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"भारत गणराज्य का प्रधानमंत्री": अवतरणों में अंतर

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==नियुक्ति==
==नियुक्ति==

साधारणतः, प्रधानमंत्री को [[भारत में चुनाव|संसदीय आम चुनाव]] के परिणाम के आधार पर राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। प्रधानमंत्री, [[लोकसभा]] में [[बहुमत]]-धरी दल (या गठबंधन) के नेता होते हैं। हालाँकि, प्रधानमंत्री का स्वयं लोकसभा संसद होना अनिवार्य नहीं है, परंतु उनके पास, लोकसभा में बहुमत सिद्ध करना होता है। प्रत्येक चुनाव तथा नविन सभा की बैठक तथा [[बहुमत]] दाल के नेता के चुनाव के बाद, [[भारत के राष्ट्रपति|राष्ट्रपति]], बहुमत-धरी दल के नेता को प्रधानमंत्री बनने हेतु आमंत्रित करते हैं, आमंत्रण स्वीकार करने के पश्चात, संबंधित व्यक्ति को [[लोकसभा]] में मतदान द्वारा विश्वासमत प्राप्त करना होता है, जिसके बाद एक समारोह में प्रधानमंत्री तथा अन्य मंत्रियों को पद की शपथ दिलाई जाती है, और उन्हें प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाता है।<ref>http://www.desikanoon.co.in/2014/05/how-is-prime-minister-appointed-elected-india.html</ref> यदि कोई एक दल या गठबंधन, [[लोकसभा]] में बहुमत प्राप्त करने में अक्षम होता है, तो, यह पूर्णतः [[भारत के राष्ट्रपति|महामहिम राष्ट्रपति]] के विवेक पर होता है की वे किस व्यक्ति को प्रधधनमंत्रीपद प्राप्त करने हेतु आमंत्रित करें। ऐसी स्थिति को [[त्रिशंकु सभा]] की स्थिति कहा जाता है। त्रिशंकु सभा की स्थिति में राष्ट्रपति साधारणतः सबसे बड़े दल के नेता को निम्नसदन में बहुमत सिद्ध करने हेतु आमंत्रित करते है(हालाँकि वे इस विषय में अपने पसंद के किसी भी व्यक्ति को आमंत्रित करने हेतु पूर्णतः स्वतंत्र हैं)। निमंत्रण स्वीकार करने वाले किसी भी व्यक्ति को लोकसभा में विश्वासमत सिद्ध करना होता है, और उसके बाद ही वह व्यक्ति [[ प्रधानमंत्री]] नियुक्त किया जाता है।<ref>http://www.legalserviceindia.com/article/l389-Hung-Parliament.html</ref><ref name="दूसरी अनुसूची">[http://archive.india.gov.in/govt/documents/hindi/SECOND-SCHEDULE.pdf दूसरी अनुसूची]</ref> कैबिनेट, प्रधानमंत्री द्वारा चयनित और [[राष्ट्रपति]] द्वारा नियुक्त मंत्रियों से बना होता है।


===पात्रता===
===पात्रता===
[[भारता का संविधान|भारतीय संविधान]] के पञ्चम् भाग के ७४, ७५वें व ८४वें अनुछेदानुसार प्रधानमंत्रीपद के दावेदार को निम्नांकित योग्यताओं पर खरा उतरना होता है:<ref>[http://archive.india.gov.in/govt/documents/hindi/PartV.pdf भारतीय संविधान का पंचम् भाग-पात्रता संबंधीन नियम अनुछेद ७४ तथा ८४ में दिए गए हैं](हिंदी)</ref><ref>[http://archive.india.gov.in/govt/constitutions_india.php?id=3 संविधान के विभिन्न भागों के विषय(संबंधीन अनुछेद, पंचम भाग बे हैं)]</ref>

