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'''रतन टाटा''' ([[28 दिसंबर]] [[1937]], को [[मुम्बई]], में जन्मे) [[टाटा|टाटा समुह]] के पूर्व अध्यक्ष, जो [[भारत]] की सबसे बड़ी [[व्यापारिक]] समूह है, जिसकी स्थापना [[जमशेदजी टाटा]] ने की और उनके परिवार की पीढियों ने इसका विस्तार किया और इसे दृढ़ बनाया।
'''रतन टाटा''' ([[28 दिसंबर]] [[1937]], को [[मुम्बई]], में जन्मे) [[टाटा|टाटा समुह]] के पूर्व अध्यक्ष, जो [[भारत]] की सबसे बड़ी [[व्यापारिक]] समूह है, जिसकी स्थापना [[जमशेदजी टाटा]] ने की और उनके परिवार की पीढियों ने इसका विस्तार किया और इसे दृढ़ बनाया।

'''रतन नवल टाटा''' किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं, पूरी दुनिया उन्हें '''रतन टाटा''' के नाम से जानती है। वे न केवल भारत के दिग्गज उद्योपति हैं, बल्कि सबसे बड़े परोपकारी भी हैं। उनके बारे में कई किम्वदंतिया भी हैं, वे टाटा संस के पूर्व चेयरमैन हैं. रतन नवल टाटा गरीबों, छात्रों, शोधकर्ताओं और नवोन्मेषी व्यक्तियों का हमेशा ख्याल रखते हैं। उनके परोपकारी होने का सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि वे कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में दान देकर दुनिया के सबसे बड़े दानदाताओं की सूची में शामिल हो गए।<ref>{{Cite news|url=https://www.prabhatkhabar.com/tech-and-auto/ratan-tata-becomes-biggest-donor-by-donating-to-cornell-university-always-takes-care-of-poor-vwt|title=कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में दान देकर बने सबसे बड़े परोपकारी बने रतन टाटा|date=28 नवंबर 2023|work=प्रभात खबर|access-date=28 नवंबर 2023}}</ref>


