खादिम जाति

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खादिम जाति

यह जाती भारत के राजस्थान राज्य और पाकिस्तान में पाई जाती है। अजमेर के भील धर्म के लोगो के मुस्लिम धर्म में परिवर्तन के फलस्वरूप एक नई जाती बनी जिसे खादिम जाति के नाम से जाना गया। अजमेर में स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के खादिम भील पूर्वजों के वंशज है।[1] वर्तमान में चढ़ावों और नज़रानो की वजह से तथा समाज में विशेष सम्मान और ख्याति व प्रसिद्धि प्राप्त करने के लिए यह लोग अपना नसब इस्लाम के अंतिम पैगम्बर साहब से जोड़ खुद को उनकी संतान बताने की कोशिश करते रहते हैं,और इसलिए कुछ सौ वर्षों से खुद के उपनाम में सैयद भी लागाने लगे हैं, इस चकाचौन्द भरी जिंदगी में आकर अपने पूर्वजों को भुला दिया है और खुद की नस्ल बदल कर सैयद (सैयादजादा) तथा शैख (शैखजादा) बताने लगे हैं। [2][3][4][5][6]

संदर्भ[संपादित करें]

  1. "In the Court of Treasury officer and Magistrate First Class Ajmer Criminal Case no. 70 of 1928". Cite journal requires |journal= (मदद)
  2. Currie, P. M. (2006). The shrine and cult of Muʻīn al-Dīn Chishtī of Ajmer (New संस्करण). Delhi: Oxford University Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0195683295.
  3. जमालुद्दीन जौहर, गजाला प्रकाशन (2006). Islam Ka Bhartiy Karan इस्लाम का भारतीय करण اسلام کا بھارتیے کرن.
  4. अकीदत मंद ख्वाजा साहब, Devotees of Khwaja Saheb (1995). Khadimon Ki Kahani Itihas Ki Zubani खादिमों कि कहानी इतिहास की ज़ुबानी خادموں کی کہانی اٹھاس کی زبانی.
  5. Devotee Of Hazrat Khwaja Saheb Ajmer (1995). The Correct And Real Religious Positions Of The Khadims Chowkidar Of Dargah Hazrat Khwaja Saheb Ajmer (English में).सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  6. "भीलों के चुंगल में अजमेर वाले ख़्वाजा". न्याय समाचार पत्र. 1994.