*उनके पास [[भारत गणराज्य]] देश की नागरिकता होनी चाहिए
*प्रधानमंत्री के पास [[लोकसभा ]] अथवा [[राज्यसभा]] की सदस्यता होनी चाहिए। यही नियुक्ति के समय, पात्र, [[भारतीय संसद]] के दो सदनों में, किसी भी एक सदन का सदस्य नहीं होता है, तो नियुक्ति के ६ महीनों के मध्य ही उन्हें संसद की सदस्यता प्राप्त करना अनिवार्य है, अन्यथा उनका प्रधानमंत्रित्व से खारिज हो जायेगा।
*यदि पात्र [[लोकसभा|लोकसभा सांसद]] है तो उसकी न्यूनतम् आयु २५ वर्ष, एवं यदि [[राज्यसभा|राज्यसभा सांसद]] है तो न्यूनतम् आयु ३० वर्ष होना अनिवार्य है।
*पात्र का, [[भारत सरकार|केंद्रीय सरकार]], [[भारत के राज्य|किसी भी राज्य सरकार]] अथवा पूर्वकथित किसी भी सरकार के अधीन किसी भी कार्यालय तथा प्रशासनिक या गैर-प्रशासनिक निकाय की सेवा में किसी भी लाभकारी पद का कर्मचारी नहीं होना चाहिए।

इन योग्यताओं के अतिरिक्त, पात्र को [[संसद]] द्वारा भविष्य में पारित पात्रता के किसी भी योगता पर खरा उतारना होगा, तथा, क्योंकि प्रधानमंत्री का सांसद होना अनिवार्य है, अतः प्रधानमंत्रित्व के पात्र को [[लोकसभा]] या [[राज्यसभा]] का सदस्य होने योग्य होना भी अंत्यतः अनिवार्य है। सांसद होने की योग्यताओं में उसे विकृत चित्त वाला व्‍यक्‍ति या दिवालिया घोषित ना होना, स्वेच्छा से किसी विदेशी राज्य की नागरिकता प्राप्त कर लेना, किसी न्यायलय द्वारा उसका निर्वाचन शून्य घोषित कर दिया जाना, तथा [[राष्ट्रपति]] या [[राज्यपाल]] नियुक्त होना शामिल हैं।<ref>[http://rajyasabhahindi.nic.in/rshindi/hindipage.asp राज्यसभा का जालघर]</ref><ref>[http://loksabhahindi.nic.in/ लोकसभा]</ref> साथ ही सदन से प्रस्ताव-स्वीकृत निष्कासन से भी पात्र की सदस्यता समाप्त हो जाती है।<ref>[http://www.bharat.gov.in/govt/parliament.php संसद]</ref>

===कार्यपद के शपथ===
===कार्यपद के शपथ===
प्रधानमंत्री को पद की शपथ [[भारत के राष्ट्रपति |राष्ट्रपति ]] द्वारा दिलाई जाती है। पद पर नियुक्ति हेतु, भावी पदाधिकारी को दो शपथ लेनेकी अनिवार्यता है। ये दोनों शपथ, [[भारतीय संविधान ]] की तीसरी अनुसूची में विनिर्दिष्ट हैं(अनुच्छेद 75 (4), 99, 124 (6), 148 (2), 164 (3), 188 और 219) (अनुच्छेद 84 (क) और 173 (क) भी देखिए।):<ref>[http://archive.india.gov.in/govt/constitutions_india.php?id=3 भारतीय संविधान -archive.india.gov.in]</ref><ref>[http://archive.india.gov.in/govt/documents/hindi/THIRD-SCHEDULE.pdf तीसरी अनुसूची-पीडीएफ़]</ref>
प्रधानमंत्री को पद की शपथ [[भारत के राष्ट्रपति |राष्ट्रपति ]] द्वारा दिलाई जाती है। पद पर नियुक्ति हेतु, भावी पदाधिकारी को दो शपथ लेनेकी अनिवार्यता है। ये दोनों शपथ, [[भारतीय संविधान ]] की तीसरी अनुसूची में विनिर्दिष्ट हैं(अनुच्छेद 75 (4), 99, 124 (6), 148 (2), 164 (3), 188 और 219) (अनुच्छेद 84 (क) और 173 (क) भी देखिए।):<ref>[http://archive.india.gov.in/govt/constitutions_india.php?id=3 भारतीय संविधान -archive.india.gov.in]</ref><ref>[http://archive.india.gov.in/govt/documents/hindi/THIRD-SCHEDULE.pdf तीसरी अनुसूची-पीडीएफ़]</ref>