[[1971]] में रतन टाटा को राष्ट्रीय रेडियो और इलेक्ट्रॉनिक्स कम्पनी लिमिटेड (नेल्को) का डाईरेक्टर-इन-चार्ज नियुक्त किया गया, एक कम्पनी जो कि सख्त वित्तीय कठिनाई की स्थिति में थी। रतन ने सुझाव दिया कि कम्पनी को उपभोक्ता [[इलैक्ट्रॉनिक्स|इलेक्ट्रॉनिक्स]] के बजाय [[उच्च प्रौद्योगिकी|उच्च-प्रौद्योगिकी]] उत्पादों के विकास में निवेश करना चाहिए [[जे आर डी टाटा|जेआरडी]] नेल्को के ऐतिहासिक वित्तीय प्रदर्शन की वजह से अनिच्छुक थे, क्यों कि इसने पहले कभी नियमित रूप से [[लाभांश]] का भुगतान नहीं किया था। इसके अलावा, जब रतन ने कार्य भार सम्भाला, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स नेल्को की बाज़ार में हिस्सेदारी [[२|2]]% थी और घाटा बिक्री का 40% था। फिर भी, जेआरडी ने रतन के सुझाव का अनुसरण किया।
[[1971]] में रतन टाटा को राष्ट्रीय रेडियो और इलेक्ट्रॉनिक्स कम्पनी लिमिटेड (नेल्को) का डाईरेक्टर-इन-चार्ज नियुक्त किया गया, एक कम्पनी जो कि सख्त वित्तीय कठिनाई की स्थिति में थी। रतन ने सुझाव दिया कि कम्पनी को उपभोक्ता [[इलैक्ट्रॉनिक्स|इलेक्ट्रॉनिक्स]] के बजाय [[उच्च प्रौद्योगिकी|उच्च-प्रौद्योगिकी]] उत्पादों के विकास में निवेश करना चाहिए [[जे आर डी टाटा|जेआरडी]] नेल्को के ऐतिहासिक वित्तीय प्रदर्शन की वजह से अनिच्छुक थे, क्यों कि इसने पहले कभी नियमित रूप से [[लाभांश]] का भुगतान नहीं किया था। इसके अलावा, जब रतन ने कार्य भार सम्भाला, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स नेल्को की बाज़ार में हिस्सेदारी [[२|2]]% थी और घाटा बिक्री का 40% था। फिर भी, जेआरडी ने रतन के सुझाव का अनुसरण किया।
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[[चित्र:TATA Nano.jpg|thumb|right|250px|रतन टाटा का सच हुआ सपना उनकी [[टाटा नैनो]] कार २००८]]
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रतन टाटा का सपना था कि 1,00,000 [[भारतीय रुपया|रु]] की लागत की कार बनायी जाए। ([[१९९८|1998]] : करीब .अमेरिकी डॉलर 2,200; आज अमेरिका). नई दिल्ली में ऑटो एक्सपो में 10 जनवरी, [[२००८]] को इस कार का उदघाटन कर के उन्होंने अपने सपने को पूर्ण किया। [[टाटा नैनो]] के तीन मॉडलों की घोषणा की गई और रतन टाटा ने सिर्फ [[१|1]] लाख रूपये की कीमत की कार बाजार को देने का वादा पूरा किया, साथ ही इस कीमत पर कार उपल्बध कराने के अपने वादे का हवाला देते हुये कहा "वादा एक वादा है"
रतन टाटा का सपना था कि 1,00,000 [[भारतीय रुपया|रु]] की लागत की कार बनायी जाए। ([[१९९८|1998]] : करीब .अमेरिकी डॉलर 2,200; आज अमेरिका<!--Translate this template and uncomment
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[[26 मार्च]] [[२००८]] को रतन टाटा के अधीन [[टाटा मोटर्स]] ने फोर्ड मोटर कम्पनी से जगुआर और लैण्ड रोवर को खरीद लिया। ब्रिटिश विलासिता की प्रतीक, जगुआर और [[लैंड रोवर]] ([[:en:Land Rover|Land Rover]]) 1.15 अरब पाउण्ड ($ 2.3 अरब),<ref>{{cite web|title = Times of India article: Jaguar is now an Indian beast|url = http://timesofindia.indiatimes.com/Jaguar_is_now_an_Indian_beast/articleshow/2902595.cms|access-date = 27 फ़रवरी 2009|archive-url = https://web.archive.org/web/20080625074026/http://timesofindia.indiatimes.com/Jaguar_is_now_an_Indian_beast/articleshow/2902595.cms|archive-date = 25 जून 2008|url-status = live}}</ref> में खरीदी गई।
