सिकन्दर बाग़
सिकंदर बाग़ (अंग्रेजी: Sikandar Bagh, उर्दू: سکندر باغ), भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की सीमा पर स्थित एक बाग या उद्यान है जिसमे ऐतिहासिक महत्व की एक हवेली समाहित है। इसे अवध के नवाब वाजिद अली शाह (1822-1887) के ग्रीष्मावास के तौर पर बनाया गया था। नवाब ने इसका नाम अपनी पसंदीदा बेग़म, सिकंदर महल बेगम के नाम पर सिकंदर बाग़ रखा था। आजकल यहाँ भारतीय राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान का कार्यालय है।
शुरुआत
[संपादित करें]उद्यान की आधारशिला नवाब सादात अली खान ने सन 1800 में एक शाही बाग़ के तौर पर रखी थी, हालांकि 19 वीं सदी के पूर्वार्ध में इसे अवध के नवाब वाजिद अली शाह ने एक शाही बाग़ के रूप में विकसित किया, जो इसका प्रयोग अपने ग्रीष्मावास के तौर पर किया करते थे। नवाब वाजिद अली शाह ने ही इसका नाम अपनी बेग़म सिकन्दर महल के नाम पर सिकन्दर बाग़ रखा।
बाग़ लगभग 150 एकड़ में फैला है और इसके बीचोंबीच एक छोटा सा मण्डप है। इसी मण्डप में कला प्रेमी नवाब वाजिद अली शाह द्वारा कथक नृत्य की शैली में प्रसिद्ध रासलीला का मंचन किया जाता था। यहीं पर मुशायरों और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन भी किया जाता था।
1857 का विद्रोह
[संपादित करें]1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान हुई लखनऊ की घेराबंदी के समय, ब्रिटिश और औपनिवेशिक सैनिकों से घिरे सैकड़ों भारतीय सिपाहियों ने इस बाग़ में शरण ली थी। 16 नवंबर 1857 को ब्रिटिश फौजों ने बाग़ पर चढ़ाई कर लगभग 2000 सिपाहियों को मार डाला था। लड़ाई के दौरान मरे ब्रिटिश सैनिकों तो एक गहरे गड्ढे में दफना दिया गया लेकिन मृत भारतीय सिपाहियों के शवों को यूँ ही सड़ने के लिए छोड़ दिया गया था। 1858 की शुरूआत में फेलिस बीटो ने परिसर के भीतरी हिस्सों की एक कुख्यात तस्वीर ली थी जो पूरे परिसर में मृत सैनिकों के बिखरे पड़े कंकालीय अवशेषों को दिखाती है।
वर्षों के दौरान बाग़ में जगह जगह से अकस्मात निकल आये तोप के गोले, तलवार और ढालें, बंदूक और राइफल के टुकड़े, अब एक संग्रहालय में सुरक्षित रखे गये हैं। बाग़ की दीवारों पर इस द्वंद के दौरान पड़े निशान इस ऐतिहासिक घटना की गवाही देते हैं।
इस लड़ाई का स्मरण कराती एक दलित महिला ऊदा देवी की एक मूर्ति उद्यान परिसर में कुछ साल पहले ही स्थापित की गयी है। ऊदा देवी घिरे हुये भारतीय सैनिकों की ओर से लड़ी थी। ऊदा देवी ने पुरुषों के वस्त्र धारण कर एक ऊँचे पेड़ पर डेरा जमाया था। उसके पास कुछ गोला बारूद और एक बंदूक थी। जब तक उसके पास गोला बारूद था उसने ब्रिटिश हमलावर सैनिकों को बाग में प्रवेश नहीं करने दिया था पर जब उसका गोला बारूद खत्म हो गया उसे ब्रिटिश सैनिकों द्वारा गोलियों से छलनी कर दिया गया।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- Brown University Library; Anne S. K. Brown Military Collection: Photographic views of Lucknow taken after the Indian Mutiny. Accessed 2 नवम्बर 2006.
- NIC District Unit, Lucknow. Historical Places At Lucknow. Accessed 2 नवम्बर 2006.