राम लखन
राम लखन | |
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राम लखन का पोस्टर | |
निर्देशक | सुभाष घई |
निर्माता | अशोक घई |
अभिनेता |
अनिल कपूर, जैकी श्रॉफ, माधुरी दीक्षित, राखी, परेश रावल, अनुपम खेर |
संगीतकार | लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल |
प्रदर्शन तिथियाँ |
27 जनवरी, 1989 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
राम लखन 1989 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। फिल्म सुभाष घई द्वारा निर्देशित है और अनिल कपूर, जैकी श्रॉफ, माधुरी दीक्षित, डिंपल कपाड़िया, राखी और अनुपम खेर ने इसमें मुख्य चरित्र निभाएँ हैं। लक्ष्मीकांत प्यारेलाल द्वारा दिये गए संगीत में निर्मित गाने काफी लोकप्रिय हुए थे। इस फ़िल्म को काफी सराहा गया था !
संक्षेप
[संपादित करें]शारदा की शादी एक अमीर खानदान में ठाकुर प्रताप सिंह के साथ होती है और उसके दो बच्चे भी होते हैं। ठाकुर प्रताप सिंह के पिता अपने पड़ोसी विश्वंभर (अमरीश पुरी) और भानु (परेश रावल) पर दया दिखाते हुए अपने घर में रखते हैं और वो लोग पैसे वसूलने और चोरी का कार्य करते हैं। वो दोनों हस्ताक्षर में धोका दे कर सारी जमीन जायदाद अपने नाम कर लेते हैं।
ठाकुर प्रताप सिंह के पिता को कार में बम लगा कर उड़ा दिया जाता है और जब ठाकुर प्रताप सिंह को उनके योजना के बारे में पता चलता है तो उन्हें सार्वजनिक रूप से अपमानित किया जाता है और गंभीर रूप से पीटने के बाद उसे चाकू मार कर छोड़ दिया जाता है। शारदा अपने दो बेटों के साथ बच जाती है और कसम खाती है कि वो उन हत्यारों के मरने के बाद ही अपने पति की राख़ को बहाएगी।
विश्वंभर और बानू अब अमीर होने के बाद उसका आनंद उठाते रहते हैं। उन दो बेटों में से एक राम (जैकी श्रॉफ) एक पुलिस अधिकारी बन जाता है और दूसरा बेटा लखन (अनिल कपूर) एक नाचने वाला रहता है। राम अपने भाई को भ्रष्टाचार से दूर रखने की कोशिश करता रहता है।
कई सालों बाद राम भीषाम्बर के गैर-कानूनी कार्यों पर नजर रखते रहता है और लखन कैसे जल्द से जल्द अमीर हो जाऊँ और खेलकूद के बारे में ही सोचते रहता है। राम को गीता (डिंपल कपाड़िया) से प्यार हो जाता है।
लखन को पता चलता है कि केसरिया विलायती को पकड़ने के लिए बहुत बड़ा इनाम रखा गया है, तो वो इनाम के लालच में आ कर उसे पकड़ने के बारे में सोचने लगता है। वह उसे पकड़ कर इनाम प्राप्त कर लेता है। उसे पुलिस का काम बहुत आसान लगता है आर वो अपने भाई की तरह पुलिस वाला बन जाता है। उसके बाद वो अपने बचपन की दोस्त राधा (माधुरी दीक्षित) से मिलने की कोशिश करता है।
राम और लखन में झगड़ा होने लगता है, क्योंकि दोनों की सोच अलग अलग होती है। लखन अपने अधिकार का उपयोग कर अपराधियों की मदद करता है और पैसा कमाते रहता है। बाद में वो विश्वंभर के साथ मिल जाता है। उसके फंसने के बाद राम उसे बचा लेता है और सभी अपराधियों को पकड़ लेता है।
मुख्य कलाकार
[संपादित करें]- जैकी श्रॉफ - राम
- अनिल कपूर - लखन
- राखी - शारदा
- अमरीश पुरी - विश्वंभर
- माधुरी दीक्षित - राधा
- डिम्पल कपाड़िया - गीता
- परेश रावल - भानु
- अनुपम खेर - देवधर
- सईद जाफ़री - पुलिस कमिशनर
- रज़ा मुराद - सर जॉन
- दलीप ताहिल - प्रताप सिंह
- अन्नू कपूर - शिव चरन
- सतीश कौशिक -
- मुकरी -
संगीत
[संपादित करें]गीतकार - आनंद बख्शी
# | गीत | गायक |
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1 | "माइ नेम इज़ लखन" | मोहम्मद अज़ीज़, अनुराधा पौडवाल, नितिन मुकेश |
2 | "तेरा नाम लिया" | मनहर उधास, अनुराधा पौडवाल |
3 | "मैं हूँ हीरो" | मोहम्मद अज़ीज़, अमित कुमार, अलीशा चिनॉय |
4 | "बड़ा दुख दीना ओ रामजी" | लता मंगेशकर |
5 | "मेरे दो अनमोल रतन" - Version 1 | मोहम्मद अज़ीज़, कविता कृष्णमूर्ति |
6 | "बेखबर बेवफा" | अनुराधा पौडवाल |
7 | "मेरे दो अनमोल रतन" - Version 2 | कविता कृष्णमूर्ति, मोहम्मद अज़ीज़ |
नामांकन और पुरस्कार
[संपादित करें]35वें फिल्मफेयर पुरस्कार
- जीते
- फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री पुरस्कार - राखी गुलज़ार
- फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता पुरस्कार - अनुपम खेर और सतीश कौशिक
- नामित
- फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार
- फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार - सुभाष घई
- फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार - सतीश कौशिक
- फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार - लक्ष्मीकांत प्यारेलाल
- फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक पुरस्कार- मोहम्मद अज़ीज़
- फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका पुरस्कार - अनुराधा पौडवाल