दरबार (उपाधि)
दरबार या दरबार साहिब मुख्य रूप से गुजरात और राजस्थान के भारतीय राज्यों में उपयोग किए जाने वाली एक सम्मानजनक उपाधि है। स्वतंत्रता पूर्व युग में मौजूद छोटी छोटी रियासतों के सरदार या ठाकुरों को, 'दरबार साहब' पदवी से संबोधित किया जाता था। [1] [2] [3] [4] [5]
परंपरागत रूप से, इसका उपयोग कुलीन-जमींदारों को संबोधित करने के लिए किया जाता था, जो काठी, कोली,[6][7] मेर, चारण अथवा राजपूत समुदायों से भी हो सकते हैं। [8] [9] [10] [11]
इस प्रकार, पूर्ववर्ती रियासतों के वंशानुगत सरदार या प्रभावशाली जाति के प्रमुख को दरबार शब्द के सामान्य उपयोग में संदर्भित किया जा सकता है। यह उपाधि ज्यादातर वर्तमान गुजरात और राजस्थान के क्षेत्रों में उपयोग में थी [12] हालांकि, दरबार नामक कोई अलग अधिसूचित जाति नहीं है। यह रियासती भारत के दौरान उपयोग में सम्मान की उपाधि थी, जिसका उपयोग सरदारों को संदर्भित करने के लिए किया जाता था और आज भी मुख्य रूप से ग्रामीण गुजरात में यह उपयोग में प्रचलित है। [8] [13] [14]
यह भी देखें
[संपादित करें]संबंधित विषय
[संपादित करें]- जागीरदारी
- ठाकुर
- भारत में सामंतवाद
संदर्भ
[संपादित करें]- ↑ Gujarat - Part 3. 2003. पृ॰ 1173. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788179911068.
- ↑ Basu, Pratyusha (2009). Villages, Women, and the Success of Dairy Cooperatives in India: Making Place for Rural Development (अंग्रेज़ी में). Cambria Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-60497-625-0.
- ↑ Williams, Raymond Brady; Trivedi, Yogi (2016-05-12). Swaminarayan Hinduism: Tradition, Adaptation, and Identity (अंग्रेज़ी में). Oxford University Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-19-908959-8.
- ↑ Lobo, Lancy (1995). The Thakors of north Gujarat: a caste in the village and the region (अंग्रेज़ी में). Hindustan Pub. Corp. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7075-035-2.
- ↑ Court, India Supreme (1960). The Supreme Court Reports (अंग्रेज़ी में). Manager of Publications. पपृ॰ 522–523. अभिगमन तिथि 8 July 2022.
- ↑ Basu, Pratyusha (2009). Villages, Women, and the Success of Dairy Cooperatives in India: Making Place for Rural Development (अंग्रेज़ी में). New Delhi, India, Asia: Cambria Press. पपृ॰ 235: The term Darbar is used to refer to members of the Koli caste in Mahidol, which is classified under Other Backward Classes (OBC) in the state of Gujarat. Darbar is equivalent in meaning to Kshatriya. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-60497-625-0.सीएस1 रखरखाव: तिथि और वर्ष (link)
- ↑ Lobo, Lancy (1995). The Thakors of North Gujarat: A Caste in the Village and the Region (अंग्रेज़ी में). New Delhi, India, Asia: Hindustan Publishing Corporation. पपृ॰ 139: Kolis enjoying power were called Darbars. Further, anyone belonging to a ruler's lineage, clan, or caste was, by extension, called Darbar. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7075-035-2.सीएस1 रखरखाव: तिथि और वर्ष (link)
- ↑ अ आ Tambs-Lyche, Harald (1997). Power, Profit and Poetry Traditional Society in Kathiawar, Western India. New Delhi: Manohar. पृ॰ 97. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-7304-176-8. सन्दर्भ त्रुटि:
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- ↑ Williams, Raymond Brady; Trivedi, Yogi (2016-05-12). Swaminarayan Hinduism: Tradition, Adaptation, and Identity (अंग्रेज़ी में). Oxford University Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-19-908959-8.
- ↑ Tambs-Lyche, Harald (2017-08-09). Transaction and Hierarchy: Elements for a Theory of Caste (अंग्रेज़ी में). Routledge. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-351-39396-6.
Charans received lands in jagir for their services, and in parts of Marwar, certain Charan families were effectively Darbars.
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- ↑ Allen, Charles; Dwivedi, Sharada (June 1998). Lives of the Indian Princes (अंग्रेज़ी में). BPI Publishing. पपृ॰ 170–171. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-86982-05-1. अभिगमन तिथि 8 July 2022.
- ↑ Hathi, Jaisukhlal (2002). As it Happened!: Autobiography of Jaisukhlal Hathi (अंग्रेज़ी में). Bharatiya Vidya Bhavan. पपृ॰ 19, 20, 21. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7276-283-4. अभिगमन तिथि 8 July 2022.