अफ़्गानिस्तान का राष्ट्रगान
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हिन्दी: अफ़्गानिस्तान का राष्ट्रगान | |
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पश्तो: मिल्लि सुरूद; दारी: सुरूद-ए मिल्ली | |
राष्ट्रीय जिसका राष्ट्रगान है |
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बोल | अब्दुल बरी जहानी |
संगीत | बाबरक वसा |
घोषित | १८१७ |
अफ़्गानिस्तान का राष्ट्रगानपश्तो: ملی سرود - मिल्लि सुरूद; फ़ारसी: سرود ملی - "सुरूद-ए मिल्ली") आधिकारिक रूप से मई २००६ में पनाया गया था। अफ़्गानिस्तान के संविधान की धारा २० के अनुसार, "अफ़्गानिस्तान का राष्ट्रगान पश्तो में होगा" और जिसमें "ईश्वर महानतम है" और अफ़्गानिस्तान के नस्लीय समूहों का उल्लेख होगा। गीतिकाव्य अब्दुल बरी जहानी द्वारा लिखित और संगीतकार हैं जर्मन-अफ़्गान मूल के बाबरक वसा।
गीतिकाव्य[संपादित करें]
अफ़्गानिस्तान का राष्ट्रगान | ||
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पश्तो | पश्तो लिप्यन्तरण | अनुवाद |
पहला छन्द | ||
دا وطن افغانستان دى |
दा वतन अफ़्ग़ानिस्तान दई |
यह अफ़्गानिस्तान भूमि, |
दूसरा छन्द | ||
دا وطن د ټولو كور دى |
दा वतन द टोलो कोर दई, |
यह प्रत्येक जनजाति का देश है, |
तीसरा छन्द | ||
ور سره عرب، ګوجر دي |
वर सरा अरब गुजर दी, |
उनके साथ, अरबों की और महान वीर गुर्जरों की, |
चौथा छन्द | ||
دا هيواد به تل ځلېږي |
दा हीवाद बा तल द्ज़लेझ़ी, |
यह भूमि सदैव चमकती रहेगी, |
पाँचवा छन्द | ||
نوم د حق مو دى رهبر |
नूम द हक़ मो दई रहबर, |
हम एक ईश्वर का पालन करेंगे |