अमूर्त बीजगणित

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रुबिक के घन (Rubik's Cube) के क्रमचय एक समूह (group)बनाते हैं। 'समूह', अमूर्त बीजगणित की एक मूलभूत संकल्पना है।

अमूर्त बीजगणित (abstract algebra) बीजीय संरचनाओं (algebraic structures) का अध्ययन है। इसे आधुनिक बीजगणित भी कहते हैं। 'बीजीय संरचनाओं' के अन्तर्गत समूह (groups), वलय (rings), क्षेत्र (fields), प्रान्त ( domain), मॉड्युल्स (modules), सदिश समिष्ट (vector spaces), लैटिस (lattices) और बीजावली (algebras) आते हैं। इसका 'अमूर्त बीजगणित' या 'अब्स्ट्रैक्ट अल्जब्रा' नाम २०वीं शताब्दी के आरम्भिक काल में दिया गया जिससे इसे 'सामान्य बीजगणित' या आरम्भिक बीजगणित से इसे अलग किया जा सके।

इतिहास[संपादित करें]

१८०० ई. से पहले गणित का सरोकार मुख्यतः दो सामान्य समझ-बूझ की संकल्पनाओं, संख्या और आकृति से था। १९वीं शताब्दी के आरम्भ में दो नए विचारों ने गणित के क्षेत्र को एकदम विस्तृत कर दिया : पहला यह कि गणित का व्यवहार केवल संख्याओं और आकृतियों के लिए ही नहीं, वरन् किन्हीं भी वस्तुओं के लिए किया जा सकता है। दूसरे विचार के अनुसार अमूर्त्तीकरण की प्रक्रिया को और आगे बढ़ाकर, गणित को केवल तर्कयुक्त विधान माना जाने लगा, जिसका किसी वस्तुविशेष से कोई सरोकार न था। पहला विचार वैज्ञानिकों को उपयोगी लगा और दूसरा शुद्ध गणितजज्ञ को, जिसके लिए गणित केवल सुन्दर प्रतिरूपों का अध्ययन मात्र रह गया। इन दो दृष्टिकोणों में कोई वास्तविक विरोधाभास नहीं, क्योंकि प्रायः सुन्दर प्रतिरूप भौतिक प्रकृति में ठीक बैठते हैं और वैज्ञानिक द्वारा प्रकृति में पाए गए गणितीय प्रतिरूप प्राय: सुन्दर होते हैं।

मूल अवधारनणाएँ[संपादित करें]

विस्तार की विभिन्न मात्राओं का सार-संक्षेप (abstraction) करके गणितज्ञों ने विभिन्न बीजीय संरचनाओं को परिभाषित किया है जो गणित के कई क्षेत्रों में उपयोग की जाती हैं। उदाहरण के लिए, अध्ययन किए गए लगभग सभी सिस्टम या प्रणालियाँ समुच्चय (set) हैं, जिनमें समुच्चय सिद्धांत (set theory) के प्रमेय (theorems) लागू होते हैं। जिन समुच्चयों पर एक निश्चित द्विचर सऺक्रिया (binary operation) परिभाषित किया गया है, वे मैग्मा (Magma) बनाते हैं, जिस पर मैग्मा से संबंधित, साथ ही सेट से संबंधित अवधारणाएँ भी लागू होती हैं। हम बीजीय संरचना पर अतिरिक्त बाधाओं (additional constraints) को जोड़ सकते हैं, जैसे कि : सहचारिता (associativity) (अर्धवृत्त /अर्धसमूह (semigroup) बनाने के लिए), तत्समक अवयव (identity element) (मोनोएड (Monoid) बनाने के लिए), और व्युत्क्रम / प्रतिलोम अवयव (inverse element) (समूह (group) बनाने के लिए); और अन्य अधिक जटिल संरचनाएँ। अतिरिक्त संरचना के साथ, अधिक प्रमेय साबित हो सकते हैं, लेकिन सामान्यता (generality) कम हो जाती है। बीजगणितीय वस्तुओं की "पदानुक्रम" (सामान्यता के संदर्भ में) संबंधित सिद्धांतों की एक पदानुक्रम बनाता है : उदाहरण के लिए, वलय (बीजगणितीय वस्तुएँ जिनमें दो द्विचर सऺक्रियाऍऺ कुछ निश्चित अभिगृहीतोऺ (axioms) के साथ होती हैं) का अध्ययन करते समय समूह सिद्धांत के प्रमेयों का प्रयोग किया जा सकता है क्योंकि एक वलय भी अपनी दो मेऺ से एक द्विचर सऺक्रिया के आधार पर एक समूह ही होती है। सामान्य तौर पर सामान्यता की मात्रा और सिद्धांत की समृद्धि के बीच एक संतुलन होता है: अधिक सामान्य संरचनाओं में आमतौर पर कम गैर-तुच्छ प्रमेय (non-trivial theorems) और कम अनुप्रयोग होते हैं।

एक द्विचर सऺक्रिया वाली बीजीय संरचनाओं के उदाहरण हैं:

  • मेग्मा
  • क्वासीसमूह (Quasigroup)
  • मोनोएड
  • अर्धसमूह (सेमीग्रुप)
  • समूह
  • आबेली समूह या क्रमविनिमेय समूह (Abelian Group)

अनेक द्विचर सऺक्रिया वाली बीजीय संरचनाओं के उदाहरण हैं:

  • वलय
  • क्षेत्र
  • मॉड्युल्स
  • सदिश समिष्ट
  • एक क्षेत्र पर बीजावली (Algebra over a field)
  • सहचारी बीजावली (Associative algebra)
  • लाई बीजावली (Lie algebra)
  • लैटिस
  • बूलीय बीजावली (Boolean algebra)

सन्दर्भ[संपादित करें]


इन्हें भी देखें[संपादित करें]