भारतीय स्पिट्ज (कुत्ता)
भारतीय स्पिट्ज | |
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एक मादा भारतीय स्पिट्ज | |
वैज्ञानिक वर्गीकरण |
भारतीय स्पिट्ज स्पिट्ज नस्ल के कुत्तों का भारतीय संस्करण है। इस नस्ल के कुत्तों को इनके शांत स्वभाव के कारण लोगों द्वारा अपने घर पर अधिकाधिक पाला जाता हैं। इनकी विशेषता लम्बे, मोटे और सफेद फर हैं, जो इन्हें एक आकर्षक रूप प्रदान करते हैं। इनके नुकीले कान और थूथन होते हैं। इनकी पूँछ आमतौर पर पीठ की तरफ मुड़ी हुई होती है। इस नस्ल के छोटे कुत्तों की शक्ल लोमड़ियों से मिलती-जुलती है, जबकि बड़े कुत्तों की शक्ल भेड़ियों से मिलती-जुलती है। इन कुत्तों की उत्पत्ति और विकास के सम्बन्ध में वैज्ञानिकों में मतभेद है, हालांकि वर्तमान समय में देखे जाने वाले अधिकांश स्पिट्ज कुत्तों को आर्कटिक या साइबेरिया में विकसित किया जाता है। 1980 और 1990 के दशक में जब भारत के आयात नियमों के कारण अन्य नस्ल के कुत्तों को भारत में आयात करना मुश्किल हो गया था, उस वक्त भारतीय स्पिट्ज यहाँ सबसे लोकप्रिय कुत्तों में से एक बन गए थें।[1]
एक वयस्क भारतीय स्पिट्ज कुत्ते का वजन 5 से 7 किलोग्राम के बीच होता है। इनकी लम्बाई 35 से 45 सेंटीमीटर तक हो सकती है। इन कुत्तों का रंग आमतौर पर विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं, जैसे- दूधिया सफेद, सांवला, भूरा और काला। भारतीय स्पिट्ज की औसत उम्र 16 साल होती है। इनका रूप पोमेरेनियन और समोयेड कुत्तों से मेल खाता है।[2]
इतिहास
[संपादित करें]भारतीय स्पिट्ज कुत्तों का इतिहास बहुत प्राचीन नहीं है। इस नस्ल को पहली बार 19 वीं शताब्दी के दौरान अंग्रेजों के द्वारा भारत लाया गया था। भारतीय स्पिट्ज कुत्तों को जर्मन स्पिट्ज कुत्तों के उत्तराधिकारी के रूप में जाना जाता हैं। दरअलस, अंग्रेज भारत में कुत्तों की एक ऐसी नस्ल तैयार करना चाहते थें, जो यहाँ के गर्म मौसम के अनुसार ढल सके और साथ ही जिनमें जर्मन स्पिट्ज नस्ल के कुत्तों की तरह बुद्धिमत्ता भी हो। इस तरह जर्मन स्पिट्ज नस्ल के कुत्तों का भारत में आगमन हुआ। जर्मन स्पिट्ज मूल रूप से ठण्डे वातावरण में रहने वाले कुत्तों की एक नस्ल है लेकिन एक लम्बी वंश परम्परा और प्रजनन के बाद इन कुत्तों ने भारत के गर्म मौसम के अनुसार स्वयं को ढाल लिया। 1980 और 1990 के दशक में भारत सरकार ने आयात नियमों पर कुछ प्रतिबंध लगा दिए, जिसके फलस्वरूप विदेशी कुत्तों का आयात भारत में लगभग बंद हो गया। ऐसी स्थिति में भारतीयों ने स्वदेशी एवं स्थानीय नस्ल के कुत्तों के प्रति दिलचस्पी दिखाई। चूँकि भारतीय स्पिट्ज हर जलवायु के अनुकूल थें और इनका व्यवहार शांत, सौम्य एवं मिलनसार था, इस कारण ये लोगों की पहली पसन्द बन गए।[3]
पोमेरेनियन कुत्तों से अंतर
[संपादित करें]पोमेरेनियन नस्ल के कुत्तों और भारतीय स्पिट्ज कुत्तों के रूप में काफ़ी समानता होने के कारण अक्सर लोगों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है परन्तु पोमेरेनियन का आकार भारतीय स्पिट्ज से छोटा होता है। पोमेरेनियन का थूथन भी भारतीय स्पिट्ज से छोटा होता है। पोमेरेनियन का फर भारतीय स्पिट्ज में मुकाबले मोटा होता है, इसके अलावा पोमेरेनियन का रंग सफेद ना होकर ज्यादातर भूरे रंग का होता है। पोमेरेनियन की तुलना में भारतीय स्पिट्ज के कान अधिक लम्बे और नुकीले होते हैं। हालांकि पोमेरेनियन और भारतीय स्पिट्ज दोनों ही मूल रूप से जर्मन स्पिट्ज के वंशज हैं, जिनके विकास में वातावरण की भिन्नता के कारण अंतर आ गया है।[4]
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "Breeds of dog in India". www.bihartimes.in. Retrieved 14 March 2019.
- ↑ "Indian Spitz Dog Breed Information: All You Need to Know | DTUA". dtua.org (in अमेरिकी अंग्रेज़ी). 2022-12-02. Archived from the original on 28 मार्च 2023. Retrieved 2023-01-29.
- ↑ Thakur, Karan (17 अक्टूबर 2021). "स्पिट्ज कुत्ते की किंमत क्या है । Spitz Dog Price In India". Retrieved 27 जून 2023.
- ↑ Cats, Dogs and (14 जनवरी 2022). "पोमेरेनियन और भारतीय स्पिट्ज के बीच अंतर". www.doggy-catty.com. Retrieved 27 जून 2023.