सन्यासी (फ़िल्म)
सन्यासी | |
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सन्यासी का पोस्टर | |
निर्देशक | सोहनलाल कंवर |
लेखक | वेद राही (संवाद) |
पटकथा | राम केलकर |
निर्माता | सोहनलाल कंवर |
अभिनेता |
मनोज कुमार, हेमामालिनी, प्रेमनाथ, प्रेम चोपड़ा |
संगीतकार | शंकर-जयकिशन |
प्रदर्शन तिथि |
1975 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
सन्यासी 1975 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। यह सोहनलाल कंवर द्वारा निर्देशित और मनोज कुमार और हेमामालिनी अभिनीत है। फिल्म शंकर-जयकिशन द्वारा दिये गए संगीत के लिए प्रसिद्ध है। यह फिल्म साल की तीसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म थी।
संक्षेप
[संपादित करें]रेणुका देवी (सुलोचना लाटकर) विधवा हैं और राम (मनोज कुमार) नाम के एक बेटे की माँ हैं। उसके पति सभी गलत कार्यों में लिप्त रहे और मर गए। उसके ससुर नहीं चाहते कि राम अपने पिता की गलतियों को दोहराएं और उसे हिंदू धर्म के सभी सकारात्मक मूल्यों को सिखाते हैं। विशेष रूप से भगवद गीता की सामग्री। नतीजतन, राम सभी गलत कार्यों से परहेज करता है, ब्रह्मचर्य का जीवन जीने का फैसला करता है और किसी से भी शादी करने से इनकार करता है। जब उसके दादा की मृत्यु हो जाती है, तो रेणुका, राम से अपने दादा की अंतिम इच्छाओं को पूरा करने के लिए कहती है। जिनमें से एक है कि उसकी शादी हो जाये। वह उसका परिचय एक आकर्षक युवती आरती से भी कराती हैं।
लेकिन राम को यकीन है कि शादी उसके लिए नहीं बनी है। रेणुका तब बहुत खुश हो जाती हैं जब उसका भाई गोपीनाथ और उसका बेटा राकेश विदेश से लौट आते हैं। उनकी मदद से वह आरती (हेमामालिनी) के साथ राम का विवाह करने की उम्मीद करती है। तब मामला जटिल हो जाता है जब राकेश को आरती से प्यार हो जाता है। राम किसी काम से शहर छोड़ देता है। हालात रेणुका को राकेश को अपनी पूरी संपत्ति देने के लिए प्रेरित करते हैं और ईश्वर बाबा नाम के एक प्रसिद्ध संत के आशीर्वाद के साथ, राकेश अपना नाम भरत में बदल लेता है। इस समारोह के बाद, रेणुका के आस-पास के लोग अपना असली रंग दिखाना शुरू कर देते हैं। आरती से एक थप्पड़ के बाद, रेणुका को पता चलता है कि इस घर में उसकी जगह अब एक नीच नौकर से भी बदतर है।
मुख्य कलाकार
[संपादित करें]- मनोज कुमार ― राम राय
- हेमामालिनी ― चंपा
- प्रेमनाथ ― मंगल सिंह
- प्रेम चोपड़ा ― बनवारी
- अरुणा ईरानी ― राधिका
- प्राण ― शांति बाबा 'गुरुजी'
- इन्द्रानी मुखर्जी ― भक्त
- कामिनी कौशल ― चंपा की माँ
- सुलोचना लाटकर ― रेणुका देवी
- चंद्रशेखर ― पुलिस इंस्पेक्टर शेखर
- राज मेहरा ― गिरधारी
- हरि शिवदासानी ― पारिवारिक वकील
- मुराद ― सेठ हीरालाल
संगीत
[संपादित करें]सभी शंकर-जयकिशन द्वारा संगीतबद्ध।
क्र॰ | शीर्षक | गीतकार | गायक | अवधि |
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1. | "चल सन्यासी मन्दिर में" | विश्वेशर शर्मा | लता मंगेशकर, मुकेश | 6:10 |
2. | "सुन बाल ब्रह्मचारी" | वर्मा मलिक | लता मंगेशकर, मुकेश | 5:28 |
3. | "बाली उमरिया भजन करूँ कैसे" | विट्ठलभाई पटेल | लता मंगेशकर, मुकेश | 4:27 |
4. | "ये है गीता का ज्ञान" | एम॰ जी॰ हाशमत | लता मंगेशकर, मुकेश | 6:52 |
5. | "तू मेरा दिन है मैं तेरी रात" | एम॰ जी॰ हाशमत | सुमन कल्याणपुर, मुकेश | 5:03 |
6. | "क्या मार सकेगी मौत उसे" | इन्दीवर | मन्ना डे | 5:23 |
7. | "जैसा मेरा रूप रंगीला" | विश्वेशर शर्मा | लता मंगेशकर | 4:00 |
8. | "शाम-ए-फुरकत का ढल गया साया" | हसरत जयपुरी | लता मंगेशकर, प्रेमनाथ | 3:43 |
नामांकन और पुरस्कार
[संपादित करें]प्राप्तकर्ता और नामांकित व्यक्ति | पुरस्कार वितरण समारोह | श्रेणी | परिणाम |
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सोहनलाल कंवर | फिल्मफेयर पुरस्कार | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार | नामित |
सोहनलाल कंवर | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार | नामित | |
मनोज कुमार | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार | नामित | |
हेमामालिनी | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार | नामित | |
शंकर जयकिशन | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक पुरस्कार | नामित | |
विश्वेशर शर्मा ("चल सन्यासी मन्दिर में") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार पुरस्कार | नामित | |
मन्ना डे ("क्या मार सकेगी मौत उसे") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक पुरस्कार | नामित |