06:22, 22 नवम्बर 2016 का अवतरण

भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री
Prime Minister of India
प्राइम् मिनिस्टर् ऑफ़् इण्डिया
अन्य नाम
, {{{body}}}
पदस्थ
नरेन्द्र मोदी

२६ मई २०१४ से
शैलीमाननीय (औपचारिक)
महामहिम (राजनयिक)
सदस्यकेन्द्रीय मंत्रिमण्डल
नीति आयोग
संसद
उत्तरदाइत्वभारतीय संसद
राष्ट्रपति
आवास७, लोक कल्याण मार्ग , नई दिल्ली , भारत
अधिस्थानप्रधानमंत्री कार्यालय , साउथ ब्लॉक, नई दिल्ली, भारत
नियुक्तिकर्ताराष्ट्रपति
रीतिस्पद रूपतः लोकसभा में बहुमत सिद्ध करने की क्षमता द्वारा
अवधि काललोकसभा की इच्छानुसार
लोकसभा की दीर्घतम कार्यावधि ५ वर्ष होती है, बशर्ते की कार्यकाल समापन पूव ही सभा भांग ना की जाए तो।
कायर्काल पर किसी भी प्रकार की समय-सीमा रेखकांकित नहीं की गयी है।
उद्घाटक धारकजवाहरलाल नेहरू
गठन15 अगस्त 1947; 76 वर्ष पूर्व (1947-08-15)
वेतन20 लाख (US$29,200) (वार्षिक, 9,60,000 (US$14,016) सांसदीय वेतन समेत)
वेबसाइटप्रधानमंत्री कार्यालय

भारत गणराज्य का प्रधानमंत्री, संविधान के अनुसार, भारत सरकार का मुखिया, भारत के राष्ट्रपति का मुख्य सलाहकार, मंत्रिपरिषद का मुखिया, तथा लोकसभा में बहुमत वाले दल का नेता होता है। वह भारत सरकार के कार्यपालिका का नेतृत्व करता है। भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं, जो भारतीय जनता पार्टी से ताल्लुक रखते हैं।

संसदीय प्रणाली में, प्रधानमंत्री कार्यकारिणी के मंत्रिमंडल में एक वरिष्ठ सदस्य होते हैं।

संवैधानिक पद व व्युत्पत्ति

नियुक्ति

साधारणतः, प्रधानमंत्री को संसदीय आम चुनाव के परिणाम के आधार पर राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। प्रधानमंत्री, लोकसभा में बहुमत-धरी दल (या गठबंधन) के नेता होते हैं। हालाँकि, प्रधानमंत्री का स्वयं लोकसभा संसद होना अनिवार्य नहीं है, परंतु उनके पास, लोकसभा में बहुमत सिद्ध करना होता है। प्रत्येक चुनाव तथा नविन सभा की बैठक तथा बहुमत दाल के नेता के चुनाव के बाद, राष्ट्रपति, बहुमत-धरी दल के नेता को प्रधानमंत्री बनने हेतु आमंत्रित करते हैं, आमंत्रण स्वीकार करने के पश्चात, संबंधित व्यक्ति को लोकसभा में मतदान द्वारा विश्वासमत प्राप्त करना होता है, जिसके बाद एक समारोह में प्रधानमंत्री तथा अन्य मंत्रियों को पद की शपथ दिलाई जाती है, और उन्हें प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाता है।[1] यदि कोई एक दल या गठबंधन, लोकसभा में बहुमत प्राप्त करने में अक्षम होता है, तो, यह पूर्णतः महामहिम राष्ट्रपति के विवेक पर होता है की वे किस व्यक्ति को प्रधधनमंत्रीपद प्राप्त करने हेतु आमंत्रित करें। ऐसी स्थिति को त्रिशंकु सभा की स्थिति कहा जाता है। त्रिशंकु सभा की स्थिति में राष्ट्रपति साधारणतः सबसे बड़े दल के नेता को निम्नसदन में बहुमत सिद्ध करने हेतु आमंत्रित करते है(हालाँकि वे इस विषय में अपने पसंद के किसी भी व्यक्ति को आमंत्रित करने हेतु पूर्णतः स्वतंत्र हैं)। निमंत्रण स्वीकार करने वाले किसी भी व्यक्ति को लोकसभा में विश्वासमत सिद्ध करना होता है, और उसके बाद ही वह व्यक्ति प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाता है।[2][3] कैबिनेट, प्रधानमंत्री द्वारा चयनित और राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त मंत्रियों से बना होता है।

