"आयो (उपग्रह)": अवतरणों में अंतर
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⚫ | '''आयो''' हमारे [[सौर मण्डल]] के पाँचवे ग्रह [[बृहस्पति (ग्रह)|बृहस्पति]] का तीसरा सब से बड़ा [[बृहस्पति के प्राकृतिक उपग्रह|उपग्रह]] है और यह पूरे सौर मंडल का चौथा सब से बड़ा चन्द्रमा है। आयो का व्यास (डायामीटर) 3,642 किमी है। बृहस्पति के चार प्रमुख उपग्रहों ([[गैनिमीड (उपग्रह)|गैनिमीड]], [[कलिस्टो (उपग्रह)|कलिस्टो]], आयो और [[यूरोपा (उपग्रह)|यूरोपा]]) में यह बृहस्पति की सब से क़रीबी [[कक्षा (भौतिकी)|कक्षा]] में परिक्रमा करने वाला चन्द्रमा है। बृहस्पति के इतना समीप होने की वजह से उस ग्रह के भयंकर [[गुरुत्वाकर्षण]] से पैदा होने वाला [[ज्वारभाटा बल]] आयो को गूंथता रहता है जिस से इस उपग्रह पर बहुत से [[ज्वालामुखी]] हैं। सन् 2010 तक आयो पर 400 से भी अधिक सक्रीय ज्वालामुखी गिने जा चुके थे। पूरे सौर मंडल में और कोई [[खगोलीय वस्तु|वस्तु]] नहीं जहाँ आयो से ज़्यादा [[भौगोलिक]] उथल-पुथल हो रही हो।<ref name="book">{{cite book|title=Encyclopedia of the Solar System|chapter=Io: The Volcanic Moon|author=Rosaly MC Lopes|publisher=Academic Press |year=2006|editor=Lucy-Ann McFadden, Paul R. Weissman, Torrence V. Johnson|pages=419–431 |isbn=978-0-12-088589-3}}</ref><ref name="Lopes2004">{{cite journal |title=Lava lakes on Io: Observations of Io’s volcanic activity from Galileo NIMS during the 2001 fly-bys |journal=Icarus |last=Lopes |first=R. M. C. |coauthors=''et al.'' |pages=140–174 |volume=169 |issue= 1|year=2004 |doi=10.1016/j.icarus.2003.11.013 |bibcode=2004Icar..169..140L}}</ref> सौर मंडल के बाहरी चंद्रमाओं की बनावट में ज़्यादातर बर्फ़ की बहुतायत होती है लेकिन आयो पर ऐसा नहीं है। आयो अधिकतर पत्थरीले पदार्थों का बना हुआ है। |
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== अन्य भाषाओं में == |
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== अकार और ढाँचा == |
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आयो [[पृथ्वी]] के [[चन्द्रमा]] से थोड़ा बड़ा है - उसका व्यास (डायमीटर) चन्द्रमा के व्यास से लगभग 5% अधिक है। आयो का ढाँचा पृथ्वी, शुक्र और मंगल जैसे पत्थरीले [[ग्रहों]] से मिलता-जुलता है। इसके बहरी भाग में [[सिलिकॉन|सिलिकेट]] और भीतरी भाग में [[लोहा]] या लोहे और [[गंधक]] (सलफ़र) का मिश्रण है। यह अंदरूनी धातु का केन्द्रीय भाग आयो के द्रव्यमान का 20% है। गैलिलेओ यान से मिली जानकारी के अनुसार सतह के नीचे एक पिघले पत्थर (मैग्मा) की 50 किमी मोटी तह होने की सम्भावना है जिसका तापमान 1,200 डिग्री सेंटीग्रेड के आसपास है। |
आयो [[पृथ्वी]] के [[चन्द्रमा]] से थोड़ा बड़ा है - उसका व्यास (डायमीटर) चन्द्रमा के व्यास से लगभग 5% अधिक है। आयो का ढाँचा पृथ्वी, शुक्र और मंगल जैसे पत्थरीले [[ग्रहों]] से मिलता-जुलता है। इसके बहरी भाग में [[सिलिकॉन|सिलिकेट]] और भीतरी भाग में [[लोहा]] या लोहे और [[गंधक]] (सलफ़र) का मिश्रण है। यह अंदरूनी धातु का केन्द्रीय भाग आयो के द्रव्यमान का 20% है। गैलिलेओ यान से मिली जानकारी के अनुसार सतह के नीचे एक पिघले पत्थर (मैग्मा) की 50 किमी मोटी तह होने की सम्भावना है जिसका तापमान 1,200 डिग्री सेंटीग्रेड के आसपास है। |