[[26 मार्च]] [[२००८]] को रतन टाटा के अधीन [[टाटा मोटर्स]] ने फोर्ड मोटर कम्पनी से जगुआर और लैण्ड रोवर को खरीद लिया। ब्रिटिश विलासिता की प्रतीक, जगुआर और [[लैंड रोवर]] ([[:en:Land Rover|Land Rover]]) 1.15 अरब पाउण्ड ($ 2.3 अरब),<ref>{{cite web|title = Times of India article: Jaguar is now an Indian beast|url = http://timesofindia.indiatimes.com/Jaguar_is_now_an_Indian_beast/articleshow/2902595.cms|access-date = 27 फ़रवरी 2009|archive-url = https://web.archive.org/web/20080625074026/http://timesofindia.indiatimes.com/Jaguar_is_now_an_Indian_beast/articleshow/2902595.cms|archive-date = 25 जून 2008|url-status = live}}</ref> में खरीदी गई।
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रतन टाटा एक शर्मीले व्यक्ति हैं, समाज की झूठी चमक दमक में विश्वास नहीं करते हैं, सालों से [[मुम्बई]] के कोलाबा जिले में एक किताबों एवं कुत्तों से भरे हुये बेचलर फ्लैट में रह रहे हैं।<ref>{{cite web|title = Faces of Enterprise: Ratan Tata|url = http://www.rediff.com/money/2008/jan/02tata.htm|access-date = 9 जून 2008|archive-url = https://web.archive.org/web/20080418191744/http://www.rediff.com/money/2008/jan/02tata.htm|archive-date = 18 अप्रैल 2008|url-status = live}}</ref>
रतन टाटा एक शर्मीले व्यक्ति हैं, समाज की झूठी चमक दमक में विश्वास नहीं करते हैं, सालों से [[मुम्बई]] के कोलाबा जिले में एक किताबों एवं कुत्तों से भरे हुये बेचलर फ्लैट में रह रहे हैं।<ref>{{cite web|title = Faces of Enterprise: Ratan Tata|url = http://www.rediff.com/money/2008/jan/02tata.htm|access-date = 9 जून 2008|archive-url = https://web.archive.org/web/20080418191744/http://www.rediff.com/money/2008/jan/02tata.htm|archive-date = 18 अप्रैल 2008|url-status = live}}</ref>
रतन टाटा ने अपना नया उत्तराधिकारी चुन लिया है। [[सायरस मिस्त्री]] रतन टाटा का स्थान लेंगे लेकिन पूरी तरह उनकी जगह लेने से पहले वो एक साल तक उनके साथ काम करेंगे। दिसंबर 2012 में वो पूरी तरह समूह की जिम्मेदारी संभाल लेंगे। पलौनजी मिस्त्री के छोटे बेटे और शपूरजी-पलौनजी के प्रबंध निदेशक [[सायरस मिस्त्री]] ने लंदन के इंपीरियल कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक एवं लंदन बिजनेस स्कूल से प्रबंधन में डिग्री ली है। फिलहाल वो टाटा संस की सबसे बड़ी शेयरधारक कंपनी शापूरजी पैलनजी के प्रबंध निदेशक हैं। सायरस 2006 से ही टाटा समूह से जुड़े हैं, मिस्त्री साल 2006 से ही टाटा संस के निदेशक समूह से जुड़े हैं।
रतन टाटा ने अपना नया उत्तराधिकारी चुन लिया है। [[सायरस मिस्त्री]] रतन टाटा का स्थान लेंगे लेकिन पूरी तरह उनकी जगह लेने से पहले वो एक साल तक उनके साथ काम करेंगे। दिसंबर 2012 में वो पूरी तरह समूह की जिम्मेदारी संभाल लेंगे। पलौनजी मिस्त्री के छोटे बेटे और शपूरजी-पलौनजी के प्रबंध निदेशक [[सायरस मिस्त्री]] ने लंदन के इंपीरियल कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक एवं लंदन बिजनेस स्कूल से प्रबंधन में डिग्री ली है। फिलहाल वो टाटा संस की सबसे बड़ी शेयरधारक कंपनी शापूरजी पैलनजी के प्रबंध निदेशक हैं। सायरस 2006 से ही टाटा समूह से जुड़े हैं, मिस्त्री साल 2006 से ही टाटा संस के निदेशक समूह से जुड़े हैं।


