सदस्य:Sneha kukreti/तीलूरौतेली

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तीलू रौतेली[संपादित करें]

परिचय[संपादित करें]

तीलू रौतेली गढ्वाली ऐतिहासिक तथा पौराणिक पात्र है । इनका जन्म सत्रह्वी शताब्दी में ८ अगस्त १६६१ को ,उतारार्ध गुराङ गाँव-परगना चौंदकोट गढ्वाल में हुआ था । तीलू को गढ्वाल की "झांसी की रानी "तथा "तीलूवीर बाला" नाम से भी जाना जाता है ।

ऐतिहासिक मान्यता[संपादित करें]

एक ऐतिहासिक गाथा के अनुसार, कुमाऊ के राजा धाम सिंह ने गढवाल पर आक्रमण कर गढ्वाल के राजा मान सिंह को पराजित किया था । धाम सिंह ने युध में खैरागढ नामक स्थान अपने अंर्तगत जीत लिया तथा अपने निर्दया आचरण के कारण जनता पर अत्याचार करने लगा । जनता में आक्रोश बढने लगा और विद्रोह की आग फैलने लगी । भूप गोराला नामक एक विद्रोही नेता इसी युध में वीरगति को प्राप्त हुए । उनके बाद युध का दायित्व उनके दो बेटो ने उठाया तथा वे भी अपने पिता के कदमो पर चलकर वीरगति को प्राप्त हुए । भूप गोराला की बेटी का नाम तीलू रौतेली था जिनकी आयु महज १५ वर्ष थी जब उनके पिता व भाई मारे गये । तीलू के भाईयो की मृत्यु थओल मेला, कान्डा ग्राम में हुई थी ; एक दिन तीलू ने अपनी माँ से इसी मेले में जाने की इच्छा जताई । तीलू की माँ ने उसे दुशमन द्वारा उसके पिता व भाईयो की हत्या के बारे में याद दिलाकर ,खेलने के बजाए शस्त्र उठाने के लिए प्रेरित किया। तीलू को माँ की बात दिल पर छू गई तथा उसने राज्य से दुश्मनो को हटाने की कसम खायी ।थोडे समय बाद तीलू ने अपनी सेना खडी करी तथा युध मे पराक्रम दिखा , खैरागढ वापस जीत लिया । धीरे-धीरे तीलू का पराक्रम बढता गया तथा इसी सेना के साथ वह अन्य राज्य को दुशमन से मुक्त व अजाद करती रही । अन्त मे तीलू ने सराईखेत मे जंग लडी अथवा वह वहाँ भी विजय रही । यह वह स्थान था जहाँ उनके पिता की मृत्यु हुई थी , पिता की मृत्यु का बदला लेकर तीलू उल्लासपूर्ण हुई । कान्डागढ जाते समय तीलू ने नयार नदी में स्नान करने का निर्णय लिया । दुशमन सेनिक ने तीलू को अबला परिस्थिति में पाकर आघात लगाई व तीलू के नदी किनारे आते ही हत्या कर दी । गढ्वाल की वीरागंना मात्र २२ वर्ष की उम्र में शहीद हो गई ।

वर्तमान अभिप्राय[संपादित करें]

"तीलू रौतेली" नाम का एक मेला हर साल कान्डा ग्राम, पौडी गढ्वाल मे बढे धूम धाम से मनाया जाता है । हर वर्ष ७ अगस्त को गढ्वाल मे "तीलू रौतेली जयंती" मनाई जाती है । स्योली के पास जणदादेवी ग्राम में तीलू कि प्रतिमा लगी है जो लोगो को उनकी वीरता,सकंल्प तथा साहस की याद दिलाती है । तीलू की याद मे हर साल गढ्वाल में रणभूत नचाई जाती है तथा "तीलू रौतेली अवार्ड" नामक सम्मान भी उत्तराखंड के विशिष्ट लोगो को प्रदान किया जाता है ।

सन्दर्भ[संपादित करें]

१)merapahadforum : </http://www.merapahadforum.com/uttarakhand-history-and-peoples-movement/teelu-rauteli-greatest-female-warriors-from-gahrwal/> २)bedupako: </http://bedupako.com/blog/2013/05/27/teelu-rauteli-a-courageous-woman-warrior-of-garhwali-folk-literature/#axzz4YIIYc1AD> ३)himalayanbuzz : </http://www.himalayanbuzz.com/teelu-rauteli-a-tale-of-bravery/> ४)uttaranchalsanskritiitihas: </http://uttaranchalsanskritiitihas.blogspot.in/2014/07/blog-post_29.html> ५)uttrakhanddarshan: </http://uttrakhanddarshan.blogspot.in/2013/03/blog-post_5044.html> ६)ghaseri: </http://ghaseri.blogspot.in/2016/01/blog-post_3.html> ७)youtube:</https://www.youtube.com/watch?v=tcWo7QzwozM/>