तुलसी (पौधा)
तुलसी | |
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वैज्ञानिक वर्गीकरण | |
जगत: | पादप |
अश्रेणीत: | w:Asterids। ऍस्टरिड्स |
गण: | w:Lamiales। लैमिएल्स |
कुल: | w:Lamiaceae। लैमिएशी |
वंश: | w:Ocimum। ओसिमम |
जाति: | O. tenuiflorum |
द्विपद नाम | |
Ocimum tenuiflorum L. | |
पर्यायवाची | |
ओसिमम सैन्क्टम |

तुलसी - (ऑसीमम सैक्टम) एक द्विबीजपत्री तथा शाकीय, औषधीय पौधा है। तुलसी का पौधा हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है और लोग इसे अपने घर के आँगन या दरवाजे पर या बाग में लगाते हैं।[1] भारतीय संस्कृति के चिर पुरातन ग्रंथ वेदों में भी तुलसी के गुणों एवं उसकी उपयोगिता का वर्णन मिलता है।[2] इसके अतिरिक्त ऐलोपैथी, होम्योपैथी और यूनानी दवाओं में भी तुलसी का किसी न किसी रूप में प्रयोग किया जाता है।[3]
तुलसी का पौधा क्षुप (झाड़ी) के रूप में उगता है और १ से ३ फुट ऊँचा होता है। इसकी पत्तियाँ बैंगनी आभा वाली हल्के रोएँ से ढकी होती हैं। पत्तियाँ १ से २ इंच लम्बी सुगंधित और अंडाकार या आयताकार होती हैं। पुष्प मंजरी अति कोमल एवं ८ इंच लम्बी और बहुरंगी छटाओं वाली होती है, जिस पर बैंगनी और गुलाबी आभा वाले बहुत छोटे हृदयाकार पुष्प चक्रों में लगते हैं। बीज चपटे पीतवर्ण के छोटे काले चिह्नों से युक्त अंडाकार होते हैं। नए पौधे मुख्य रूप से वर्षा ऋतु में उगते है और शीतकाल में फूलते हैं। पौधा सामान्य रूप से दो-तीन वर्षों तक हरा बना रहता है। इसके बाद इसकी वृद्धावस्था आ जाती है। पत्ते कम और छोटे हो जाते हैं और शाखाएँ सूखी दिखाई देती हैं। इस समय उसे हटाकर नया पौधा लगाने की आवश्यकता प्रतीत होती है।
प्रजातियाँ
तुलसी की सामान्यतः निम्न प्रजातियाँ पाई जाती हैं:
- १- ऑसीमम सैक्टम
- २- ऑसीमम वेसिलिकम (मरुआ तुलसी) मुन्जरिकी या मुरसा।
- ३- ऑसीमम वेसिलिकम मिनिमम।
- ४- आसीमम ग्रेटिसिकम (राम तुलसी / वन तुलसी / अरण्यतुलसी)।
- ५- ऑसीमम किलिमण्डचेरिकम (कर्पूर तुलसी)।
- ६- ऑसीमम अमेरिकम (काली तुलसी) गम्भीरा या मामरी।
- ७- ऑसीमम विरिडी।
इनमें ऑसीमम सैक्टम को प्रधान या पवित्र तुलसी माना गया जाता है। इसकी भी दो प्रधान प्रजातियाँ हैं- श्री तुलसी, जिसकी पत्तियाँ हरी होती हैं तथा कृष्णा तुलसी (या श्यामा तुलसी) जिसकी पत्तियाँ नीलाभ-कुछ बैंगनी रंग लिए होती हैं। श्री तुलसी के पत्र तथा शाखाएँ श्वेताभ होते हैं जबकि कृष्ण तुलसी के पत्रादि कृष्ण रंग के होते हैं। गुण, धर्म की दृष्टि से काली तुलसी को ही श्रेष्ठ माना गया है, परन्तु अधिकांश विद्वानों का मत है कि दोनों ही गुणों में समान हैं।
रासायनिक संरचना
तुलसी में अनेक जैव सक्रिय रसायन पाए गए हैं, जिनमें ट्रैनिन, सैवोनिन, ग्लाइकोसाइड और एल्केलाइड्स प्रमुख हैं। अभी भी पूरी तरह से इनका विश्लेषण नहीं हो पाया है। प्रमुख सक्रिय तत्व हैं एक प्रकार का पीला उड़नशील तेल जिसकी मात्रा संगठन स्थान व समय के अनुसार बदलते रहते हैं। ०.१ से ०.३ प्रतिशत तक तेल पाया जाना सामान्य बात है। 'वैल्थ ऑफ इण्डिया' के अनुसार इस तेल में लगभग ७१ प्रतिशत यूजीनॉल, बीस प्रतिशत यूजीनॉल मिथाइल ईथर तथा तीन प्रतिशत कार्वाकोल होता है। श्री तुलसी में श्यामा की अपेक्षा कुछ अधिक तेल होता है तथा इस तेल का सापेक्षिक घनत्व भी कुछ अधिक होता है। तेल के अतिरिक्त पत्रों में लगभग ८३ मिलीग्राम प्रतिशत विटामिन सी एवं २.