सदस्य:Ayushi0610/शकुंतला
Ayushi0610/शकुंतला | |
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परिचय
[संपादित करें]शकुंतला, हिन्दू धर्म में दुष्यंत की धर्म पत्नी और सम्राट भरत की मा के रूप में प्रसिद्ध है| इनकी कहानी का चित्रण महाभारत में विस्तार रूप से किया गया है और काई लेखकों ने इसका नाटकीकृत भी प्रस्तुत किया है |इसका सबसे श्रेष्ठ एवम् .प्रसिद्ध रूपांतर कालिदास द्वारा, अभिजनाशाकुन्तला में किया गया है |
व्युत्पत्ति
[संपादित करें]ऋषि कण्व ने जंगल में, पक्षियों पक्षियों से घिरी हुई एक बच्ची के रूप में, उसे पाया था| यही कारण था की इनको शकुंतला का नाम दिया गया| महाभारत के आदि पर्व में कण्व ने कहा है " वह जंगल के एकांत में, शकुंता पक्षियों से घिरी हुई थी जिसके कारण वह मेरे द्वारा शकुंतला नामित हुई| "
मुद्रालेख
[संपादित करें]राजा दुष्यंत का शकुंतला से सामना पहली बार जंगल में उनकी सेना के साथ हुआ था, जब वह उनके द्वारा आघात हुए एक हिरण का पीछा कर रहे थे| शकुंतला और राजा दुष्यंत अपने प्रेम के कारण गंधर्व शादी प्रणाली द्वारा विवाहित हुए| अपने राज्य वापस आने के पूर्व, दुष्यंत ने अपनी निजी शाही अंगूठी शकुंतला को अपने लौटने और उसे अपने महल ले जाने के वादे के चिन्ह समान दी थी|
शकुंतला अपना अधिक समय अपने प्रेम पूज्य पति के सपने देखने में बिताती थी जिसके कारण वह विचलित रहती थी| एक दिन, एक अधिक शक्तिशाली ऋषि, ऋषि दुरवासा, उनके आश्रम आए, अपने प्रिय दुष्यंत के ख़यालों में खोई शकुंतला, उन्हे सही ढंग से उनका सत्कार नही कर पाई| इस घटना से उत्तेजित हो, दुरवासा ऋषि ने उसे श्राप दिया, की जिस भी व्यक्ति के वह सपने देख रही थी वह व्यक्ति उसे पूर्ण रूप से भूल जाएगा| क्रोधित हुए ऋषि को जाने से पहले शकुंतला की एक सखी ने उन्हे उसकी मनोदशा के वर्णन दिया और उसके विचिलित होने का कारण भी बताया| अपनी ग़लती को मानते हुए ऋषि ने अपने श्राप को बदलते हुए कहा की जो भी व्यक्ति उसे भूल गया है, यदि उसके द्वारा दी गयी अंगूठी उसे दिखा दी जाए तो उसे सब याद आजाएगा|
समय बीत गया और वह यही सोचती रह गयी की राजा दुष्यंत उसे लेने क्यों नही आए| आख़िर में, व अपने प्रतिपोषक पिता और दूसरे साथियों के साथ राजधानी में प्रस्थान किया| रास्ते में उन्हे एक नदी को डोंगी नौका से पार करना था| नदी के सुंदर नीले पानी द्वारा लुभाई गयी शकुंतला अपने कोमल हाथो को पानी में फेरने लगी और राजा दुष्यंत द्वारा दी गयी अंगूठी उसके उंगली से फिसल गयी उसके एहसास किए बिने|
दुष्यंत के राज दरबार में आने के पश्चात वह इस बात से अधिक पीड़ित और हैरान हुई की राजा ने ना तो उसे पत्नी के रूप में स्वीकारा और ना ही उसे पहचाना| उसने कोशिश की राजा को याद दिलाने की क़ि वह उसकी पत्नी है, परंतु दुरवासा ऋषि के श्राप के कारण, दुष्यंत को अंगूठी के बिना कुछ भी याद नही आया| इस घटना से अपमानित हो शकुंतला जंगल में वापस आ अपने पुत्र के साथ एक जंगली एलाके में बस गयी| यहाँ वह अपने पुत्र, भरत, के साथ रही| जंगली जानवरों से घिरे हुए भरत एक अत्यंत शक्तिशाली बालक के समान बड़ा हुआ| शक्तिशाली बालक होने के कारण उसने शेर का मुख खोल, उसके दांतो को गिन्ने को खेल बना लिया था|
इसी दौरान, एक मच्छवारा, अपने द्वारा पकड़ी गयी मछली के पेट में राजसी अंगूठी पा कर चौंक जाता है| वह उस अंगूठी को राजा के पास लेजाता है, और उसे देख राजा दुष्यंत की अपनी सुंदर पत्नी शकुंतला की सारी यादें वापस आजाती है| वह उसी क्षण शकुंतला को ढूढ़ने हेतु निकल पड़ता है| उसके पिता के आश्रम में पहुचने पर उसे यह ग्यात होता है की वह उनके साथ नही रहती| अपनी पत्नी को ढूढ़ने के लिए वह गहरे जंगल में देखने लगे, और एक चौका देने वाले दृश्य के सामने आए| एक छोटा बालक, शेर का मुख खोले उसके दांतो को गिन रहा था, मानो वो कोई खेल हो| उस बालक की शक्ति और साहस से प्रभावित हो, राजा ने उसकी ताक़त की सराहना की और उसका नाम पूछा| वह दंग रह गये जब बालक ने अपना नाम बताया- भरत, राजा दुष्यंत का पुत्र| वह राजा को अपनी माता के पास लेगया, और इस प्रकार उनका परिवार पूरा होगया|
फिल्म और टीवी शो
[संपादित करें]इसका पहला रूपान्तर एक तमिल चलचित्र शकुंतला में हुआ जिसमें म.स.सुब्बुलक्ष्मी ने शकुंतला का किरदार निभाया| इसके पश्चात भूपेन हज़ारीका ने अस्समी फिल्म शकुंतला बनाई १९६१ में| इस फिल्म ने प्रेसीडेंट'स सिल्वर मेडल जीता और सूक्ष्म रूप से प्रशंसा भी प्राप्त की| इसको मलययाम में भी बनाया गया जिसमे क. र. विजया और प्रेम नज़ीर ने शकुंतला और दुष्यानता के पत्रों को निभाया|एक हिन्दी फिल्म स्त्री के नाम की, को भी इसी कहानी पर आधारित बनाया गया है|
इससे भी देखें
[संपादित करें]-थे रेकग्निशन ऑफ सकुंतला: संस्कृत प्ले कालिदासा द्वारा लिखा गया -कुन्तला वॉटरफॉल: आ वॉटरफॉल असोसीयेटेड वित सकुंतला -फ्रेंच पोवेट गिलाउम आपोलिनेर मेन्षन्स शकुंतला (सकोंटले) इन हिज़ पोवेम "ला कॅन्सन डू माल-आईंé", आस आ मॉडेल ऑफ फिडेलिटी -केमील क्लॉडेल क्रियेटेड आ स्कल्प्चर शकुंतला
संदर्भ
[संपादित करें]- Mahabharata आडीपरवा (62-69)