भारत में कोरोनावायरस महामारी का आर्थिक प्रभाव

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भारत में कोरोनावायरस महामारी का आर्थिक प्रभाव
तिथि मार्च 2020 – वर्तमान
कारण कोरोना महामारी की वजह से बाजार में अस्थिरता और लॉकडाउन
परिणाम
  • बेरोजगारी में तीव्र बढ़त
  • आपूर्ति श्रृंखलाओं पर तनाव
  • सरकारी आय में कमी
  • पर्यटन उद्योग का पतन
  • आतिथ्य उद्योग का पतन
  • उपभोक्ता गतिविधि में कमी
  • ईंधन की खपत में गिरावट। एलपीजी की बिक्री में वृद्धि।

भारत में 2020 कोरोनावायरस महामारी का आर्थिक प्रभाव काफी हद तक विघटनकारी रहा है।[1] सांख्यिकी मंत्रालय के अनुसार वित्त वर्ष 2020 की चौथी तिमाही में भारत की वृद्धि दर घटकर 3.1% रह गई। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का अनुमान है कि भारतीय अर्थव्यवस्था -4.5 की दर से सिकुड़ जायेगी।[2][3]

पृष्ठभूमि[संपादित करें]

विश्व बैंक और रेटिंग एजेंसियों ने शुरू में वित्त वर्ष 2021 के लिए भारत के विकास का पूर्वानुमान किया जो कि भारत के 1990 के दशक में आर्थिक उदारीकरण के बाद के तीन दशकों में सबसे कम आंकड़ों के साथ देखा गया अनुमान था। रिपोर्ट में वर्णित है कि यह महामारी ऐसे वक्त में आई है जबकि वित्तीय क्षेत्र पर दबाव के कारण पहले से ही भारतीय अर्थव्यवस्था सुस्ती की मार झेल रही थी। कोरोना वायरस के कारण इस पर और दवाब बढ़ा गया है। हालाँकि, मई के मध्य में आर्थिक पैकेज की घोषणा के बाद भारत के सकल घरेलू उत्पाद के अनुमानों को नकारात्मक आंकड़ों से और भी अधिक घटा दिया गया था। यह एक गहरी मंदी का संकेत था। 26 मई को, क्रिसिल ने घोषणा की कि यह स्वतंत्रता के बाद से भारत की सबसे खराब मंदी होगी।[4]

भारत सरकार ने केरल में 30 जनवरी 2020 को कोरोनावायरस के पहले मामले की पुष्टि की जब वुहान के एक विश्वविद्यालय में पढ़ रहा छात्र भारत लौटा था।[5] 22 मार्च तक भारत में कोविड-19 के पॉजिटिव मामलों की संख्या 500 तक थी, इसलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 19 मार्च को सभी नागरिकों को 22 मार्च रविवार को सुबह 7 से 9 बजे तक 'जनता कर्फ्यू' करने को कहा था।[6]

लॉकडाउन[संपादित करें]

24 मार्च को नरेन्द्र मोदी द्वारा 21 दिनों की अवधि के लिए उस दिन की मध्यरात्रि से देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा हुई।[7] उन्होंने यह भी कहा कि लॉकडाउन जनता कर्फ्यू की तुलना में सख्त लागू किया जाएगा।[8]