[[रतन नवल टाटा]] का जन्म 28 दिसंबर 1937 को गुजरात के सूरत में हुआ<ref>{{Cite news|url=https://www.prabhatkhabar.com/tech-and-auto/ratan-tata-becomes-biggest-donor-by-donating-to-cornell-university-always-takes-care-of-poor-vwt|title=टाटा ग्रुप से कब जुड़े रतन टाटा|date=28 नवंबर 2023|work=प्रभात खबर|access-date=28 नवंबर 2023}}</ref>. उनके पिता का नाम नवल टाटा है. रतन टाटा जब 11 साल के हुए तो वर्ष 1948 में उनके माता-पिता एक-दूसरे से अलग हो गए. इसके बाद उनके पिता नवल टाटा ने सिमोन से शादी कर ली, जिससे उनके दो भाई जिमी और नोएल टाटा हुए. मां से अलग होने के बाद टाटा समूह के तत्कालीन प्रमुख होर्मुसजी टाटा ने रतन टाटा को गोद ले लिया और बाद में उनकी पत्नी नवाजबाई टाटा ने उनका लालन-पोषण किया.

'''रतन टाटा की पढ़ाई'''

रतन टाटा ने आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई तत्कालीन बंबई और अब [[मुंबई]] के कैंपियन स्कूल से की. इसके बाद उन्होंने इसी शहर के कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल, शिमला के [[बिशप कॉटन स्कूल, शिमला|बिशप कॉटन स्कूल]] से पढ़ाई की. स्कूली पढ़ाई खत्म करने के बाद रतन टाटा न्यूयॉर्क चले गए और वहां पर उन्होंने रिवरडेल कंट्री स्कूल वर्ष 1955 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की. स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद रतन टाटा ने [[कॉर्नेल विश्वविद्यालय|कॉर्नेल यूनिवर्सिटी]] में दाखिला लिया, जहां से उन्होंने 1959 में वास्तुकला में स्नातक की डिग्री हासिल की।


== पुरस्कार और मान्यता ==
== पुरस्कार और मान्यता ==
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== सम्मान ==
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''' रतन टाटा ''' को सन [[२०००]] में [[भारत सरकार]] ने [[उद्योग एवं व्यापार]] क्षेत्र में [[पद्म भूषण]] से सम्मानित किया था। ये [[गुजरात]] राज्य से हैं।
''' रतन टाटा ''' को सन [[२०००]] में [[भारत सरकार]] ने [[उद्योग एवं व्यापार]] क्षेत्र में [[पद्म भूषण]] से सम्मानित किया था। ये [[गुजरात]] राज्य से हैं।

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* [https://web.archive.org/web/20071219215929/http://www.tata.com/ टाटा समूह]
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* [https://web.archive.org/web/20061110235049/http://www.tata.com/0_about_us/management/ratan_tata01.htm टाटा वेबसाइट पर रतन टाटा की विवरणिका]
* [https://web.archive.org/web/20061110235049/http://www.tata.com/0_about_us/management/ratan_tata01.htm टाटा वेबसाइट पर रतन टाटा की विवरणिका]

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09:42, 22 दिसम्बर 2023 का अवतरण

रतन टाटा
जन्म 28 दिसम्बर 1937 (1937-12-28) (आयु 86)
बॉम्बे , बंबई प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश इंडिया
(वर्तमान में मुम्बई, महाराष्ट्र , भारत)
आवास कुलाबा, मुम्बई, भारत[1]
राष्ट्रीयता भारत भारतीय
जाति पारसी
शिक्षा की जगह कॉर्नेल विश्वविद्यालय
हार्वर्ड विश्वविद्यालय
पेशा टाटा समूह के निवर्तमान अध्यक्ष
कार्यकाल 1962–2012
कुल दौलत वृद्धि $291B (11/3/10)[2]
धर्म पारसी पन्थ
जीवनसाथी अविवाहित
माता-पिता नवल टाटा (पिता) और सोनू टाटा (माँ)
संबंधी जे॰ आर॰ डी॰ टाटा (चाचा)
सिमोन टाटा (सौतेली माँ)
नोएल टाटा (सौतेला भाई)
पुरस्कार पद्म विभूषण (2008)
OBE (2009)

रतन टाटा (28 दिसंबर 1937, को मुम्बई, में जन्मे) टाटा समुह के पूर्व अध्यक्ष, जो भारत की सबसे बड़ी व्यापारिक समूह है, जिसकी स्थापना जमशेदजी टाटा ने की और उनके परिवार की पीढियों ने इसका विस्तार किया और इसे दृढ़ बनाया।

1971 में रतन टाटा को राष्ट्रीय रेडियो और इलेक्ट्रॉनिक्स कम्पनी लिमिटेड (नेल्को) का डाईरेक्टर-इन-चार्ज नियुक्त किया गया, एक कम्पनी जो कि सख्त वित्तीय कठिनाई की स्थिति में थी। रतन ने सुझाव दिया कि कम्पनी को उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स के बजाय उच्च-प्रौद्योगिकी उत्पादों के विकास में निवेश करना चाहिए जेआरडी नेल्को के ऐतिहासिक वित्तीय प्रदर्शन की वजह से अनिच्छुक थे, क्यों कि इसने पहले कभी नियमित रूप से लाभांश का भुगतान नहीं किया था। इसके अलावा, जब रतन ने कार्य भार सम्भाला, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स नेल्को की बाज़ार में हिस्सेदारी 2% थी और घाटा बिक्री का 40% था। फिर भी, जेआरडी ने रतन के सुझाव का अनुसरण किया।

