मृत्युदंड (फ़िल्म)
मृत्युदंड | |
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मृत्युदंड का पोस्टर | |
निर्देशक | प्रकाश झा |
लेखक | प्रकाश झा |
निर्माता | प्रकाश झा |
अभिनेता |
शबाना आज़मी, माधुरी दीक्षित, अयूब ख़ान, शिल्पा शिरोडकर, ओम पुरी, मोहन आगाशे, मोहन जोशी |
संगीतकार | आनंद-मिलिंद |
प्रदर्शन तिथियाँ |
11 जुलाई, 1997 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
मृत्युदंड 1997 में बनी हिन्दी भाषा की नाट्य फिल्म है। इसका निर्देशन और निर्माण प्रकाश झा ने किया है और माधुरी दीक्षित, शबाना आज़मी, अयूब खान, शिल्पा शिरोडकर और ओम पुरी मुख्य भूमिकाओं में हैं। यह फिल्म सामाजिक और लिंग अन्याय पर एक टिप्पणी है।[1]
संक्षेप
[संपादित करें]काल्पनिक गाँव बिलासपुर, बिहार, भारत में दो भ्रष्ट ग्रामीण ठेकेदार तिरपत सिंह (मोहन जोशी) और उसका सहयोगी विधायक दुर्गा पांडे (हरीश पटेल) अन्य ग्रामीणों से वह चीजें करवाने के लिये कपट-प्रयोग करते हैं जिससे वो लाभान्वित हो। उनका मुख्य लक्ष्य दो भाई, अभय सिंह (मोहन आगाशे) और उसका छोटे भाई विनय (अयूब ख़ान) को अलग करना है। दोनों अपने पिता और संबंधित पत्नियों के साथ रहते हैं - अर्थात् दो बहनें - चंद्रावती (शबाना आज़मी) जो अभय से विवाहित है और केतकी जो विनय (माधुरी दीक्षित) से शादी कर रही है। कुछ हद तक उनके प्रयास काफी सफल हो जाते हैं जब अभय चंद्रावती को अपने पिता की देखभाल में छोड़ देता है और मंदिर में रहते हुए ब्रह्मचर्य ले लेता है जबकि इसी ही समय में विनय अपने निर्माण व्यवसाय में फंस जाता है। चंद्रावती अकेली और तहस-नहस हो जाती है और कुछ ही समय बाद सहानुभूतिपूर्ण पुरुष रामबरन मंटो (ओम पुरी) की पनाह लेती है, जिसके साथ वह अवैध संबंध साझा करती है। इस बीच विनय ने तिरपत और दुर्गा की असली वास्तविकता को केवल उनसे दूर खींचने के लिए पता चला। तब केनेकी के पीछे इस अपराध के एकमात्र गवाह के रूप में छोड़कर दिन के उजाले में विनय की मौत हो गई; विनय की मृत्यु के बाद दोनों ने शारीरिक रूप से परिवार की संपत्ति के लिए उसे पीड़ित करके केकी को अपना ध्यान बदल दिया। विनय केतकी से प्यार करता है, और जल्द ही दोनों शादी कर लेते हैं। केतकी अपने पति को तिरपत सिंह के बढ़ते प्रभाव से बचाने की कोशिश करती है, लेकिन विनय उसे अनदेखा करता है और यहाँ तक कि शारीरिक रूप से यातना देता है। उसे चेतावनी दी जाती है कि वह उसके मामलों में हस्तक्षेप न करे। हालाँकि, विनय बाद में महसूस करता है कि तिरपत ने उनकी दोस्ती का फायदा उठाया है और उसे धोखा दिया है। विनय नम्र हो जाता है, उसने केतकी से माफ़ी मांगी, और दोनों ने अपने संसाधनों को एक साथ रखा ताकि वे अपनी संपत्ति को पुनः प्राप्त कर सकें। तब केतकी को एकमात्र गवाह के रूप में छोड़कर दिन के उजाले में विनय की हत्या हो गई। विनय की मृत्यु के बाद दोनों आदमियों ने शारीरिक रूप से परिवार की संपत्ति के लिए केतकी को पीड़ित किया।
मुख्य कलाकार
[संपादित करें]- माधुरी दीक्षित - केतकी
- शबाना आज़मी - चंद्रावती
- अयूब ख़ान - विनय सिंह
- शिल्पा शिरोडकर - कांति
- ओम पुरी - रामबरन मंटो
- मोहन आगाशे - अभय सिंह
- मोहन जोशी - तिरपत सिंह
- प्यारेमोहन सहाय - विनय व अभय के पिता
- हरीश पटेल - दुर्गा पाण्डे
- आभा धूलिया - तिरपत सिंह की पत्नी
- सुहास भालेकर
- अच्युत पोद्दार - केतकी के पिता
- अजीत वाच्छानी - केतकी का रिश्तेदार
संगीत
[संपादित करें]सभी गीत जावेद अख्तर द्वारा लिखित; सारा संगीत आनंद-मिलिंद द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "कह दो एक बार सजना" | अलका याज्ञिक, उदित नारायण | 6:03 |
2. | "राजा मैं तो हो गई" | साधना सरगम | 5:44 |
3. | "रात महके तो यूँ भी" | साधना सरगम, हरिहरन | 4:43 |
4. | "कब से मैं हूँ खड़ी" | साधना सरगम | 4:54 |
5. | "तुम बिन मन की बात अधूरी" | कुमार सानु, साधना सरगम | 4:39 |
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "निजी जिंदगी से प्रेरित होकर प्रकाश झा ने बनाई ज्यादातर फिल्में". दैनिक भास्कर. 27 फरवरी 2015. मूल से 30 अक्तूबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 अक्टूबर 2018.