टार्ज़न: द वण्डर कार
टार्ज़न: द वण्डर कार | |
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टार्ज़न: द वण्डर कार का पोस्टर | |
निर्देशक | अब्बास-मस्तान |
लेखक |
ललित महाजन सनी महाजन |
निर्माता | गोरधन तनवानी |
अभिनेता |
वत्सल शेठ आयशा टाकिया अजय देवगन |
छायाकार | रवि यादव |
संपादक | हुसैन ए. बर्मावाला |
संगीतकार | हिमेश रेशमिया |
निर्माण कंपनी |
बाबा फिल्म्स |
वितरक | बाबा फिल्म्स |
प्रदर्शन तिथियाँ |
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लम्बाई |
162 मिनट |
देश | भारत |
भाषा | हिंदी |
लागत | ₹14 करोड़[1] |
कुल कारोबार | ₹6.2 करोड़[2] |
टार्ज़न: द वण्डर कार 2004 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसका निर्देशन अब्बास बर्मावाला और मस्तान बर्मावाला ने किया है। फिल्म में वत्सल शेठ और आयशा टाकिया मुख्य भूमिकाओं में हैं, जबकि अजय देवगन, फरीदा जलाल, पंकज धीर, सदाशिव अमरापुरकर, अमरीश पुरी, शक्ति कपूर, गुलशन ग्रोवर और मुकेश तिवारी ने सहायक भूमिकाएँ निभाई हैं।
संक्षेप
[संपादित करें]1992 में देवेन चौधरी (अजय देवगन) अपनी मां सुहासिनी (फरीदा जलाल) और 10 साल के इकलौते बेटे राज के साथ रहता है। देवेन एक सुपर कार को डिजाइन करने में काफी समय बिताता है, जिसे वो 'डीसी' नाम देता है। यह कार बहुत ही भविष्यवादी और बाजार में किसी भी अन्य कार की तुलना में अधिक उन्नत है। वह इसका अपना पेटेंट पंजीकृत कराता है। देवेन का मानना था कि इस एसयूवी कार में 400 बीएचपी और 500 एनएम का टार्क होगा और साथ ही यह 5.2 सेकंड में 0-60 की गति प्राप्त करने में सक्षम होगी। वह अपने दिवंगत पिता द्वारा सौंपी गई एक पुरानी मॉरिस माइनर एमएम की भी देखभाल करता है। उसे वह "टार्ज़न" कहता है, जो कि डिज्नी चरित्र टार्ज़न पर आधारित है। वह राकेश कपूर (पंकज धीर) और उसके सहयोगियों से मिलता है। वह लोग उसके डिजाइन की प्रशंसा करते हैं लेकिन उसके साथ बिजनेस करने से इनकार करते हैं, क्योंकि वे सौदे के हिस्से के रूप में रॉयल्टी नहीं देना चाहते हैं। बाद में, देवेन को पता चलता है कि कपूर और उसके साथियों ने उसके साथ धोखाधड़ी की और उनके नाम से उसका डिज़ाइन दर्ज कर लिया है। देवेन एक पुलिस अधिकारी, इंस्पेक्टर संजय शर्मा (दीपक शिर्के) को इसकी रिपोर्ट करता है, लेकिन बाद में पता चलता है कि वो इंस्पेक्टर कपूर का ही आदमी है। कपूर, उसके साथी और शर्मा देवेन पर हमला करते हैं और देवेन को बांधकर उसकी कार में बंद कर देते हैं। फिर कार को नदी में धकेल दिया जाता है, जिससे बंधा हुआ देवेन दम घुटने से मर जाता है। देवेन की मौत के पीछे की सच्चाई से अनजान, उसकी माँ अपने पोते को अकेले पालती है।
12 साल बाद, 2004 में, राज चौधरी (वत्सल शेठ) अब 22 साल का हो चुका है जो एक कॉलेज में पढ़ता है जहाँ उसे प्रिया (आयशा टाकिया) नाम की एक अमीर लड़की से प्यार हो जाता है। राज करतार सिंह (अमरीश पुरी) के गैरेज में मैकेनिक का काम करता है। एक दिन, राज को टार्ज़न का पता चलता है और वह उसे तुरंत पहचान लेता है। वह किसी तरह पैसे जमा करता है और उसे 5000 रुपये में खरीदता है। राज उस कार को अपडेट करना चाहता है जो उसे उसके पिता देवेन की याद दिलाती है। उसे यह नहीं पता है कि कार के साथ वह अपने पिता को भी वापस ले आया है, जिसकी आत्मा कार के अंदर कैद है।