अब्बासी ख़िलाफ़त
Islamic Abbasid Caliphate अब्बासी खिलाफत الخلافة العباسي الاسلامية | |||||
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चित्र में अब्बासी खिलाफत लाल रंग में प्रदर्शित है।
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राजधानी | बगदाद | ||||
भाषाएँ | अरबी भाषा (official), अरमेइन, अरमियन, बर्बर, जार्जियन, ग्रीक, हिब्रू, फारसी | ||||
धार्मिक समूह | इस्लाम | ||||
शासन | साम्राज्य | ||||
अमीर अल-मूमिनीन¹ | |||||
- | 721–754 | अश सफ्फाह | |||
- | 786–809 | हारुन अल रशीद | |||
- | 1261–1262 | अल मूतासिर II | |||
- | 1242–1258 | अल मूस्तसीम | |||
इतिहास | |||||
- | स्थापित | 750 ईस्वी | |||
- | अंत | 1258 ईस्वी | |||
Area | 1,00,00,000 किमी ² (38,61,022 वर्ग मील) | ||||
जनसंख्या | |||||
- | est. | 5,00,00,000 | |||
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5 /किमी ² (12.9 /वर्ग मील) | ||||
मुद्रा | अब्बासी दिनार | ||||
¹ अमीर अल-मूमिनीन (أمير المؤمنين), ख़लीफ़ा (خليف) | |||||
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खिलाफत خِلافة |
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प्रमुख खिलाफत |
समानांतर ख़िलाफ़त |
इस्लाम प्रवेशद्वार |
अब्बासी (अरबी: العبّاسيّون, अल-अब्बासियून; अंग्रेज़ी: Abbasids) वंश के शासक इस्लाम के ख़लीफ़ा थे जो सन् 750 के बाद से 1257 तक इस्लाम के धार्मिक प्रमुख और इस्लामी साम्राज्य के शासक रहे। इनके पूर्वज मुहम्मद साहब से संबंधित थे इसलिए इनको सुन्नियो के साथ साथ शिया विचारधारा के मुसलमानों का भी बहुत सहयोग मिला जिसमें ईरान तथा ख़ोरासान तथा शाम की जनता शामिल थी। इस जनसहयोग की बदौलत उन्होंने उमय्यदों को हरा दिया और ख़लीफ़ा बनाए गए। उन्होंने उमय्यदों के विपरीत साम्राज्य में ईरानी तत्वों को समावेश किया और उनके काल में इस्लामी विज्ञान, कला तथा ज्योतिष में काफ़ी नए विकास हुए।[1]
सन् 762 में उन्होंने बग़दाद की स्थापना की जहाँ ईरानी सासानी निर्माण कला तथा अरबी संस्कृति से मिश्रित एक राजधानी का विकास हुआ। यद्यपि 10वीं सदी में उनकी वंशानुगत शासन की परम्परा टूट गई पर ख़िलाफ़त बनी रही। इस परंपरा टूटने के कारण शिया इस्लाम में इस्माइली तथा बारहवारी सम्प्रदायों का जन्म हुआ जो इस्लाम के उत्तराधिकारी के रूप में मुहम्मद साहब के विभिन्न वंशजों का समर्थन करते थे। उनके काल में इस्लाम भारत में भी फैल गया लेकिन 1257 में उस समय अमुस्लिम रहे मंगोलों के आक्रमण से बग़दाद नष्ट हो गया।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Canfield, Robert L. (2002). Turko-Persia in Historical Perspective. Cambridge University Press. पृ॰ 5. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780521522915.