"समूह (गणितशास्त्र)": अवतरणों में अंतर
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13:44, 23 अगस्त 2017 का अवतरण
गणित में समूह कुछ अवयवों वाले उस समुच्चय को कहते हैं जिसमें कोई द्विचर संक्रिया इस तरह से परिभाषित हो जो इसके किन्हीं दो अवयवों के संयुग्म से हमें तीसरा अवयव दे और वह तीसरा अवयव चार प्रतिबंधों को संतुष्ट करे। इन प्रतिबंधों को अभिगृहीत कहा जाता है जो निम्न हैं: संवरक, साहचर्यता, तत्समकता और व्युत्क्रमणीयता। समूह का सबसे प्रचलित उदाहरण जोड़ द्विचर संक्रिया के साथ पूर्णांकों का समुच्चय है; किन्हीं दो पूर्णांकों को जोड़ने पर भी एक पूर्णांक प्राप्त होता है। समूह अभिगृहीतों का अमूर्त सूत्रिकरण, किसी विशिष्ट समूह अथवा इसकी संक्रिया के मूर्त प्राकृतिक रूप का पृथकरण है। इस प्रकार अमूर्त बीजगणित और इससे परे यह व्यापक गणितीय महत्त्व रखता है।
समूह सिद्धान्त |
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Modular groups
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अनन्त विमिय ली समूह
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बीजगणितीय संरचना |
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परिभाषा और चित्रण
प्रथम उदाहरण : पूर्णांक
एक चिर-परिचित समूह, पूर्णांकों Z का समुच्चय जिसमें संख्याएं
- ..., −4, −3, −2, −1, 0, 1, 2, 3, 4, ...,[1] जहाँ द्विचर संक्रिया जोड़ (+) है।
परिभाषा
यदि समुच्चय में एक द्विचर संक्रिया * इस तरह से परिभाषित हो :
- बंद
- ∀ a, b ∈ G ⇒ a*b ∈ G
- साहचर्य
- ∀ a, b, c ∈ G ⇒ a*(b*c) = (a*b)*c
- इकाई अवयव
- ∃ e ∈ G, s.t. ∀ a ∈ G => a*e = a = e*a .
- व्युत्क्रम अवयव
- प्रत्येक a ∈ G के लिए b ∈ G s.t. a*b = b*a = e
तो इसे एक समूह कहा जाता है तथा इसे (G, *) से निरुपित किया जाता है।
एक समूह का क्रमविनिमय होना आवश्यक नहीं है। अथवा यदि a, b ∈ G तो हो सकता है a*b ≠ b*a
उदाहरण
इतिहास
अमूर्त समूह की आधुनिक अवधारणा गणित के कई क्षेत्रों से विकसित हुई।[2][3][4] इसकी शुरुात बहुपद समीकरण के हल से हुई।
सन्दर्भ
- ↑ लैंग, हार्वार्ड (2005). "स्नातक बीजगणित" (अंग्रेजी में). en:Springer-Verlag. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-387-22025-3.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
- ↑ साँचा:Harvard citations/core
- ↑ साँचा:Harvard citations/core
- ↑ साँचा:Harvard citations/core