पात्रता

भारतीय संविधान के पञ्चम् भाग के ७४, ७५वें व ८४वें अनुछेदानुसार प्रधानमंत्रीपद के दावेदार को निम्नांकित योग्यताओं पर खरा उतरना होता है:[4][5]

  • उनके पास भारत गणराज्य देश की नागरिकता होनी चाहिए
  • प्रधानमंत्री के पास लोकसभा अथवा राज्यसभा की सदस्यता होनी चाहिए। यही नियुक्ति के समय, पात्र, भारतीय संसद के दो सदनों में, किसी भी एक सदन का सदस्य नहीं होता है, तो नियुक्ति के ६ महीनों के मध्य ही उन्हें संसद की सदस्यता प्राप्त करना अनिवार्य है, अन्यथा उनका प्रधानमंत्रित्व से खारिज हो जायेगा।
  • यदि पात्र लोकसभा सांसद है तो उसकी न्यूनतम् आयु २५ वर्ष, एवं यदि राज्यसभा सांसद है तो न्यूनतम् आयु ३० वर्ष होना अनिवार्य है।
  • पात्र का, केंद्रीय सरकार, किसी भी राज्य सरकार अथवा पूर्वकथित किसी भी सरकार के अधीन किसी भी कार्यालय तथा प्रशासनिक या गैर-प्रशासनिक निकाय की सेवा में किसी भी लाभकारी पद का कर्मचारी नहीं होना चाहिए।

इन योग्यताओं के अतिरिक्त, पात्र को संसद द्वारा भविष्य में पारित पात्रता के किसी भी योगता पर खरा उतारना होगा, तथा, क्योंकि प्रधानमंत्री का सांसद होना अनिवार्य है, अतः प्रधानमंत्रित्व के पात्र को लोकसभा या राज्यसभा का सदस्य होने योग्य होना भी अंत्यतः अनिवार्य है। सांसद होने की योग्यताओं में उसे विकृत चित्त वाला व्‍यक्‍ति या दिवालिया घोषित ना होना, स्वेच्छा से किसी विदेशी राज्य की नागरिकता प्राप्त कर लेना, किसी न्यायलय द्वारा उसका निर्वाचन शून्य घोषित कर दिया जाना, तथा राष्ट्रपति या राज्यपाल नियुक्त होना शामिल हैं।[6][7] साथ ही सदन से प्रस्ताव-स्वीकृत निष्कासन से भी पात्र की सदस्यता समाप्त हो जाती है।[8]

कार्यपद के शपथ

प्रधानमंत्री को पद की शपथ राष्ट्रपति द्वारा दिलाई जाती है। पद पर नियुक्ति हेतु, भावी पदाधिकारी को दो शपथ लेनेकी अनिवार्यता है। ये दोनों शपथ, भारतीय संविधान की तीसरी अनुसूची में विनिर्दिष्ट हैं(अनुच्छेद 75 (4), 99, 124 (6), 148 (2), 164 (3), 188 और 219) (अनुच्छेद 84 (क) और 173 (क) भी देखिए।):[9][10]