1972 से 1975 तक, अन्ततः नेल्को ने अपनी बाज़ार में हिस्सेदारी 20% तक बढ़ा ली और अपना घाटा भी पूरा कर लिया। लेकिन 1975 में, भारत की प्रधानमन्त्री इन्दिरा गांधी जी ने आपात स्थिति घोषित कर दी, जिसकी वजह से आर्थिक मन्दी आ गई।

इसके बाद 1977 में यूनियन की समस्यायें हुईं, इसलिए माँग के बढ़ जाने पर भी उत्पादन में सुधार नहीं हो पाया। अन्ततः, टाटा ने यूनियन की हड़ताल का सामना किया, सात माह के लिए तालाबन्दी कर दी गई। रतन ने हमेशा नेल्को की मौलिक दृढ़ता में विश्वास रखा, लेकिन उद्यम आगे और न रह सका।

1977 में रतन को Empress Mills सोंपा गया, यह टाटा नियन्त्रित कपड़ा मिल थी। जब उन्होंने कम्पनी का कार्य भार सम्भाला, यह टाटा समुह की बीमार इकाइयों में से एक थी। रतन ने इसे सम्भाला और यहाँ तक की एक लाभांश की घोषणा कर दी। चूँकि कम श्रम गहन उद्यमों की प्रतियोगिता ने इम्प्रेस जैसी कई उन कम्पनियों को अलाभकारी बना दिया, जिनकी श्रमिक संख्या बहुत ज्यादा थी और जिन्होंने आधुनिकीकरण पर बहुत कम खर्च किया था रतन के आग्रह पर, कुछ निवेश किया गया, लेकिन यह पर्याप्त नहीं था। चूँकि मोटे और मध्यम सूती कपड़े के लिए बाजार प्रतिकूल था (जो कि एम्प्रेस का कुल उत्पादन था), एम्प्रेस को भारी नुकसान होने लगा। बॉम्बे हाउस, टाटा मुख्यालय, अन्य ग्रुप कंपनिओं से फंड को हटाकर ऐसे उपक्रम में लगाने का इच्छुक नहीं था, जिसे लम्बे समय तक देखभाल की आवश्यकता हो। इसलिए, कुछ टाटा निर्देशकों, मुख्यतः नानी पालकीवाला ने ये फैसला लिया कि टाटा को मिल समाप्त कर देनी चाहिए, जिसे अन्त में 1986 में बन्द कर दिया गया। रतन इस फैसले से बेहद निराश थे और बाद में हिन्दुस्तान टाईम्स के साथ एक साक्षात्कार में उन्होंने दावा किया कि एम्प्रेस को मिल जारी रखने के लिए सिर्फ 50 लाख रुपये की जरुरत थी।

वर्ष 1981 में, रतन टाटा इंडस्ट्रीज़ और समूह की अन्य होल्डिंग कम्पनियों के अध्यक्ष बनाए गए, जहाँ वे समूह के कार्यनीतिक विचार समूह को रूपान्तरित करने के लिए उत्तरदायी तथा उच्च प्रौद्योगिकी व्यापारों में नए उद्यमों के प्रवर्तक थे।

1991 में उन्होंने जेआरडी से ग्रुप चेयर मेन का कार्य भार सम्भाला। टाटा ने पुराने गार्डों को बहार निकाल दिया और युवा प्रबन्धकों को जिम्मेदारियाँ दी गयीं। तब से लेकर, उन्होंने, टाटा ग्रुप के आकार को ही बदल दिया है, जो आज भारतीय शेयर बाजार में किसी भी अन्य व्यापारिक उद्यम से अधिक बाजार पूँजी रखता है।

रतन के मार्गदर्शन में, टाटा कंसलटेंसी सर्विसेस सार्वजनिक निगम बनी और टाटा मोटर्स न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हुई। 1998 में टाटा मोटर्स ने उनके संकल्पित टाटा इंडिका को बाजार में उतारा.

