जहाँगीर
सलीम जहाँगीर | |
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४ मुगल सम्राट | |
शासनावधि | 3 नवंबर 1605 - 28 अक्टूबर 1627 ( 21 साल, 359 दिन) |
राज्याभिषेक | 24 नवंबर 1605, आगरा |
पूर्ववर्ती | अकबर |
उत्तरवर्ती | शाहजहाँ |
जन्म | सलीम 31 अगस्त 1569 फ़तेहपुर सीकरी में शेख सलीम चिश्ती की कुटिया में हुआ |
निधन | 28 अक्टूबर 1627 चिंगारी सिरी | (उम्र 58 वर्ष)
समाधि | |
जीवनसंगी | नूर जहाँ जगत गोसाई |
संतान | निसार बेगम खुसरौ मिर्ज़ा परवेज़ बहार बनू बगुम शाह जहाँ शहरयार जहाँदार |
घराना | तिमुरिड |
पिता | अकबर |
माता | मरियम उज़-ज़मानी |
धर्म | इस्लाम |
जहाँगीर अकबर के जेष्ठ पुत्र थे। मुराद और दानियाल उनके छोटे भाई थे। मुराद और दानियाल पिता के जीवन में शराब पीने की वजह से मर चुके थे। जहांगीर का प्रथम विवाह 1585 ई. में मानबाई से हुआ जो आमेर के राजा भगवानदास की पुत्री व मान सिंह की बहन थी। इसके बाद उनका दूसरा विवाह मारवाड़ के राजा उदयसिंह की पुत्री जगतगोसाई से हुआ। सलीम अकबर की मृत्यु के पश्चात नूरुद्दीन मोहम्मद जहांगीर के उपनाम से मुग़ल बादशाह बने। 1605 ई. में कई उपयोगी सुधार लागू किए। कान और नाक और हाथ आदि काटने की सजा रद्द कीं। शराब और अन्य नशा हमलावर वस्तुओं का हकमा बंद। कई अवैध महसूलात हटा दिए। प्रमुख दिनों में जानवरों का ज़बीहह बंद. फ़्रीआदीं की दाद रस्सी के लिए अपने महल की दीवार से जंजीर लटका दी। जिसे जंजीर संतुलन कहा जाता था।[1]
1605 ई. में उसके सबसे बड़े बेटे ख़ुसरो ने विद्रोह कर दिया। और आगरे से निकलकर पंजाब तक जा पहुंचा। जहांगीर ने उसे हराया। सिखों के 5वें गुरु अर्जुन देव, जो ख़ुसरो की मदद कर रहे थे, को फांसी दे दी गयी। 1614 ई. में राजकुमार खुर्रम शाहजहां ने मेवाड़ के राणा अमर सिंह को हराया। 1620 ई. में कानगड़ह स्वयं जहांगीर ने जीत लिया। 1622 ई. में कंधार क्षेत्र हाथ से निकल गया। जहांगीर ही समय में अंग्रेज सर 'टामस रो' राजदूत द्वारा, पहली बार भारतीय व्यापारिक अधिकार करने के इरादे से आया। 1623 ई. में खुर्रम ने विद्रोह कर दिया। क्योंकि नूरजहाँ अपने दामाद शहरयार को वली अहद बनाने की कोशिश कर रही थी। अंत 1625 ई. में बाप और बेटे में सुलह हो गई।[2]
सम्राट जहांगीर अपनी आत्मकथा 'तुजुक-ए-जहाँगीरी'में लिखते हैं कि गुलाब से इत्र निकलने की विधि नूरजहां बेगम की मां (अस्मत बेगम) ने आविष्कार किया था। जहांगीर चित्रकारी और कला का बहुत शौकीन था। उसने अपने हालात एक किताब तज्जुके जहांगीर में लिखे हैं। उसे शिकार से भी प्रेरित थी।अफीम और शराब के जादा सेवन के कारण अंतिम दिनों में बीमार रहता था। 28 अक्टूबर 1627 ई. में कश्मीर से वापस आते समय रास्ते में ही भीमवार नामक स्थान पर निधन हो गया। लाहौर के पास शहादरा में रावी नदी के किनारे दफनाया गया। जहांगीर के समय को चित्रकला का स्वर्णकाल कहा जाता है।
जहाँगीर जन्म: 31 अगस्त 1569 मृत्यु: 28 अक्टूबर 1627
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राजसी उपाधियाँ | ||
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पूर्वाधिकारी अकबर |
मुगल सम्राट 1605-1627 |
उत्तराधिकारी शाहजहां |
मुग़ल सम्राटों का कालक्रम

सन्दर्भ
- ↑ Reviews, C. T. I. (2016). Connections, A World History, Volume 1: World history, World history (in अंग्रेज़ी). Cram101 Textbook Reviews. ISBN 9781490257839. Archived from the original on 29 जुलाई 2018. Retrieved 29 जुलाई 2018.
- ↑ Hindustan), Jahangir (Emperor of (1990). Jahān̐gīranāmā. Nāgarīpracāriṇī Sabhā. Archived from the original on 29 जुलाई 2018. Retrieved 29 जुलाई 2018.
बाहरी कड़ियाँ
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