अवध
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उत्तर भारत का ऐतिहासिक स्थान अवध | |
Location | उत्तर प्रदेश |
State established: | 1722 AD (modern) with Ayodhya as its capital. |
भाषाएँ | अवधी, हिन्दुस्तानी, हिंदी, |
राजवंश | नवाब (1722–1858) |
Historical capitals | |
Split divisions | लखनऊ मंडल, अयोध्या मंडल, देवीपाटन मंडल, कानपुर मंडल, प्रयागराज मंडल |
अवध वर्तमान उत्तर प्रदेश के एक भाग का नाम है जो प्राचीन काल में कोशल कहलाता था। इसकी राजधानी "अयोध्या" थी। अवध शब्द अयोध्या से ही निकला है। अवध की राजधानी प्रारम्भ में "अयोध्या" थी किन्तु बाद में लखनऊ आई थी। अवध पर नवाबों का आधिपत्य था जो प्रायः स्वतंत्र थे। चूंकि अवध के नवाब शिया मुसलमान थे अतः अवध में इसलाम के इस संप्रदाय को विशेष संरक्षण मिला। उर्दू कविता का भी प्रसिद्ध केंद्र रहा। दिल्ली केंद्र के नष्ट होने पर बहुत से दिल्ली के भी प्रसिद्ध उर्दू कवि लखनऊ वापस चले आए थे। अवध की पारम्परिक राजधानी लखनऊ है।
भौगोलिक रूप से अवध की आधुनिक परिभाषा - लखनऊ, सुल्तानपुर, रायबरेली, उन्नाव, कानपुर, भदोही, प्रयागराज, बाराबंकी,अयोध्या, अम्बेडकर नगर, प्रतापगढ़ , बहराइच, बलरामपुर, गोंडा, हरदोई, लखीमपुर खीरी, कौशाम्बी, सीतापुर, श्रावस्ती उन्नाव, फतेहपुर, कानपुर, (जौनपुर, और मिर्जापुर के पश्चिमी हिस्सों), कन्नौज, पीलीभीत, शाहजहांपुर से बनती है। प्राचीन काल में आवध की राजधानी "अयोध्या" थीं।
इतिहास[संपादित करें]
सन् 1764 ई. में बक्सर के युद्ध में अवध के नवाब हार गए, परन्तु लार्ड क्लाइव ने अवध उनको लौटा दिया, केवल इलाहाबाद और कड़ा जिलों को क्लाइव ने मुगल सम्राट् शाहआलम को दे दिया। वारेन हेस्टिंग्ज़ ने पीछे नवाब की सहायता करके रुहेलखंड को भी अवध में सम्मिलित करा दिया और शाहआलम से अप्रसन्न होकर प्रयागराज और कड़ा को अवध के नवाब के सुपुर्द कर दिया। 1775 ई. में अंग्रेजों ने अवध के नवाब से बनारस का जिला ले लिया और 1801 में रुहेलखंड ले लिया। इस प्रकार अवध कभी बड़ा, कभी छोटा होता रहा।
1856 में अंग्रेज़ों ने अवध को अपने अधिकार में कर लिया। 1857 के विद्रोह में अवध अंग्रेजों के हाथ से निकल गया था परंतु डेढ़ वर्ष की लड़ाई में अंतिम विजय अंग्रेजों की हुई। 1902 में आगरा और अवध के प्रांतों को एक में मिलाकर नया प्रांत बनाया गया जिसका नाम आगरा और अवध का "संयुक्त प्रांत" रखा गया, लिसे संक्षेप में "संयुक्त प्रांत" अथवा अंग्रेजी में केवल "यू.पी." कहा जाता था। इसी प्रांत का नामकरण उत्तर प्रदेश हो गया है जिसे अंग्रेजी में लिखे नाम के आदि अक्षरों के आधार पर अब भी "यू.पी." कहा जाता है।
सन्दर्भ[संपादित करें]
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
- अवध संस्कृति विश्वकोश, भाग-१ (लेखक-सूर्यप्रसाद दीक्षित)
- अवध संस्कृति विश्वकोश, भाग-२ (लेखक-सूर्यप्रसाद दीक्षित)