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हनुमान मंदिर, कनॉट प्लेस

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हनुमान मंदिर, कनॉट प्लेस
धर्म संबंधी जानकारी
सम्बद्धताहिन्दू धर्म
देवताबाल हनुमान
अवस्थिति जानकारी
अवस्थितिबाबा खड़कसिंह मार्ग,
कनॉट प्लेस, नई दिल्ली
भौगोलिक निर्देशांक28°37′48″N 77°12′54″E / 28.63000°N 77.21500°E / 28.63000; 77.21500निर्देशांक: 28°37′48″N 77°12′54″E / 28.63000°N 77.21500°E / 28.63000; 77.21500[1]
वास्तु विवरण
शैलीहिन्दू स्थापत्यकला
निर्मातास्वयंभू
जीर्णोद्धारक - राजा मान सिंह और जयसिंह द्वितीय, आंबेर
स्थापित१७२४

नई दिल्ली के हृदय कनॉट प्लेस में महाभारत कालीन श्री हनुमान जी का एक प्राचीन मंदिर है। यहाँ पर उपस्थित हनुमान जी स्वयंभू हैं। बालचन्द्र अंकित शिखर वाला यह मंदिर आस्था का महान केंद्र है।[1] इसके साथ बने शनि मंदिर का भी प्राचीन इतिहास है। एक दक्षिण भारतीय द्वारा बनवाए गए कनॉट प्लेस शनि मंदिर में दुनिया भर के दक्षिण भारतीय दर्शनों के लिए आते हैं।[2] प्रत्येक मंगलवार एवं विशेषतः हनुमान जयंती के पावन पर्व पर यहां भजन संध्या और भंडारे लगाकर श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया जाता है। इसके साथ ही भागीरथी संस्था के तत्वाधान में संध्या का आयोजन किया जाता है, साथ ही क्षेत्र में झांकी निकाली जाती है।[3]

बाल हनुमान की स्वयंभू प्रतिमा

दिल्ली का ऐतिहासिक नाम इंद्रप्रस्थ शहर है, जो यमुना नदी के तट पर पांडवों द्वारा महाभारत-काल[4] में बसाया गया था। तब पांडव इंद्रप्रस्थ पर और कौरव हस्तिनापुर पर राज्य करते थे। ये दोनों ही कुरु वंश से निकले थे। हिन्दू मान्यता के अनुसार पांडवों में द्वितीय भीम को हनुमान जी का भाई माना जाता है। दोनों ही वायु-पुत्र कहे जाते हैं। इंद्रप्रस्थ की स्थापना के समय पांडवों ने इस शहर में पांच हनुमान मंदिरों की स्थापना की थी।[5][6] ये मंदिर उन्हीं पांच में से एक है।

मान्यता अनुसार प्रसिद्ध भक्तिकालीन संत तुलसीदास जी ने दिल्ली यात्रा के समय इस मंदिर में भी दर्शन किये थे। तभी उन्होंने इस स्थल पर ही हनुमान चालीसा की रचना की थी। तभी मुगल सम्राट ने उन्हें अपने दरबार में कोई चमत्कार दिखाने का निवेदन किया। तब तुलसीदास जी ने हनुमान जी की कृपा से सम्राट को संतुष्ट किया। सम्राट ने प्रसन्न होकर इस मंदिर के शिखर पर इस्लामी चंद्रमा सहित किरीट कलश समर्पित किया। इस कारण ही अनेक मुस्लिम आक्रमणों के बावजूद किसी मुस्लिम आक्रमणकारी ने इस इस्लामी चंद्रमा के मान को रखते हुए कभी भी इस मंदिर पर हमला नहीं किया।[5]