31 जनवरी २००७ को, रतन टाटा की अध्यक्षता में, टाटा संस ने कोरस समूह को सफलतापूर्वक अधिग्रहित किया, जो एक एंग्लो-डच एल्यूमीनियम और इस्पात निर्माता है। इस अधिग्रहण के साथ रतन टाटा भारतीय व्यापार जगत में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति बन गये। इस विलय के फलस्वरुप दुनिया को पाँचवाँ सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक संस्थान मिला।

रतन टाटा का सच हुआ सपना उनकी टाटा नैनो कार २००८

रतन टाटा का सपना था कि 1,00,000 रु की लागत की कार बनायी जाए। (1998 : करीब .अमेरिकी डॉलर 2,200; आज अमेरिका). नई दिल्ली में ऑटो एक्सपो में 10 जनवरी, २००८ को इस कार का उदघाटन कर के उन्होंने अपने सपने को पूर्ण किया। टाटा नैनो के तीन मॉडलों की घोषणा की गई और रतन टाटा ने सिर्फ 1 लाख रूपये की कीमत की कार बाजार को देने का वादा पूरा किया, साथ ही इस कीमत पर कार उपल्बध कराने के अपने वादे का हवाला देते हुये कहा "वादा एक वादा है"

26 मार्च २००८ को रतन टाटा के अधीन टाटा मोटर्स ने फोर्ड मोटर कम्पनी से जगुआर और लैण्ड रोवर को खरीद लिया। ब्रिटिश विलासिता की प्रतीक, जगुआर और लैंड रोवर (Land Rover) 1.15 अरब पाउण्ड ($ 2.3 अरब),[3] में खरीदी गई।

निजी जीवन

रतन टाटा एक शर्मीले व्यक्ति हैं, समाज की झूठी चमक दमक में विश्वास नहीं करते हैं, सालों से मुम्बई के कोलाबा जिले में एक किताबों एवं कुत्तों से भरे हुये बेचलर फ्लैट में रह रहे हैं।[4] रतन टाटा ने अपना नया उत्तराधिकारी चुन लिया है। सायरस मिस्त्री रतन टाटा का स्थान लेंगे लेकिन पूरी तरह उनकी जगह लेने से पहले वो एक साल तक उनके साथ काम करेंगे। दिसंबर 2012 में वो पूरी तरह समूह की जिम्मेदारी संभाल लेंगे। पलौनजी मिस्त्री के छोटे बेटे और शपूरजी-पलौनजी के प्रबंध निदेशक सायरस मिस्त्री ने लंदन के इंपीरियल कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक एवं लंदन बिजनेस स्कूल से प्रबंधन में डिग्री ली है। फिलहाल वो टाटा संस की सबसे बड़ी शेयरधारक कंपनी शापूरजी पैलनजी के प्रबंध निदेशक हैं। सायरस 2006 से ही टाटा समूह से जुड़े हैं, मिस्त्री साल 2006 से ही टाटा संस के निदेशक समूह से जुड़े हैं।

पुरस्कार और मान्यता

भारत के ५०वे गणतंत्र दिवस समारोह पर २६ जनवरी २०००, रतन टाटा को तीसरे नागरिक अलंकरण पद्म भूषण[5] से सम्मानित किया गया। उन्हें २६ जनवरी २००८ भारत के दुसरे सर्वोच्च नागरिक अलंकरण पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। वे नैसकॉम ग्लोबल लीडरशिप (NASSCOM Global Leadership) पुरस्कार -२००८ प्राप्त करने वालों में से एक थे। ये पुरस्कार उन्हें १४ फ़रवरी २००८ को मुम्बई में एक समारोह में दिया गया। रतन टाटा ने २००७ में टाटा परिवार की ओर से परोपकार का कारनैगी पदक प्राप्त किया।[6][7]

