एस श्रीनिवास अयंगर

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शेषाद्रि श्रीनिवास अयंगर
शेषाद्रि श्रीनिवास अयंगर का चित्र

मद्रास के गवर्नर की कार्यकारिणी काउन्सिल के सदस्य
पद बहाल
1916–1920
राज्यपाल John Sinclair, 1st Baron Pentland,
Freeman Freeman-Thomas, 1st Marquess of Willingdon,

मद्रास प्रेसिडेन्सी के ऐडवोकेट-जनरल
पद बहाल
1912–1920

जन्म 11 सितम्बर 1874
रामनाथपुरम जिला, ब्रिटिश भारत
मृत्यु 19 मई 1941(1941-05-19) (उम्र 66)
मद्रास
शैक्षिक सम्बद्धता प्रेसीडेन्सी कॉलेज, मद्रास
व्यवसाय Lawyer
पेशा एटॉर्नी जनरल, राजनेता

शेषाद्रि श्रीनिवास अयंगर सी. आई. ई. (11 सितंबर 1874 - 19 मई 1941) एक भारतीय वकील, स्वतंत्रता सेनानी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजनेता थे। वे 1916 से 1920 तक मद्रास प्रेसीडेंसी के महाधिवक्ता थे। उन्होंने 1912 से 1920 तक बार काउंसिल के सदस्य के रूप में, 1916 से 1920 तक मद्रास प्रेसीडेंसी के विधि सदस्य के रूप और 1923 से 1930 तक मद्रास प्रांत की भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के स्वराज्य पार्टी गुट के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। श्रीनिवास अयंगर प्रसिद्ध वकील और मद्रास के प्रथम भारतीय महाधिवक्ता सर वेम्बौकुम भाष्यम अयंगर के दामाद थे। अयंगर के अनुयायी उन्हें दक्षिण का शेर कहते थे।

श्रीनिवास अयंगर का जन्म मद्रास प्रेसीडेंसी के रामनाथपुरम जिले में हुआ था। उन्होंने कानून में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और मद्रास उच्च न्यायालय में एक वकील के रूप में वकालत की। 1916 में वे महाधिवक्ता बने। उन्होंने बार काउंसिल के सदस्य के रूप में भी कार्य किया और उन्हें गवर्नर की कार्यकारी परिषद के कानून सदस्य के रूप मे नामित किया गया। उन्होंने जलियांवाला बाग नरसंहार के विरोध में 1920 में अपने महाधिवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया और अपना सी. आई. ई. की उपाधि भी वापस कर दी तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए। उन्होंने असहयोग आंदोलन में भाग लिया। हालाँकि, 1923 में, चुनाव में भाग लेने को लेकर महात्मा गांधी के साथ मतभेदों के कारण वे मोतीलाल नेहरू और चित्तरंजन दास आदि नेताओं के साथ कांग्रेस से अलग हो गए। अलग हुए गुट ने बाद में स्वराज्य पार्टी का गठन किया। अयंगर ने तमिलनाडु कांग्रेस समिति और बाद में मद्रास प्रांत स्वराज्य पार्टी के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया और 1926 के चुनावों में बहुमत हासिल करने के बावजूद जब पार्टी ने प्रांत में सरकार बनाने से इनकार कर दिया तो वह पार्टी के नेता थे। बाद के जीवन में, उन्होंने इंडिपेंडेंस ऑफ इंडिया लीग की स्थापना की और साइमन कमीशन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन आयोजित किए। डोमिनियन दर्जे के लक्ष्य को लेकर अन्य कांग्रेस राजनेताओं के साथ मतभेदों के कारण उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया। 1938 में वे कुछ समय के लिए राजनीति में लौट आए। 19 मई 1941 को अयंगर का मद्रास में उनके घर पर निधन हो गया।

श्रीनिवास अयंगर मद्रास बार के सबसे कम उम्र के वकील थे जिन्हें महाधिवक्ता बनाया गया। श्रीनिवास अयंगर स्वतंत्रता सेनानी यू. मुथुरामलिंगम थेवर और सत्यमूर्ति के मार्गदर्शक भी थे। के. कामराज को उनकी सबसे बड़ी खोज माना जाता है जो बाद में तमिलनाडु कांग्रेस समिति के अध्यक्ष बने और 1954 से 1962 तक मद्रास के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। श्रीनिवास अयंगर की 1939 की पुस्तक "मेयनेज़ हिंदू लॉज़" (Mayne's Hindu laws) एक बहुत प्रशंसित और बहुपठित पुस्तक है।

जब श्रीनिवास अयंगर नेता के रूप में कार्यरत थे तब ई. वी. रामास्वामी और जस्टिस पार्टी के अन्य राजनेता कांग्रेस को ब्राह्मणों के प्रभुत्व वाली पार्टी कहकर उसकी प्रायः उसकी आलोचना करते थे। ऐसा इसलिए था क्योंकि अयंगर, सत्यमूर्ति और सी. राजगोपालाचारी जैसे शीर्ष कांग्रेसी नेता सभी ब्राह्मण थे।

प्रारंभिक जीवन[संपादित करें]

श्रीनिवास अयंगर का जन्म 11 सितंबर 1874 को रामनाथपुरम जिले के एक प्रमुख जमींदार शेषाद्रि अयंगर के घर हुआ था।[1][2][3] उनके माता-पिता मद्रास प्रेसीडेंसी के रूढ़िवादी श्री वैष्णव ब्राह्मण थे।[1] श्रीनिवास अयंगर की स्कूली शिक्षा मदुरै में हुई। उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज, मद्रास से स्नातक किया।[2][4] उनकी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा उनकी मातृभाषा तमिल में हुई थी।[5]