शपथ या प्रतिज्ञान के प्ररूप:

1 मंत्रीपद की शपथ का प्ररूप :

 'मैं, [अमुक], ईश्वर की शपथ लेता हूँ/सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूँ कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूँगा, (संविधान (सोलहवाँ संशोधन) अधिनियम, 1963 की धारा 5 द्वारा अंतःस्थापित।) मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूँगा, मैं संघ के प्रधानमंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक और शुद्ध अंतःकरण से निर्वहन करूँगा तथा मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना, सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार न्याय करूँगा।' 

2 गोपनीयता की शपथ का प्ररूप :

 'मैं, [अमुक], ईश्वर की शपथ लेता हूँ/सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूँ कि जो विषय संघ के प्रधानमंत्री के रूप में मेरे विचार के लिए लाया जाएगा अथवा मुझे ज्ञात होगा उसे किसी व्यक्ति या व्यक्तियों को, तब के सिवाय जबकि ऐसे मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों के सम्यक्‌ निर्वहन के लिए ऐसा करना अपेक्षित हो, मैं प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से संसूचित या प्रकट नहीं करूँगा।' 

कार्य व शक्तियाँ

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 113 में स्पष्ट रूप से मंत्रिपरिषद की अध्यक्षता तथा संचालन हेतु प्रधानमंत्री की उपस्थिति आवश्यक मानता है। उसकी मृत्यु या त्यागपत्र की दशा मे समस्त परिषद को पद छोडना पडता है। वह अकेले ही मंत्री परिषद का गठन करता है। राष्ट्रपति मंत्रिगण की नियुक्ति उसकी सलाह से ही करते हैं। मंत्री गण के विभाग का निर्धारण भी वही करता है। कैबिनेट के कार्य का निर्धारण भी वही करता है। देश के प्रशासन को निर्देश भी वही देता है। सभी नीतिगत निर्णय वही लेता है। राष्ट्रपति तथा मंत्री परिषद के मध्यसंपर्क सूत्र भी वही है। मंत्रिपरिषद का प्रधान प्रवक्ता भी वही है। वह परिषद के नाम से लड़ी जाने वाली संसदीय बहसों का नेतृत्व करता है । संसद मे परिषद के पक्ष मे लड़ी जा रही किसी भी बहस मे वह भाग ले सकता है। मन्त्री गण के मध्य समन्वय भी वही करता है। वह किसी भी मंत्रालय से कोई भी सूचना मंगवा सकता है। इन सब कारणॉ के चलते प्रधानमंत्री को भारत का सबसे महत्त्वपूर्ण राजनैतिक व्यक्तित्व माना जाता है।

प्रधानमंत्री कोष

प्रधानमंत्री, विभिन्न राहत कोषों के अध्यक्ष हैं, इन जिनका उपयोग, विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक, सामरिक तथा अन्य आपदाओं में आर्थिक सहायता देने के लिए किया जाता है। ये कोष, पूर्णतः जन-अंशदान पर निर्भर होती हैं।[11] इन्हें सरकार द्वारा किसी प्रकार की वित्तीय सहायता उपलब्ध नहीं की जाती है, और इन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा एक न्यास की तरह प्रबंधित किया जाता है।

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष, जनता के अंशदान से बनी एक न्यास है, जिसका प्रबंधन प्रधानमंत्री अथवा विविध नामित अधिकारियों द्वारा राष्ट्रीय प्रयोजनों के लिए किया जाता है। इस कोष के अध्यक्ष, स्वयं प्रधानमंत्री होते हैं। इस राहत कोष की धनराशि का इस्तेमाल अब प्रमुखतया बाढ़, चक्रवात और भूकंप आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं में मारे गए लोगों के परिजनों तथा बड़ी दुर्घटनाओं एवं दंगों के पीड़ितों को तत्काल राहत पहुंचाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा, हृदय शल्य-चिकित्सा, गुर्दा प्रत्यारोपण, कैंसर आदि के उपचार के लिए भी इस कोष से सहायता दी जाती है। इसे वर्ष 1948 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की अपील पर जनता के अंशदान से पाकिस्तान से विस्थापित लोगों की मदद करने के लिए स्थापित किया गया था।[11]