रतन टाटा भारत में विभिन्न संगठनों में वरिष्ठ पदों पर कार्यरत हैं और वे प्रधानमंत्री की व्यापार एवं उद्योग परिषद के सदस्य हैं। मार्च २००६ में टाटा को कॉर्नेल विश्वविद्यालय द्वारा २६ वें रॉबर्ट एस सम्मान से सम्मानित किया गया। आर्थिक शिक्षा में हैटफील्ड रत्न सदस्य, वह सर्वोच्च सम्मान जो विश्वविद्यालय कंपनी क्षेत्र में प्रतिष्ठित व्यक्तियों को प्रदान करती है।[8]

रतन टाटा के विदेशी संबंधों में मित्सुबिशी निगम (Mitsubishi Corporation), अमेरिकन इंटरनेशनल समूह (American International Group), जेपी मॉर्गन चेज़ (JP Morgan Chase) और बूज़ एलन हैमिल्टन (Booz Allen Hamilton) के अंतरराष्ट्रीय सलाहकार बोर्ड की सदस्यता शामिल है। वे रैंड निगम (RAND Corporation) और अपनी मातृसंस्था (alma mater) : कॉर्नेल विश्वविद्यालय (Cornell University) और दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय (University of Southern California) के न्यासी मंडल के भी सदस्य हैं।[9]

वे दक्षिण अफ्रीका गणराज्य की अंतरराष्ट्रीय निवेश परिषद के बोर्ड सदस्य हैं और न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज के एशिया -पैसिफिक सलाहकार समिति के एक सदस्य हैं। टाटा एशिया पैसिफिक पॉलिसी के रैंड केंद्र के सलाहकार बोर्ड, पूर्व-पश्चिम केन्द्र के बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स में हैं और बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (Bill & Melinda Gates Foundation) के भारत एड्स इनिशीएटिव कार्यक्रम बोर्ड में सेवारत हैं। फरवरी २००४ में, रतन टाटा को चीन के झोज्यांग प्रान्त में हांग्जो (Hangzhou) शहर में मानद आर्थिक सलाहकार की उपाधि से सम्मानित किया गया।

उन्हें हाल ही में लन्दन स्कूल ऑफ़ इकॉनॉमिक्स (London School of Economics) से मानद डॉक्टरेट की उपाधि हासिल हुई और नवम्बर 2007 में फॉर्च्यून पत्रिका ने उन्हें व्यापर क्षेत्र के २५ सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया। मई 2008 में टाटा को टाइम पत्रिका की 2008 की विश्व के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया गया टाटा की अपनी छोटी १ लाख रूपये की कार, 'नैनो' के लिए सराहना की गई। उन महत्तवपूर्ण व्यक्तियों में से एक जिसने अपने वादे का पालन किया।

सम्मान

रतन टाटा को सन २००० में भारत सरकार ने उद्योग एवं व्यापार क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। ये गुजरात राज्य से हैं।

सन्दर्भ

  1. The amazing story of how Ratan Tata built an empire Archived 2011-06-09 at the वेबैक मशीन. रीडिफ (21 अक्टूबर 2010)
  2. [www.forbes.com/profile/ratan-tata/ "#61 Ratan Tata"] जाँचें |url= मान (मदद). Forbes.
  3. "Times of India article: Jaguar is now an Indian beast". मूल से 25 जून 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 फ़रवरी 2009.
  4. "Faces of Enterprise: Ratan Tata". मूल से 18 अप्रैल 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 जून 2008.
  5. "Padma Vibhushan, Padma Bhushan, Padma Shri awardees" [पद्म विभूषण, पद्म भूषण, पद्म श्री पुरस्कार विजेता] (अंग्रेज़ी में). द हिन्दू. २७ जनवरी २००१. मूल से 14 नवंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ८ दिसम्बर २०१३.
  6. "Carnegie Medal of Philanthropy, 2007". मूल से 2 जून 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 जून 2008.
  7. "Tata: Carnegie Medal of Philanthropy, 2007". मूल से 30 मई 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 जून 2008.
  8. "26th Robert S. Hatfield Fellow in Economic Education - Announcement". मूल से 4 जुलाई 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 जून 2008.
  9. न्यासी मंडल Archived 2011-07-26 at the वेबैक मशीन, दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, १३ अप्रैल,२००८, को उपलब्ध.

बाहरी कड़ियाँ