दन्ताघातन

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एक सिंह दूसरे सिंह को खेल-खेल में काट लेता है।

दन्ताघातन एक सामान्य प्राणी व्यवहार है जिसमें किसी वस्तु के परितः जबड़े का सक्रिय, तेजी से बंद होना शामिल है। यह व्यवहार स्तनधारी, सरीसृप, उभयचर और मछली जैसे दन्तल प्राणियों में पाया जाता है, किन्तु सन्धिपाद में भी उपस्थित हो सकता है। चर्वण पेशियों का पेशी संकुचन उस बल को उत्पन्न करने हेतु जिम्मेदार होता है जो प्रारंभिक जबड़े के संकुचन (अपवर्तन) का आरम्भ करता है, फिर तेजी से जबड़े को जोड़ता (अभिवर्तन) करता है और ऊपर और निम्न दन्तों को परस्पर की ओर ले जाता है, जिसके फलस्वरूप दन्ताघातन की तीव्र क्रिया होती है। [1]

अधिकांश स्थूल जीवों के जीवन में दन्ताघातन मुख्य कार्यों में से एक है, जो उन्हें चारा खोजने, आखेट, खादन, निर्माण, क्रीडा, संव्याध और रक्षा का क्षमता प्रदान करता है। दन्ताघातन शिकारी या क्षेत्रीय इरादों के कारण शारीरिक आक्रामकता का एक रूप हो सकता है, किन्तु यह पशु की एक सामान्य गतिविधि भी हो सकती है क्योंकि यह खाता है, वस्तुओं को उठाता है, नरम करता है और अपने बच्चों के लिए भोजन तैयार करता है, बाह्यपरजीवी या परेशान करने वाली बाह्य पदार्थ को हटाता है, शरीर की सतह से, स्वयं को खरोंचते हैं, और अन्य पश्वों को संवारते हैं ।

पशु दन्ताघातन से अक्सर गंभीर छिद्राघात, ऐंठन, भंग, रक्तस्राव, संक्रमण, विषाक्तन और मृत्यु हो जाती है । [2] आधुनिक मानव समाज में, श्वदन्ताघातन सबसे सामान्य प्रकार है, और चेहरा सबसे आम लक्ष्य होते हैं । [3] अन्य जातियाँ जो मानव के प्रति ऐसा व्यवहार प्रदर्शित कर सकती हैं, वे हैं साधारणतः आक्रामक नगरीय पशु जैसे कि जंगली बिल्ली, मकड़ियाँ और साँप, सूक्ष्म शिकारी जैसे पिशाच चर्मचटिका और रक्तभक्षी सन्धिपाद (उदाहरणार्थ मच्छर, पिस्सू, यूका, खटमल और किलनी, जिनके "दन्ताघात" वास्तव में "दंश" होते हैं), या खतरनाक वन्य मांसाशी जैसे भेड़िये, बड़ी बिल्लियाँ, भालू, मगरमच्छ और शिकारी मछलियाँ (जैसे हाँगर और पिरञ)।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Ferrara, T.L.; Clausen, P.; Huber, D.R.; McHenry, C.R.; Peddemors, V.; Wroe, S. (2011). "Mechanics of biting in great white and sandtiger sharks". Journal of Biomechanics. 44 (3): 430–435. PMID 21129747. डीओआइ:10.1016/j.jbiomech.2010.09.028.
  2. Cherry, James (2014). Feigin and Cherry's textbook of pediatric infectious diseases – Animal and Human Bites, Morven S. Edwards. Philadelphia, PA: Elsevier/Saunders. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-4557-1177-2; Access provided by the University of Pittsburgh
  3. Kenneth M. Phillips (2009-12-27). "Dog Bite Statistics". मूल से 2010-09-21 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2010-08-06.