यह कोष केवल जनता के अंशदान से बना है और इसे कोई भी बजटीय सहायता नहीं मिलती है। समग्र निधि का सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में विभिन्न रूपों में निवेश किया जाता है। कोष से धनराशि प्रधानमंत्री के अनुमोदन से वितरित की जाती है। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष का गठन संसद द्वारा नहीं किया गया है।[12] इस कोष की निधि को आयकर अधिनियम के तहत एक ट्रस्ट के रूप में माना जाता है और इसका प्रबंधन प्रधानमंत्री अथवा विविध नामित अधिकारियों द्वारा राष्ट्रीय प्रयोजनों के लिए किया जाता है। इस कोष का संचालन प्रधानमंत्री कार्यालय, साउथ ब्लॉक, नई दिल्ली से किया जाता है। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष को आयकर अधिनियम 1961 की धारा 10 और 139 के तहत आयकर रिटर्न भरने से छूट प्राप्त है।[11]

प्रधानमंत्री, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के अध्यक्ष हैं और अधिकारी/कर्मचारी अवैतनिक आधार पर इसके संचालन में उनकी सहायता करते हैं। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में किए गए अंशदान को आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80 (छ) के तहत कर योग्य आय से पूरी तरह छूट हेतु अधिसूचित किया जाता है। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में किसी व्यक्ति और संस्था से केवल स्वैच्छिक अंशदान ही स्वीकार किए जाते हैं। सरकार के बजट स्रोतों से अथवा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के बैलेंस शीटों से मिलने वाले अंशदान स्वीकार नहीं किए जाते हैं।[11]

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय रक्षा निधि

राष्ट्रीय रक्षा प्रयासों को बढ़ावा देने हेतु नकद एवं वस्तुओं के रूप में प्राप्त स्वैच्छिक दान की जिम्मेदारी लेने और उसके इस्तेमाल पर निर्णय लेने के लिए राष्ट्रीय रक्षा कोष स्थापित किया गया था। इस कोष का इस्तेमाल सशस्त्र बलों तथा अर्द्ध सैनिक बलों के सदस्यों और उनके आश्रितों के कल्याण के लिए किया जाता है। यह कोष एक कार्यकारिणी समिति के प्रशासनिक नियंत्रण में होता है। इस समिति के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं और रक्षा, वित्त तथा गृहमंत्री इसके सदस्य होते हैं। वित्तमंत्री इस कोष के कोषपाल होते हैं तथा इस विषय को देख रहे प्रधानमंत्री कार्यालय के संयुक्त सचिव कार्यकारिणी समिति के सचिव होते हैं। कोष का लेखा भारतीय रिजर्व बैंक में रखा जाता है। यह कोष भी जनता के स्वैच्छिक अंशदान पर पूरी तरह से निर्भर होता है और इसे किसी भी तरह की बजटीय सहायता नहीं मिलती है।[13][14]

सहूलियतों

प्रधानमंत्री कार्यालय

प्रधानमंत्री आवास

सुरक्षा

अन्य सहूलियतें

पद का इतिहास

प्रधानमंत्रीगण की सूची

समयरेखा

नरेन्द्र मोदीमनमोहन सिंहअटल बिहारी वाजपेयीइंद्रकुमार गुज़रालएच डी देवगौड़ाअटल बिहारी वाजपेयीनरसिंह रावचंद्रशेखरविश्वनाथ प्रताप सिंहराजीव गान्धीइन्दिरा गान्धीचौधरी चरण सिंहमोरारजी देसाईइन्दिरा गान्धीगुलजारीलाल नंदालालबहादुर शास्त्रीगुलजारीलाल नंदाजवाहर लाल नेहरू

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