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हिमालयी मोनाल

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हिमालयी मोनाल
नर(♂)
मादा(♀)
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: जंतु
संघ: रज्जुकी
वर्ग: पक्षी
गण: गॉलिफ़ॉर्मिस
कुल: फ़ॅसिअनिडी
उपकुल: फ़ॅसिअनिनी
वंश: लोफ़ोफ़ोरस
जाति: ऍल. इम्पॅजेनस
द्विपद नाम
लोफ़ोफ़ोरस इम्पॅजेनस
(लॅथम, १७९०)
Lophophorus impejanus

हिमालयी मोनाल (Himalayan monal) (Lophophorus impejanus) जिसे नेपाल और उत्तराखंड में डाँफे के नाम से जानते हैं। यह पक्षी हिमालय पर पाये जाते हैं। यह नेपाल का राष्ट्रीय पक्षी और उत्तराखण्ड का "राज्य पक्षी" है।

इस पक्षी को पश्चिमोत्तर हिमालय में मुनाल, घुर मुनाल, रतिया कावाँ, रतनल, रतकप, कश्मीर में सुनाल (नर सुनामुर्ग़ तथा मादा हाम), हिमाचल प्रदेश में नीलगुरु या मुनाल (नर नील तथा मादा करेरी), उत्तर प्रदेश में दतिया, मिश्मी भाषा में पिया पदिर या दाफ़े, लेपचा भाषा में फ़ो दौंग, नेपाल में डंगन, भूटान में बुप तथा सिक्किम में चामदौंग के नामों से जाना जाता है।[2]

आवास क्षेत्र

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इन पक्षियों का आवास क्षेत्र पाकिस्तान, भारत, नेपाल, भूटान, म्यानमार तथा चीन में है। अफ़गानिस्तान में अब इनके होने की पुष्टता नहीं की जा सकती।[1] यह प्रायः ६,००० से १२,००० फ़ीट की ऊँचाई में पाये जाते हैं लेकिन इनको १५,००० और ४,५०० फ़ीट की ऊँचाई में भी देखा गया है।[3]

इस पक्षी के आकार में काफ़ी विविधता देखी गई है। नर का आकार २६ से २९ इंच (६६ से ७४ से.मी.), पंखों का फैलाव ३४ से ३७ इंच (८६ से ९४ से.मी.) तथा पूँछ की लंबाई ९.५ से १०.५ इंच (२४ से २७ से.मी.) होती है जबकि मादा की लंबाई २४ से २६ इंच (६१ से ६६ से.मी.), पंखों का फैलाव ३४ से ३६.५ इंच (८३ से ९३ से.मी.) और पूँछ की लंबाई ९ से १० इंच (२३ से २५ से.मी.) होती है।[3]

पतझड़ के मौसम में प्रायः यह कीड़े और इल्लियाँ खाते हैं जो इनको सड़ी पत्तियों के नीचे मिल जाती हैं। अन्य समय यह जड़ें, पत्तियाँ, झाड़ियों और घास की कोपलें, शाहबलूत के फल, बीज, बॅरी इत्यादि खाते हैं। सर्दियों के मौसम में यह गेहूँ या धान के खेतों में मिल जाते हैं लेकिन दाने खाने के लिए नहीं बल्की जड़ें और इल्लियों के लिए जिन्हें यह पैरों से खोदकर निकालते हैं।[3]

मई और जून में इनका प्रजनन काल होता है और प्रजनन क्षेत्र जंगली इलाका होता है। एक मौसम में एक ही बार अण्डे दिये जाते हैं। अण्डे सेने में नर कोई मदद नहीं करता है और मादा अकेले ही अण्डे सेती है। अण्डे प्रायः मादा द्वारा किये गये ज़मीन के गड्ढे में, किसी शिला की ओट के नीचे, किसी बड़े पेड़ की विशाल जड़ों में या वनस्पतियों के झुण्ड में दिये जाते हैं लेकिन कभी-कभी अण्डे देने के स्थान में सूखी घास, गिरी पत्तियाँ या थोड़ी काई बिछा दी जाती है। प्रायः एक घोंसले में ४-५ अण्डे ही देखे जा सकते हैं लेकिन कभी-कभी दर्जन भर भी देखे गये हैं। अण्डे २.७५ इंच (७ से.मी.) लंबे तथा १.७५ इंच (४.५ से.मी.) चौड़े होते हैं। यह हल्के बादामी रंग के होते हैं और इनमें चॉकलेटी रंग के चित्ते होते हैं।[3]

सन्दर्भ

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  1. बर्डलाइफ़ इंटरनैशनल (2012). "Lophophorus impejanus". IUCN Red List of Threatened Species. Version 2013.2. International Union for Conservation of Nature. अभिगमन तिथि १५ मई २०१६.
  2. anonymous. Indian Bird Names. ENVIS centre Bombay Nat. Hist. Society. पृ॰ ६९. मूल से 9 अप्रैल 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १५ मई २०१६. नामालूम प्राचल |archived by= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  3. Hume, A.O.; Marshall, C.H.T. (१८८०). Game Birds of India, Burmah and Ceylon. I. Calcutta: A.O. Hume and C.H.T. Marshall. पृ॰ १२५. मूल से 26 सितंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १५ मई २०१६.

बाहरी कड़ियाँ

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