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14:52, 24 मई 2013 का अवतरण
गैलिलीयो यान द्वारा ली गयी आयो की तस्वीर - केन्द्रीय बिंदु से बाएं ओर का काला बिंदु प्रोमीथियस नामक विष्फोटित ज्वालामुखी है । |
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खोज
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खोज कर्ता | Galileo Galilei | ||||||
खोज की तिथि | January 8, 1610 [1] | ||||||
उपनाम
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प्रावधानिक नाम | Jupiter I | ||||||
विशेषण | Ionian | ||||||
पेरिएप्सिस | 420,000 km (0.002 807 AU) | ||||||
एपोऐप्सिस | 423,400 km (0.002 830 AU) | ||||||
माध्य कक्षीय त्रिज्या | 421,700 km (0.002 819 AU) | ||||||
विकेन्द्रता | 0.0041 | ||||||
परिक्रमण काल | 1.769 137 786 d (152 853.504 7 s, 42.459 306 86 h) | ||||||
औसत परिक्रमण गति | 17.334 km/s | ||||||
झुकाव | 2.21° (to the ecliptic) 0.05° (to Jupiter's equator) |
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स्वामी ग्रह | Jupiter | ||||||
भौतिक विशेषताएँ
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परिमाण | 3,660.0 × 3,637.4 × 3,630.6 km[2] | ||||||
माध्य त्रिज्या | 1,821.3 km (0.286 Earths)[2] | ||||||
तल-क्षेत्रफल | 41,910,000 km2 (0.082 Earths) | ||||||
आयतन | 2.53×1010 km3 (0.023 Earths) | ||||||
द्रव्यमान | 8.9319×1022 kg (0.015 Earths) | ||||||
माध्य घनत्व | 3.528 g/cm3 | ||||||
विषुवतीय सतह गुरुत्वाकर्षण | 1.796 m/s2 (0.183 g) | ||||||
पलायन वेग | 2.558 km/s | ||||||
घूर्णन | synchronous | ||||||
विषुवतीय घूर्णन वेग | 271 km/h | ||||||
अल्बेडो | 0.63 ± 0.02[3] | ||||||
सतह का तापमान Surface |
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सापेक्ष कांतिमान | 5.02 (opposition)[4] | ||||||
वायु-मंडल
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सतह पर दाब | trace | ||||||
संघटन | 90% sulfur dioxide |
आयो (Io), हमारे सौर मण्डल के पाँचवे ग्रह बृहस्पति का तीसरा सब से बड़ा उपग्रह है और यह पूरे सौर मंडल का चौथा सब से बड़ा चन्द्रमा है। आयो का व्यास (डायामीटर) 3,642 किमी है। बृहस्पति के चार प्रमुख उपग्रहों (गैनिमीड, कलिस्टो, आयो और यूरोपा) में यह बृहस्पति की सब से क़रीबी कक्षा में परिक्रमा करने वाला चन्द्रमा है। बृहस्पति के इतना समीप होने की वजह से उस ग्रह के भयंकर गुरुत्वाकर्षण से पैदा होने वाला ज्वारभाटा बल आयो को गूंथता रहता है जिस से इस उपग्रह पर बहुत से ज्वालामुखी हैं। सन् 2010 तक आयो पर 400 से भी अधिक सक्रीय ज्वालामुखी गिने जा चुके थे। पूरे सौर मंडल में और कोई वस्तु नहीं जहाँ आयो से ज़्यादा भौगोलिक उथल-पुथल हो रही हो।[6][7] सौर मंडल के बाहरी चंद्रमाओं की बनावट में ज़्यादातर बर्फ़ की बहुतायत होती है लेकिन आयो पर ऐसा नहीं है। आयो अधिकतर पत्थरीले पदार्थों का बना हुआ है।
अन्य भाषाओं में
