums) अरबी शब्द है जिसका अर्थ होता है किसी चीज का 1/5 या पांचवां भाग। खिराज , एक दशमांश और ज़कात की तरह, यह इस्लामिक राज्य के लिए आय का एक स्रोत भी है। इस्लामिक आर्थिक दृष्टि से, खुम्मुस का अर्थ है, सभी धन का पांचवां हिस्सा जिसे इस्लाम ने बैतुलमाल में जमा करने का आदेश दिया है। और इन संसाधनों में युद्ध के संसाधन, खनिज संसाधन, समुद्री संसाधन उल्लेखनीय हैं।
इस्लामिक फ़िक़्ह में ख़ुमस और ज़कात में एक अहम फ़र्क़ पाया जाता है और वो ये कि ज़कात एक ऐसा टैक्स है जो दरअसल इस्लामी मुआशरा के मुताल्लिक़ है लिहाज़ा उस को इसी सिलसिला में ख़र्च भी किया जाता है, लेकिन ख़ुमस एक ऐसा टैक्स है जो इस्लामी हुकूमत से मुताल्लिक़ है यानी इस्लामी हुकूमत के ओहदादार और हुकूमती मुलाज़मीन इस से फ़ैज़याब होते हैं।
कुरआन में
[संपादित करें]और तुम्हें मालूम हो कि जो कुछ ग़नीमत के रूप में माल तुमने प्राप्त किया है, उसका पाँचवा भाग अल्लाह का, रसूल का, नातेदारों का, अनाथों का, मुहताजों और मुसाफ़िरों का है। यदि तुम अल्लाह पर और उस चीज़ पर ईमान रखते हो, जो हमने अपने बन्दे पर फ़ैसले के दिन उतारी, जिस दिन दोनों सेनाओं में मुठभेड़ हूई, और अल्लाह को हर चीज़ की पूर्ण सामर्थ्य प्राप्त है (8:41) [1]