गर्भ गृह की दीवार, व हनुमान जी सहित अन्य देवता दक्षिण ओर देखते हुए

वर्तमान इमारत आंबेर के महाराजा मान सिंह प्रथम (१५४०-१६१४) ने मुगल सम्राट अकबर के शासन काल में बनवायी थी। इसका विस्तार महाराजा जयसिंह द्वितीय (१६८८-१७४३) ने जंतर मंतर के साथ ही करवाया था। दोनों इमारतें निकट ही स्थित हैं। इसके बाद भी इमारत में समय समय पर कुछ कुछ सुधार, बदलाव आदि होते रहे।[5][6][7][8] इस मंदिर का विशेष आकर्षण यहां होने वाले २४-घंटे का अटूट मंत्र जाप है। ये जाप "श्रीराम जय राम, जय जय राम॥" मंत्र का होता है और यह १ अगस्त, १९६४ से अनवरत चलता आ रहा है। बताया जाता है, कि ये विश्व का सबसे लंबा जाप है और इसकी रिकॉर्डिंग गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी अंकित है।[9]

कनॉट प्लेस में हनुमान मंदिर के निकट स्थित एशिया के सबसे बड़े फूलों के बाजार में पिछले पंद्रह सालों से फूलों का बाजार भी लगता है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वर्ष २००६-०७ में कुल ६४९.८४ करोड़ रुपये का निर्यात हुआ जबकि पिछले वर्ष यह २१०.९९ करोड़ रुपये का था। केवल दिल्ली से लगभग १०० करोड़ रुपये का निर्यात हुआ है।[10]

सन्दर्भ

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  1. प्राचीन हनुमान मंदिर, कनॉट प्लेस, नई दिल्ली Archived 2012-07-23 at the वेबैक मशीन। हनुमान जयंती
  2. मंदिरों की राजधानी भी है दिल्ली। नवभारत टाइम्स। १८ अप्रैल २००७। पीयुष के जैन
  3. धूमधाम के साथ मनाई गई हनुमान जयंती Archived 2010-08-11 at the वेबैक मशीन। याहू जागरण।
  4. महाभारत के समय से दिल्ली के प्रसिद्ध मंदिर https://www.bhaktibharat.com/list/delhis-famous-temple-of-the-mahabharata-period Archived 2019-06-19 at the वेबैक मशीन
  5. फ़िलिप लुट्जनडोर्फ़ (२००७). हनुमान्स टेल. ए टेल ऑफ टू टेम्पल्स. द्वारा ऑक्स्फ़ोर्ड युनिवर्सिटी प्रेस-US. पृ॰ २५३. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0195309219, 9780195309218 |isbn= के मान की जाँच करें: invalid character (मदद). मूल से 20 अक्तूबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2009-05-07. |pages= और |page= के एक से अधिक मान दिए गए हैं (मदद)
  6. आर.वी.स्मिथ (२८ नवम्बर २००५). "मोर दैन जस्ट ए टेलपीस!". द हिन्दू. मूल से 4 नवंबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २७ मई २००५.
  7. Y.D.Sharma (2001). Delhi and its Neighbourhood. Hanuman Mandir. नई दिल्ली: Archeological Survey of India. पृ॰ 99. मूल से 10 मार्च 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2009-04-24. Situtated on the Baba Khark Singh Marg Road (old Irwin Road) about 250 m south-west of Connaught Place is of little architectural importance. The residents of Delhi are, however, particularly devoted to it. The original temple appears to have been constructed by Maharaja Jai Singh about the same time as the Jantar Mantar, but has undergone large scale renewals since then.
  8. Lucy Peck (2005). Delhi - A thousand years of Building. Pre-existing buildings. नई दिल्ली: Roli Books Pvt Ltd. पृ॰ 263. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-7436-354-8. मूल से 12 मार्च 2006 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 दिसंबर 2009. Hanuman Temple: This was rebuilt by Mansingh of Amber and has now been rebuilt in the 20th Century so the building is not historic, although the site is supposed to be of great ancient antiquity. It is always thronging with devotees पाठ "accessdate" की उपेक्षा की गयी (मदद); पाठ "2009-05-27" की उपेक्षा की गयी (मदद)
  9. "हनुमान टेम्पल". मूल से 2 जुलाई 2004 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2009-05-19.
  10. भारतीय फूलों का विदेशी बाजार में रुतबा बढ़ा[मृत कड़ियाँ] बिज़नेस भास्कर। २ अगस्त २००८

चित्र दीर्घा

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बाहरी कड़ियाँ

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