५ मिलीग्राम प्रतिशत कैरीटीन होता है। तुलसी बीजों में हरे पीले रंग का तेल लगभग १७.८ प्रतिशत की मात्रा में पाया जाता है। इसके घटक हैं कुछ सीटोस्टेरॉल, अनेकों वसा अम्ल मुख्यतः पामिटिक, स्टीयरिक, ओलिक, लिनोलक और लिनोलिक अम्ल। तेल के अलावा बीजों में श्लेष्मक प्रचुर मात्रा में होता है। इस म्युसिलेज के प्रमुख घटक हैं-पेन्टोस, हेक्जा यूरोनिक अम्ल और राख। राख लगभग ०.२ प्रतिशत होती है।[3]
तुलसी माला

तुलसी माला १०८ गुरियों की होती है। एक गुरिया अतिरिक्त माला के जोड़ पर होती है इसे गुरु की गुरिया कहते हैं। तुलसी माला धारण करने से ह्रदय को शांति मिलती है।
तुलसी का औषधीय महत्व
भारतीय संस्कृति में तुलसी को पूजनीय माना जाता है, धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ तुलसी औषधीय गुणों से भी भरपूर है। आयुर्वेद में तो तुलसी को उसके औषधीय गुणों के कारण विशेष महत्व दिया गया है। तुलसी ऐसी औषधि है जो ज्यादातर बीमारियों में काम आती है। इसका उपयोग सर्दी-जुकाम, खॉसी, दंत रोग और श्वास सम्बंधी रोग के लिए बहुत ही फायदेमंद माना जाता है।[4] [5]
तुलसी विटामिन और खनिज का भंडार है। इसमें मुख्य रुप से विटामिन सी, कैल्शियम, जिंक, आयरन और क्लोरोफिल पाया जाता है। इसके अलावा तुलसी में सिट्रिक, टारटरिक एवं मैलिक एसिड पाया जाता। जो विभिन्न रोगों के रोकथाम के लिए भी उपयोगी है तो चलिए जानते है - tulsi ke fayde Archived 2021-09-17 at the वेबैक मशीन -
◆ तुलसी की पत्तियों का प्रयोग तनाव दूर करने लिए । Tulsi ke fayde tanav dur karane ke liye -
आज के समय में तनाव बड़ी समस्या बन गई है और इससे आराम पाने के लिए लोग कई तरह की थेरेपी अपनाते हैं। तुलसी पत्ते इस समस्या को कम करने में उपयोगी पाए गए हैं। NCBI ( नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फोर्मेशन ) द्वारा प्रकाशित एक शोध में यह बताया गया है कि इसमें एंटीस्ट्रेस गुण होते हैं, जो स्ट्रेस से तुलसी के पत्ते आराम दिलवा सकते हैं।
हमारे शरीर में कॉर्टिसोल हॉर्मोन की मात्रा को नियमित कर सकते हैं, जो एक तरह का स्ट्रेस हार्मोन होता है। विशेषकर तुलसी की चाय का सेवन करने से तनाव से काफी राहत मिल सकती है । साथ ही साथ एंटीडिप्रेसेंट गुण जो आपकी याददाश्त बेहतर करने में भी सहायक हो सकते है ।
◆ तुलसी सर्दी जुकाम के लिए उपयोगी । Tulsi k fayde sardi jukam ke liye -
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है । सर्दी-जुकाम के साथ बुखार में भी फायदा पहुंचाती है। काली मिर्च और तुलसी को पानी में उबाल कर काढ़ा बनाएं साथ ही मिश्री डाल कर इसको पीने से बुखार से आराम मिलता है। जुकाम होने पर तुलसी को पानी में उबाल कर भाप लेने से भी फायदा होता है ।
◆ चोट लगने पर तुलसी उपयोगी । chot lagane par tulsi ke fayde -
कहीं चोट लगने पर तुलसी के पत्ते को फिटकरी के साथ मिलाकर घाव पर लगाने से तुरंत आराम जाता है । तुलसी में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल तत्व चोट के घाव को पकने नहीं देता और ठीक करने में मदद करता है । तुलसी पत्ते को तेल में मिलाकर लगाने से जलन भी कम होती है। क्योंकि एंटीस्ट्रेस एंटीडिप्रेसेंट एंटीबैक्टिरियल गुणों से युक्त है तुलसी के पत्ते ।