आयो को अंग्रेज़ी में "Io" लिखा जाता है। आयो प्राचीन यूनानी धार्मिक कथाओं में ज़्यूस की प्रेमिका थी। ज़्यूस का यूनानी धर्म में वही स्थान है जो भारत में बृहस्पति का है। "ज्यूपिटर" ज़्यूस का रोमन नाम है।
अकार और ढाँचा
आयो पृथ्वी के चन्द्रमा से थोड़ा बड़ा है - उसका व्यास (डायमीटर) चन्द्रमा के व्यास से लगभग 5% अधिक है। आयो का ढाँचा पृथ्वी, शुक्र और मंगल जैसे पत्थरीले ग्रहों से मिलता-जुलता है। इसके बहरी भाग में सिलिकेट और भीतरी भाग में लोहा या लोहे और गंधक (सलफ़र) का मिश्रण है। यह अंदरूनी धातु का केन्द्रीय भाग आयो के द्रव्यमान का 20% है। गैलिलेओ यान से मिली जानकारी के अनुसार सतह के नीचे एक पिघले पत्थर (मैग्मा) की 50 किमी मोटी तह होने की सम्भावना है जिसका तापमान 1,200 डिग्री सेंटीग्रेड के आसपास है।
जब वैज्ञानिकों ने सबसे पहली बार आयो की सतह की तस्वीरें देखी उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ के उसपर उल्कापिंडों के गिरने से बने प्रहार क्रेटर नहीं थे जबकि चन्द्रमा, मंगल, बुध और बृहस्पति के उपग्रहों पर ऐसे बहुत से क्रेटर हैं। उसके बजाए उन्हें एक लाल, पीली, हरी रंग-बिरंगी सतह दिखी। इसकी वजह यह थी के बृहस्पति, गैनिमीड, कलिस्टो और यूरोपा के ज्वारभाटा बल से आयो बुरी तरह गूंथा जाता है और उसपर कई ज्वालामुखियों से लावा उगलता रहता है। यह लावा क्रेटर भर देता है और पूरी ज़मीन पर गंधक (सलफ़र) के रंग-बिरंगे रासायनिक यौगिक फैला देता है।
इन्हें भी देखें
बहरी कड़ियाँ
सन्दर्भ
- ↑ सन्दर्भ त्रुटि:
<ref>
का गलत प्रयोग;IAUMoonDiscoveries
नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है। - ↑ अ आ
Thomas, P. C. (1998). "The Shape of Io from Galileo Limb Measurements". Icarus. 135 (1): 175–180. डीओआइ:10.1006/icar.1998.5987. बिबकोड:1998Icar..135..175T. नामालूम प्राचल
|coauthors=
की उपेक्षा की गयी (|author=
सुझावित है) (मदद) - ↑ Yeomans, Donald K. (July 13, 2006). "Planetary Satellite Physical Parameters". JPL Solar System Dynamics. अभिगमन तिथि 2007-11-05.
- ↑ "Classic Satellites of the Solar System". Observatorio ARVAL. अभिगमन तिथि 2007-09-28.
- ↑ Rathbun, J. A.; Spencer, J.R.; Tamppari, L.K.; Martin, T.Z.; Barnard, L.; Travis, L.D. (2004). "Mapping of Io's thermal radiation by the Galileo photopolarimeter-radiometer (PPR) instrument". Icarus. 169 (1): 127–139. डीओआइ:10.1016/j.icarus.2003.12.021. बिबकोड:2004Icar..169..127R.
- ↑ Rosaly MC Lopes (2006). "Io: The Volcanic Moon". प्रकाशित Lucy-Ann McFadden, Paul R. Weissman, Torrence V. Johnson (संपा॰). Encyclopedia of the Solar System. Academic Press. पपृ॰ 419–431. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-12-088589-3.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: editors list (link)
- ↑ Lopes, R. M. C. (2004). "Lava lakes on Io: Observations of Io's volcanic activity from Galileo NIMS during the 2001 fly-bys". Icarus. 169 (1): 140–174. डीओआइ:10.1016/j.icarus.2003.11.013. बिबकोड:2004Icar..169..140L. नामालूम प्राचल
|coauthors=
की उपेक्षा की गयी (|author=
सुझावित है) (मदद)