पादप
पादप या उद्भिद सामयिक शृंखला: प्रारम्भिक कैम्ब्रियन से अब तक, लेकिन टेक्स्ट देखें, 520–0 मिलियन वर्ष | |
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वैज्ञानिक वर्गीकरण | |
अधिजगत: | सुकेन्द्रिक |
अश्रेणीत: | आर्कीप्लास्टिडा (Archaeplastida) |
जगत: | प्लाण्टी (Plantae) हैकेल (Haeckel), 1866[1] |
Divisions | |
हरा शैवाल (Green algae)
स्थलीय पादप (embryophytes)
†निमैटोफाइट (Nematophytes) |
पादप या उद्भिद (plant) जीवजगत का एक बड़ी श्रेणी है जिसके अधिकांश सदस्य प्रकाश संश्लेषण द्वारा शर्कराजातीय खाद्य बनाने में समर्थ होते हैं। ये गमनागम (locomotion) नहीं कर सकते। वृक्ष, फर्न (Fern), मॉस (mosses) आदि पादप हैं। हरा शैवाल (green algae) भी पादप है जबकि लाल/भूरे सीवीड (seaweeds), कवक (fungi) और जीवाणु (bacteria) पादप के अन्तर्गत नहीं आते। पादपों के सभी प्रजातियों की कुल संख्या की गणना करना कठिन है किन्तु प्रायः माना जाता है कि सन् २०१० में ३ लाख से अधिक प्रजाति के पादप ज्ञात हैं जिनमें से 2.7 लाख से अधिक बीज वाले पादप हैं।
पादप जगत में विविध प्रकार के रंग बिरंगे पौधे हैं। कुछ एक कवक पादपो को छोड़कर प्रायः सभी पौधे अपना भोजन स्वयं बना लेते हैं। इनके भोजन बनाने की क्रिया को प्रकाश-संश्लेषण कहते हैं। पादपों में सुकेन्द्रिक प्रकार की कोशिका पाई जाती है। पादप जगत इतना विविध है कि इसमें एक कोशिकीय शैवाल से लेकर विशाल बरगद के वृक्ष शामिल हैं। ध्यातव्य है कि जो जीव अपना भोजन खुद बनाते हैं वे पौधे होते हैं, यह जरूरी नहीं है कि उनकी जड़ें हों ही। इसी कारण कुछ बैक्टीरिया भी, जो कि अपना भोजन खुद बनाते हैं, पौधे की श्रेणी में आते हैं। पौधों को स्वपोषित या प्राथमिक उत्पादक भी कहा जाता है।[2]
'पादपों में भी प्राण है' यह सबसे पहले जगदीश चन्द्र बसु ने कहा था।[3] पादपों का वैज्ञानिक अध्ययन वनस्पति विज्ञान कहलाता है।
महत्व[संपादित करें]
संसार की अधिकांश मुक्त आक्सीजन हरे पादपों द्वारा ही दी गयी है। हरे पादप ही धरती की अधिकांश जीवन के आधार हैं। अन्न, फल, सब्जियाँ मानव के मूलभूत भोजन हैं और इनका उत्पादन लाखों वर्षों से हो रहा है। पादप हमारे जीवन में फूल और शृंगार के रूप में प्रयुक्त होते हैं। अभी हाल के वर्षों तक पादपों से ही हमारी अधिकांश दवाइयाँ प्राप्त की जाती थीं।
छवि-मंजूषा[संपादित करें]
The fruits of Palmyra Palm tree, Borassus flabellifer (locally called Thaati Munjelu) sold in a market at Guntur, India.
सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ Haeckel G (1866). Generale Morphologie der Organismen. Berlin: Verlag von Georg Reimer. पपृ॰ vol.1: i–xxxii, 1–574, pls I–II, vol. 2: i–clx, 1–462, pls I–VIII.
- ↑ भौतिक भूगोल का स्वरूप, सविन्द्र सिंह, प्रयाग पुस्तक भवन, इलाहाबाद, २०१२, पृष्ठ ६१६, ISBN ८१-८६५३९-७४-३
- ↑ "पेड़-पौधों में भी जान बसती है..." आज तक. अभिगमन तिथि 2020-11-29.
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
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