◆ रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए तुलसी के फायदे । Immunity badhane ke liye tulsi ke fayde - Archived 2021-09-17 at the वेबैक मशीन
अगर आप इसकी पत्तियां चबाते हैं या फिर इससे हर्बल-टी बनाकर पीते हैं तो उससे शरीर को लाभ होता है। यदि आप की इंसान का इम्युनिटी सिस्टम मजबूत है तो आपको बीमारियां कम लगने के चांस रहने हैं ।
मृत्यु के समय तुलसी के पत्तों का महत्त्व
मृत्यु के समय व्यक्ति के गले में कफ जमा हो जाने के कारण श्वसन क्रिया एवम बोलने में रुकावट आ जाती है। तुलसी के पत्तों के रस में कफ फाड़ने का विशेष गुण होता है इसलिए शैया पर लेटे व्यक्ति को यदि तुलसी के पत्तों का एक चम्मच रस पिला दिया जाये तो व्यक्ति के मुख से आवाज निकल सकती है।
चित्र दीर्घा
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तुलसी की मंजरी
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पारम्परिक तुलसीचौरा
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पूर्ण पौधा
सन्दर्भ
तुलसी महिमा
हिन्दू पौराणिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से तुलसी का पौधा अत्यंत पवित्र माना गया है। इसीलिए अधिकांश सनातन संस्कृति को मानने वाले लोग इसे अपने आंगन में अवश्य रोपते हैं एवं इसका नियमित पूजन भी करते हैं । तुलसी को जल अर्पित करने की परंपरा रही है जिससे कि यह फले फूले । इसे हरिप्रिया, विष्णुप्रिया, वृंदा, श्यामा आदि नामों से भी जाना जाता है।
औषधीय गुण
तुलसी की पत्तियां में अनेक औषधीय गुणों से युक्त हैं । चूंकि यह वात एवं कफ शामक है इसलिए अनेक आयुर्वेदिक एवं हर्बल कफ सीरप में इसका प्रयोग प्रमुख घटक के रूप में किया जाता है।
औषधियां बनाने के लिए इसकी पत्तियों का रस आसवन विधि से प्राप्त किया जाता है।
इन्हें भी देखें
- अरण्यतुलसी
- ऑरिगेनो (Oregano) -- यह भी तुलसी से मिलता-जुलता पौधा है।
बाहरी कड़ियाँ
- चाहे राम कहो या श्याम, हजारों गुणों से भरी तुलसी के है कई प्रकार, जानिए वैज्ञानिक-आध्यात्मिक महत्व
- प्रकृति द्वारा स्वास्थ्य : तुलसी और नीम
- ↑ "तुलसी का पौधा". वेबदुनिया. Archived from the original on 31 मई 2009. Retrieved २१ मई २००९.
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(help) - ↑ "औषधीय गुण की खान तुलसी". घुघुती.कॉम. Archived from the original on 14 सितंबर 2009. Retrieved २१ मई २००९.
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(help) - ↑ अ आ "तुलसी -(ऑसीमम सैक्टम) accessmonthday=[[२१ मई]] [[२००९]]". गायत्री सांस्कृतिक धरोहर. Archived from the original on 9 मार्च 2016. Retrieved 14 जून 2020.
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: URL–wikilink conflict (help) - ↑ "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 2 जनवरी 2015. Retrieved 2 जनवरी 2015.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 16 जनवरी 2015. Retrieved 2 जनवरी 2015.