करतार यह जानकर बहुत खुश होता है और टार्जन को ठीक करने में राज की मदद करता है। टार्ज़न को पूरी तरह से देवेन के डिज़ाइन से भी अधिक उन्नत कार में बदल दिया जाता है। राज देवेन की स्मृति का सम्मान करने के लिए इसका नाम डीसी (राज के पिता का नाम देवेन चौधरी) रखने का फैसला करता है। इधर, देवेन की आत्मा उसी कार में है और उन सभी को मारना शुरू कर देती है जो उसकी हत्या के लिए जिम्मेदार थे। वह कैलाश चोपड़ा (मुकेश तिवारी) को मारता है जब कैलाश पालघर जा रहा होता है। फिर वह नए साल की पूर्व संध्या के दौरान महेश सक्सेना (शक्ति कपूर) को मारता है। वह अधिकारी संजय शर्मा को उसी के गैरेज में मारता है और अंत में वह एंथनी डी'कोस्टा (सदाशिव अमरापुरकर) को मार देता है जब डी'कोस्टा नागपुर जाकर कार से दूर रहने की कोशिश करता है। चूंकि कार अब राज की है, इसलिए वह जांच अधिकारी इंस्पेक्टर खुराना (गुलशन ग्रोवर) की नजर में संदिग्ध हो जाता है। इधर, कपूर यह जानने के बाद भारत लौटता है कि उसके सभी साथी मर चुके हैं। यहाँ कपूर का प्रिया के पिता होने का खुलासा होता है।
प्रिया के आग्रह पर, कपूर राज से मिलने जाता है। लेकिन यह जानने के बाद कि राज देवेन का बेटा है, कपूर यह मान लेता है कि राज ने किसी तरह सच्चाई का पता लगा लिया है और प्रिया को मोहरे के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। कपूर राज को मारने और प्रिया को वापस अपने साथ ले जाने का फैसला करता है। प्रिया और राज दोनों अनजान हैं, लेकिन राज चौंक जाता है जब कपूर उसे सच बताता है। इधर, टार्ज़न, जिसे पहाड़ी से नीचे गिराकर चकनाचूर कर दिया गया था, वापिस ठीक हो जाती है और कपूर से राज को बचाने के लिए नदी में कूद जाती है। देवेन की रूह अब सभी को नजर आने लगती है। राज, सुहासिनी, प्रिया और इंस्पेक्टर खुराना के सामने घबराया हुआ कपूर अपना जुर्म कबूल कर लेता है। खुराना कपूर को गिरफ्तार कर लेता है, जबकि देवेन सुहासिनी और राज को अपना आखिरी अलविदा कहता है। राज, सुहासिनी और प्रिया के मिल जाने से देवेन की आत्मा मुक्त हो जाती है और वह स्वर्ग में चला जाता है। राज और प्रिया शादी कर लेते हैं।
मुख्य कलाकार
[संपादित करें]- वत्सल शेठ – राज चौधरी
- आयशा टाकिया – प्रिया, राकेश कपूर की बेटी और राज की प्रेमिका
- अजय देवगन – देवेन चौधरी, राज के पिता
- फ़रीदा जलाल – श्रीमती सुहासिनी चौधरी, राज की दादी
- पंकज धीर – राकेश कपूर
- सदाशिव अमरापुरकर – एंथनी डी'कॉस्टा, राकेश कपूर का पूर्व बिजनेस साझेदार
- शक्ति कपूर – महेश सक्सेना, राकेश कपूर का पूर्व बिजनेस साझेदार
- मुकेश तिवारी – कैलाश चोपड़ा, राकेश कपूर का पूर्व बिजनेस साझेदार
- अमरीश पुरी – करतार सिंह
- गुलशन ग्रोवर – इंस्पेक्टर खुराना
- राजपाल यादव – हवलदार सीताराम
- दीपक शिर्के – इंस्पेक्टर संजय शर्मा
- सुमित पाठक – विक्रम जैन उर्फ विकी, राज का दोस्त
- सिकंदर खरबंदा – रॉकी, राज के कॉलेज में पढ़ने वाला छात्र को हमेशा उसको परेशान करता है
- जीतू वर्मा – जोजो डी'कॉस्टा, एंथनी का बेटा
- शीला डेविड – श्रीमती चोपड़ा, कैलाश चोपड़ा की पत्नी
संगीत
[संपादित करें]सभी गीत समीर द्वारा लिखित; सारा संगीत हिमेश रेशमिया द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "ओ सजन ओ सजन" | उदित नारायण, अलका याज्ञिक | 6:48 |
2. | "चुरा लो (संस्करण_1)" | शान, अलका याज्ञिक | 4:28 |
3. | "गॉना फॉल इन लव" | कुणाल गांजावाला, जयेश गाँधी, अलका याज्ञिक | 4:36 |
4. | "टार्ज़न" | कुमार सानु, जयेश गाँधी | 5:58 |
5. | "ऊ लाला रे" | कृष्णकुमार कुन्नथ, अलका याज्ञिक | 5:17 |
6. | "चुरा लो (संस्करण_2)" | उदित नारायण, अलका याज्ञिक | 4:29 |
7. | "दिल से जुड़ा" | कुमार सानु, जयेश गाँधी, अलका याज्ञिक | 5:06 |
नामांकन और पुरस्कार
[संपादित करें]वर्ष | नामित कार्य | पुरस्कार | परिणाम |
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2005 | आयशा टाकिया | फ़िल्मफ़ेयर महिला प्रथम अभिनय पुरस्कार | जीत |