विधिक व्यवसाय[संपादित करें]

श्रीनिवास अयंगर ने 1898 में मद्रास उच्च न्यायालय में वकील के रूप में वकालत शुरू की।[2][3][4] उन्हें हिंदू धर्मशास्त्रों का व्यापक ज्ञान था और इससे उन्हें अपनी पहचान बनाने में मदद मिली।[2] जल्द ही, अयंगर सी. शंकरन नायर के लिए दाहिने हाथ बन गए।[6] इसी काल में, भारतीय स्वतंत्रता सेनानी एस. सत्यमूर्ति ने अयंगर के अधीन एक जूनियर के रूप में काम किया।[7] बाद में, उन्होंने अयंगर के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया। सत्यमूर्ति ने अयंगर के अधीन काम किया जब वे स्वराज्य पार्टी के अध्यक्ष थे।[8] बाद में उन्होंने अयंगर को अपना "राजनीतिक संरक्षक" कहा।[6][8]

1911 में, भूपेंद्रनाथ बसु ने शाही विधायिका (mperial legislature) में नागरिक विवाह विधेयक पेश किया।[9] इस विधेयक की कड़ी आलोचना हुई। अयंगर ने विधेयक के लिए आंदोलनों का नेतृत्व किया। वी. कृष्णस्वामी अय्यर की मृत्यु के बाद जब चरमपंथियों ने उनकी आलोचना की, तो अयंगर ने उनका बचाव किया।[6]

1912 में, अयंगर को मद्रास बार काउंसिल में नियुक्त किया गया। उन्होंने 1912 से 1916 तक सेवा की।[10] 1916 में, वह मद्रास प्रेसीडेंसी के महाधिवक्ता बने जो इस पद पर काबिज होने वाले अब तक के सबसे कम उम्र के व्यक्ति थे।[1][2][11] उन्होंने 1912 से 1916 तक मद्रास सीनेट के सदस्य के रूप में भी कार्य किया।[4][11]

श्रीनिवास अयंगर की सेवाओं को मान्यता प्रदान करते हुए उन्हें 1920 के नए साल के सम्मान में कम्पैनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ द इंडियन एम्पायर (CIE) नियुक्त किया गया था।[12][13] अयंगर ने 1916 से 1920 तक मद्रास के गवर्नर की कार्यकारी परिषद में कानून सदस्य के रूप में भी कार्य किया।[2][13]

राजनीतिक गतिविधियां[संपादित करें]

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन[संपादित करें]

निधन[संपादित करें]

1939 में द्वितीय विश्व युद्ध के शुरू होने के समय अयंगर ने पुनः राजनीतिक जीवन में प्रवेश किया। उस समय इस बात पर बहस चल रही थी कि भारतीयों को ब्रिटेन का साथ देना चाहिये या भारतीय सेना के इस युद्ध में प्रवेश का विरोध करना चाहिये।

19 मई 1941 को मद्रास में अपने आवास पर उनकी अचानक मृत्यु हो गई।

कृतियाँ[संपादित करें]

  • S. Srinivasa Iyengar; John D. Mayne (1939). Mayne's Treatise on Hindu Law and Usage. Madras: Higginbotham's.

नोट्स[संपादित करें]

जीवनी[संपादित करें]

  • K. R. Srinivasa Iyengar (1939). S. Srinivasa Iyengar: the story of a decade in Indian politics. Basel Mission Press (Canarag, Ltd.).
  • Kadayam Ramachandra Ramabhadra Sastry (1972). S. Srinivasa Iyengar. Publications Division, Ministry of Information and Broadcasting, Govt. of India.

संदर्भ[संपादित करें]

  • Some Madras Leaders. 1922.
  1. Vijaya Ramaswamy (2007). Historical Dictionary of the Tamils. The Scarecrow Press. पृ॰ 93. ISBN 0810853795, ISBN 978-0-8108-5379-9. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> अमान्य टैग है; "srinibio_dictionaryoftamilsp93" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है
  2. Sayed Jafar Mahmud (1994). Pillars of Modern India. APH Publishing. पृ॰ 61. ISBN 8170245869, ISBN 978-81-7024-586-5. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> अमान्य टैग है; "pillarsofmodernindiap61" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है
  3. "Indian National Congress-Past Presidents:S Srinivasa Iyengar, President-Gauhati, 1926". Indian National Congress. मूल से 28 September 2007 को पुरालेखित. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> अमान्य टैग है; "aicc_bio" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है
  4. The Times of India directory and year book, including who's who. Bennett, Coleman & Co. 1923. पृ॰ 813. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> अमान्य टैग है; "toi_whoswhop813" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है
  5. The great Indians. One India One People Foundation. पृ॰ 204. ISBN 8172733186, ISBN 978-81-7273-318-6.
  6. Some Madras Leaders, Pg 11
  7. Saroja Sundararajan (1983). S. Satyamurti, a political biography. Satvahan. पृ॰ 15.
  8. Saroja Sundarrajan (1989). March to freedom in Madras Presidency, 1916–1947. Lalitha Publications. पृ॰ 358.
  9. K. Subrahmanyam (1984). The press and the national movement in South India, Andhra, 1905–1932. New Era Publications. पृ॰ 127.
  10. M. Naeem Qureshi (1999). Pan-Islam in British Indian Politics: A Study of the Khilafat Movement, 1918–1924. Brill. पृ॰ 468. ISBN 9004113711, ISBN 978-90-04-11371-8.
  11. G. C. Sondhi (1948). To the gates of liberty: Congress commemoration volume. G. C. Sondhi. पृ॰ 204.
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    , 30 December 1919.
  13. K. R. Srinivasa Iyengar, Pg 5