कोरोनावायरस के कारण पूरे देश में लाॅकडाउन होने के कारण कई सरकारी व्यवसाय और उद्योग प्रभावित हुए हैं। घरेलू आपूर्ति और मांग प्रभावित होने के चलते आर्थिक वृद्धि दर प्रभावित हुई है। वहीं जोखिम बढ़ने से घरेलू निवेश में सुधार में भी देरी होने की संभावना दिख रही है। विश्व बैंक के अनुसार इस महामारी की वजह से भारत ही नहीं बल्कि समूचा दक्षिण एशिया गरीबी उन्मूलन से मिलें फायदे को गँवा सकता है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ ने कहा है कि कोरोना वायरस सिर्फ़ एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट नहीं रहा, बल्कि ये एक बड़ा लेबर मार्केट और आर्थिक संकट भी बन गया है जो लोगों को बड़े पैमाने पर प्रभावित करेगा। लॉकडाउन का सबसे ज़्यादा असर अनौपचारिक क्षेत्र पर पड़ा है और हमारी अर्थव्यवस्था का 50 प्रतिशत जीडीपी अनौपचारिक क्षेत्र से ही आता है, ऐसे में ये क्षेत्र लॉकडाउन के दौरान काम नहीं कर पा रहे, वो कच्चा माल नहीं ख़रीद पा रहे और बनाया हुआ माल बाज़ार में नहीं बेच पा रहे जिससे उनकी कमाई बंद सी पड़ गई।[9] कोरोनावायरस दुनिया में कहीं और की तुलना में भारत में तेजी से फैल रहा है, भारत में वर्तमान में 36 लाख से अधिक मामले हैं, और 65 हजार से अधिक मौतें हुई हैं। इस कारण भारत में मज़दूरों की कमी को कारण रोजगार को बड़ा नुकसान हुआ है।[10][11] अर्थशास्त्रियों का कहना है कि सार्वजनिक वित्त को लेकर खींचतान के बीच कोरोनावायरस मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है और मुद्रास्फीति बढ़ने का मतलब है कि सुधार जल्दी नहीं हो सकती है। कुछ का कहना है कि अर्थव्यवस्था में मार्च 2021 के माध्यम से वर्ष में लगभग 10 प्रतिशत का संकुचन देखा जा सकता है।[12] लाॅकडाउन के शुरू के दिनो में वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने देश में 5 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को साकार करने के लिए घरेलू उद्योग को अधिक आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया था।[13]

लॉकडाउन के दौरान अनुमानित 14 करोड़ लोगों ने रोजगार खो दिया जबकि कई अन्य लोगों के लिए वेतन में कटौती की गई थी। देश भर में 45% से अधिक परिवारों ने पिछले वर्ष की तुलना में आय में गिरावट दर्ज की है। पहले 21 दिनों के पूर्ण लॉकडाउन के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था को हर दिन 32,000 करोड़ से अधिक की हानि होने की आशंका थी। पूर्ण लॉकडाउन के तहत भारत के $2.8 ट्रिलियन आर्थिक संरचना का एक चौथाई से भी कम गतिविधि कार्यात्मक थी।[14] अनौपचारिक क्षेत्रों में कर्मचारी और दिहाड़ी मजदूर सबसे अधिक जोखिम वाले लोग हैं। देश भर में बड़ी संख्या में किसान जो विनाशशील फल-सब्जी उगाते हैं, उन्हें भी अनिश्चितता का सामना करना पड़ा।[15] महामारी से ठीक पहले, सरकार ने कम विकास दर और कम मांग के बावजूद 2024 तक अर्थव्यवस्था को अनुमानित $2.8 ट्रिलियन से $5 ट्रिलियन तक बदलने का लक्ष्य रखा था।[16]

सुधार के सम्भव प्रयास[संपादित करें]

भारत सरकार ने स्थिति से निपटने के लिए कई उपायों की घोषणा की जिनमें खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और राज्यों के लिए अतिरिक्त धन और कर चुकाने की समय सीमा बढ़ाना।[17] 26 मार्च को गरीबों के लिए कई तरह के आर्थिक राहत उपायों की घोषणा की गई जो कुल 1,70,000 करोड़ से अधिक थे।[18] अगले दिन भारतीय रिजर्व बैंक ने भी कई उपायों की घोषणा की जो देश की वित्तीय प्रणाली को 3,74,000 करोड़ उपलब्ध कराएंगे। साथ ही भारतीय रिज़र्व बैंक ने अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए मार्च के बाद से प्रमुख ब्याज दरों में 115 आधार अंकों (1.15 प्रतिशत अंक) की कमी की है।[19] विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक ने कोरोनावायरस महामारी से निपटने के लिए भारत को समर्थन को मंजूरी दी।

