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मनोग्रसित-बाध्यता विकार

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मनोग्रसित-बाध्यता विकार
Obsessive–compulsive disorder
मनोग्रसित-बाध्यता विकार से ग्रसित कुछ लोग बार-बार हाथ धोते हैं।
विशेषज्ञता क्षेत्रमनोचिकित्सा (Psychiatry)
लक्षणकिसी एक ही चीज या कुछ चीजों की बार-बार जाँच करना, कुछ काम बार-बार करना, कोई विचार बार-बार आना[1]
जटिलताTics, anxiety disorder, suicide[2][3]
उद्भवBefore 35 years[1][2]
कारणअज्ञात[1]
संकटChild abuse, stress[2]
निदानBased on the symptoms[2]
विभेदक निदानAnxiety disorder, major depressive disorder, eating disorders, obsessive–compulsive personality disorder[2]
चिकित्साCounseling, selective serotonin reuptake inhibitors, tricyclic antidepressants[4][5]
आवृत्ति2.3%[6]

मनोग्रसित-बाध्यता विकार (obsessive–compulsive disorder /OCD) एक तरह का चिन्ता विकार है। इस विकार से ग्रसित व्यक्ति एक ही चीज की बार-बार जाँच करने की आवश्यकता अनुभव करता है, कुछ विशेष कामों को बार-बार करता है (जैसे बार-बार हाथ धोना), या कुछ विचार उसके मन में बार-बार आते हैं। अर्थात उस व्यक्ति में बाध्यताओं (कम्पल्सन्स) या मनोग्रस्तियों के लक्षण पाए जाते हैं। ऐसे अन्तर्वेधी (intrusive) विचार आते हैं जिनके कारण बेचैनी, डर, चिन्ता पैदा होती है। [1]

इस विकार से ग्रसित व्यक्ति जो काम प्रायः करते हैं, वे ये हैं- बार-बार हाथ धोना, बार-बार वस्तुओं को गिनना, बार-बार जाकर देखना कि दरवाजा बन्द है कि नहीं।[1] ये क्रियाएँ वह इतनी बार करता है कि उसका दैनिक जीवन ही प्रभावित होने लगता है।[1] प्रायः दिन भर में इन कामों में वह कम से कम एक घण्टा तो खपा ही देता है। [2] अधिकांध वयस्क लोगों को यह लगता भी है कि ऐसा व्यवहार का कोई मतलब नहीं है। [1]

इसके प्रमुख लक्षण हैं-

  • अत्यधिक धोना या साफ करना
  • बार-बार किसी चीज को जाँचना
  • अत्यधिक वस्तुएँ जमा करना (hoarding)
  • कामुक, हिंसक या मजहबी विचारों में डूबे रहना, आदि

एक 35 वर्षीय शादीशुदा, 2 बच्चों की माँ जो कि पिछले करीब 8-10 वर्षो से कुछ ज्यादा ही सफाई पसन्द हो गई है। पहले तो वो आस-पास के लोगों से काफी मिलजुल कर रहती थी, काफी आना जाना रहता था, लेकिन धीरे-धीरे वो अपने घर में ही रहने लगी है। अक्सर वो कुछ न कुछ धोती या पोंछती रहती थी, उनका घर ज्यादा साफ-सुथरा लगता था, लेकिन वो कुछ ज्यादा ही सफाई पसंद हो गई। अब तो हालात यह है कि दिसम्बर-जनवरी की ठिठुरती रातों को भी आप उनको पानी से अपना चबूतरा धोता देख सकते है। यहाँ तक कि जाड़ों में रोज वो अपना कम्बल, रजाई और गद्दों को भी पानी से धोकर घर के बाहर सूखने को पसार देती है।

इसका मुख्य कारण मष्तिष्क में कुछ खास किस्म के रसायनों के स्तर में गड़बड़ी होना है, जैसे कि सेरोटोनिन (Serotonin) आदि। यह गडबड़ी अनुवांशिक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कारणों के मिश्रण से होती है।

आजकल उपचार के आधुनिक तरीकों से अधिकतर मरीजों को काफी राहत देना संभव है। हाँ, इलाज का असर का पता चलने में 8 सप्ताह या उससे अधिक भी लग सकता है। शुरू में काफी लोगों को ऐसा भी लग सकता है कि इलाज बेअसर है। इसे बंद करना चाहिए, मगर मनोःचिकित्सक के परामर्शानुसार इलाज करते रहने से अधिकतर मरीजों को फायदा महसूस होता है।[7] इस विकार के उपचार में जितना दवाओं का महत्व है उतना ही महत्व मनोवैज्ञानिक पद्धति से इलाज का यानि कि मनश्चिकित्सा (साईकोथेरापी ; विशेषकर के एक्सपोजर एवं रेस्पोंस प्रिवेन्शन (ERP)) का भी है।

सन्दर्भ

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  1. The National Institute of Mental Health (NIMH) (जनवरी 2016). "What is Obsessive-Compulsive Disorder (OCD)?". U.S. National Institutes of Health (NIH). मूल से 23 जुलाई 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 जुलाई 2016.
  2. Diagnostic and statistical manual of mental disorders : DSM-5 (5 संस्करण). Washington: American Psychiatric Publishing. 2013. पपृ॰ 237–242. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780890425558.
  3. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; Ang2015 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  4. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; NEJM2014 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  5. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; Ve2014 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  6. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; Good2014 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  7. [https://web.archive.org/web/20141006095920/http://cipranchi.nic.in/cipranchi_adm/writereaddata/upload/files/manasik/UKO.pdf Archived 2014-10-06 at the वेबैक मशीन उजाले की ओर (केन्द्रीय मनश्चिकित्सा संस्थान, राँची]