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मोल्ला जन्म: गोपावरम, आन्ध्र प्रदेश रचना : मोल्ला रामायण

मोल्ला[संपादित करें]

मोल्ला तेलुगु की प्रसिद्ध कवयित्री थी। मोल्ला ने संस्कृत रामायण का तेलुगु में अनुवाद किया था।

जीवन[संपादित करें]

अतुकूरि मोल्ला, तल्लपक्का तिम्मक्का, अन्नम्माचार्या की पत्नी के बाद सबसे प्रसिद्ध तेलुगु कवयित्री थी। कुम्हार परिवार में जन्म लेने के कारण वह "कुम्हार मोल्ला" के नाम से प्रसिध्द हुई।वह पन्द्रहवीं शताब्दी की कवयित्री थी। वह गोपावरम नामक गाँव की रहनेवाली थी,जो वर्तमान में आन्ध्र प्रदेश के नेलौर नामक शहर में है। वह श्रीशैलम के श्रीकान्था मल्लेश्वरा की भक्तिन थी। मोल्ला, दक्षिण भारत में विजयनगर राज्य के आगमन के पहले की कवयित्री मानी जाती हैं। उन्होंने संस्कृत रामायण का तेलुगु में अनुवाद किया था। उनके पिता का नाम केशन था। वह भगवान शिव के भक्त थे। उन्होंने अपनी पुत्री का नाम मोल्ला रखा, जिसका अर्थ जैस्मिन(चमेली) होता है। बसवेश्वर (शिवजी के अवतार) के आदर में उन्होंने मोल्ला का उपनाम बसवी रखा था। अपने पिता के समान, मोल्ला भी भगवान शिव की भक्तिन थी और शिवजी को अपना गुरु मानती थी। मोल्ला को कृष्णदेवराय और उनके राज दरबार के कवियों के सामने अपनी रामायण सुनाने का अवसर प्राप्त हुआ। उन्होंने अपना बुढापा श्रीशैलम में बिताया था। उन्होंने पारंपारिक शिक्षा प्राप्त नहीं कि थी, परंतु उनका कहना था कि उन्हें पढना और लिखना भगवान की ओर से दिव्य उपहार के रुप में मिला था। [1]

साहित्य रचना[संपादित करें]

उनकी रचना "मोल्ला रामायण", तेलुगु में लिखी गयी सबसे सरल रामायण है। उन्होंने मुख्य रुप से सरल तेलुगु शब्दों का उपयोग किया था। संस्कृत के शब्दों का बहुत कम उपयोग किया था। उनसे पहले के कवियों ने अपनी रचनाओं में संस्कृत के शब्दों का प्रयोग स्वतंत्र भाव से किया था। उनका मानना था कि, यदि ऐसे शब्दों का उपयोग अपनी रचनाओं में करें, जिसका अर्थ पाठकों को तुरंत न समझ में आयें, तो वह एक गुंगे और बहरे के बीच बात-चीत के समान होगा। मोल्ला के अनुसार कविता जबान पर मधु के समान होनी चाहिए, जबान पर पडते ही मिठास महसूस होनी चाहिए। [2]मोल्ला रामायण की प्रारंभिक पंक्तियों में,कहती हैं कि " रामायण कईं बार लिखी गई है, परंतु क्या हम खाना खाना छोड देते हैं क्योंकि हम हररोज खाते हैं? वैसे ही राम की कथा है। तुम इसे कितनी भी बार लिख, पढ और प्यार कर सकते हो।" मोल्ला बहुत विनम्र स्वभाव की थी, और उन्होंने अपने से पहले के विद्वानों का शुक्रिया अदा किया है। मोल्ला कि लिखी रामायण ऐसी रचना है, जिसमें भरपुर देशी स्वाद और सरल उच्चारण है। इनकी रचना पाठकों को आकर्षित करनेवाली है। वह बहुत संवेदनशील लेखिका थी, क्योंकि उन्होंने अपनी रामायण किसी भी राजा को समर्पित करने से इनकार कर दिया था, जो उस समय सामान्य प्रथा थी।[3]

पुरस्कार और सम्मान[संपादित करें]

  • आन्ध्र प्रदेश की सरकार ने मोल्ला की प्रतिमा का निर्माण, टैंक बंड पर, हैदराबाद में अन्य महान तेलुगु शख्सियतों के साथ किया है।
  • उन पर कथानायिका मोल्ला नामक फिल्म बनाई गयी, जिसमें वाणीश्री ने मुख्य पात्र निभाया है।
  • इंटुरि वेंकटेश्वर राऊ ने "कुम्हार मोल्ला" शीर्षक के तहत अतुकूरि मोल्ला के जीवन पर लिखा था, जो सन् १९६९ में प्रकाशित हुआ।
  • इस उपन्यास पर आधारित लेखक सुनकारा सत्यनारायण ने एक कथागीत लिखा है, जो संपुर्ण आन्ध्र प्रदेश में बहुत प्रसिद्ध है।
  • मोल्ला को नारी संघ ने स्त्री विकास के प्रतीक के रुप में उपयोग किया था।


संदर्भ[संपादित करें]

  1. http://www.veethi.com/india-people/molla-profile-6097-25.htm
  2. https://www.poemhunter.com/atukuri-molla/biography/
  3. http://www.thehindu.com/yw/2003/12/06/stories/2003120601630300.htm