12 मई को प्रधान मंत्री ने राष्ट्र के नाम एक संबोधन में 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' की घोषणा की। इसमें समग्र आर्थिक पैकेज के रूप में 20 लाख करोड़ का पॅकेज घोषित किया गया। यह भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 10% है। हालांकि यह प्रधानमंत्री द्वारा 12 मई को घोषित किया गया था लेकिन इसमें आरबीआई की घोषणाओं सहित पिछले सरकारी राहत पॅकेज को शामिल किया गया था। 15 मार्च को बेरोजगारी दर 6.7% थी जो 19 अप्रैल को बढ़कर 26% हो गई। फिर मध्य जून तक पूर्व-लॉकडाउन स्तर पर वापस आ गई।[20] नरेंद्र मोदी द्वारा मई में घोषित जीडीपी के 10 प्रतिशत के बराबर एक प्रोत्साहन पैकेज, जिसमें बैंक ऋण पर क्रेडिट गारंटी और गरीबों को मुफ्त अनाज शामिल हैं। इस पर कई अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि उस समर्थन का अधिकांश हिस्सा पहले से ही सरकार द्वारा बजट में लिया गया था और इसमें बहुत कम खर्च शामिल था।[21]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "लॉकडाउन में राहत के बाद भी ग्रोथ क्यों नहीं कर पा रही अर्थव्यवस्था? जानें". जनसत्ता. 13 जुलाई 2020. अभिगमन तिथि 25 जुलाई 2020.
  2. "कोरोना के सामने घुटनों पर आई दुनिया की अर्थव्यवस्था". आज तक. मूल से 29 जून 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 जुलाई 2020.
  3. "आईएमएफ ने कहा, कोविड-19 का लगातार फैलाव भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए खतरा". हिन्दुस्तान लाइव. अभिगमन तिथि 25 जुलाई 2020.
  4. "कोरोना वायरस के कारण भारत में पैदा हुईं आर्थिक चुनौतियां". ORF. मूल से 10 मई 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 जुलाई 2020.
  5. Ward, Alex (2020-03-24). "India's coronavirus lockdown and its looming crisis, explained". Vox (अंग्रेज़ी में). मूल से 28 मार्च 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2020-03-25.
  6. Bureau, Our. "PM Modi calls for 'Janata curfew' on March 22 from 7 AM-9 PM". @businessline (अंग्रेज़ी में). मूल से 20 मार्च 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 March 2020.
  7. "India's 1.3bn population told to stay at home". BBC News (अंग्रेज़ी में). 2020-03-25. मूल से 31 मार्च 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 March 2020.
  8. "पूरा देश लॉकडाउन की ओर, 31 मार्च से पहले फिर हो सकता है जनता कर्फ्यू का आह्वान". अमर उजाला. अभिगमन तिथि 25 जुलाई 2020.
  9. "कोरोना का प्रभाव, 2020 में 4.5 फीसदी GDP का अनुमान: सरकार". अमर उजाला. मूल से 9 जुलाई 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 जुलाई 2020.
  10. "At -23.9%, GDP Contracts For First Time In Over Four Decades". NDTV.com.
  11. "Coronavirus Update (Live): 25,592,318 Cases and 853,437 Deaths from COVID-19 Virus Pandemic - Worldometer". www.worldometers.info (अंग्रेज़ी में).
  12. "At -23.9%, GDP Contracts For First Time In Over Four Decades". NDTV.com.
  13. अहमद, ज़ुबैर (1 मई 2020). "कोरोना महामारी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था स्वदेशी की तरफ़ जाएगी?". BBC News हिंदी. मूल से 27 जून 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 जुलाई 2020.
  14. शर्मा, अभय. "कैसे इस बुरे वक्त में हमारे गांव देश की अर्थव्यवस्था को डूबने से बचा रहे हैं". सत्याग्रह. मूल से 25 जुलाई 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 जुलाई 2020.
  15. "कोविड-19: भारत में 'लॉकडाउन' से प्रवासी कामगारों पर भारी मार". संयुक्त राष्ट्र समाचार. 2 अप्रैल 2020.
  16. "At -23.9%, GDP Contracts For First Time In Over Four Decades". NDTV.com.
  17. राय, निधि (13 मार्च 2020). "कोरोना वायरस से भारत की आर्थिक परेशानियाँ कितनी बढ़ीं?". बीबीसी हिन्दी. मूल से 4 जून 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 जुलाई 2020.
  18. "क्‍या सरकार जल्द ही करने वाली है एक और आर्थिक पैकेज का ऐलान?". ज़ी न्यूज़. 22 जून 2020. मूल से 23 जून 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 जुलाई 2020.
  19. "At -23.9%, GDP Contracts For First Time In Over Four Decades". NDTV.com.
  20. "6 फैक्टर जिससे पता चलता है कि देश की इकॉनमी में सुधार की शुरुआत हो चुकी है". नवभारत टाइम्स. अभिगमन तिथि 25 जुलाई 2020.
  21. "At -23.9%, GDP Contracts For First Time In Over Four Decades". NDTV.com.