"कुनैन": अवतरणों में अंतर

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'''कुनैन''' दक्षिण अमेरिकी पेड़ [[सिनकोना]] पौधै की छाल से प्राप्त होता है। इससे क्यूनीन नामक [[मलेरिया]] बुखार की दवा के निर्माण में किया जाता है। इसके अलावा भी कुछ अन्य दवाओं के निर्माण में इसका प्रयोग होता है। इसे टॉनिक वाटर में भी मिलाया जाता है, और अन्य पेय पदार्थों में मिलाया जाता है। यूरोप में सोलहवीं शताब्दी में इसका सबसे पहले प्रयोग किया गया था। ईसाई मिशन से जुड़े कुछ लोग इसे दक्षिण अमेरिका से लेकर आए थे। पहले-पहल उन्होंने पाया कि यह मलेरिया के इलाज में कारगर होता है, किन्तु बाद में यह ज्ञात होने पर कि यह कुछ अन्य रोगों के उपचा में भी काम आ सकती है, उन्होंने इसे बड़े पैमाने पर दक्षिण अमेरिका से लाना शुरू कर दिया। १९३० तक कुनैन मलेरिया की रोकथाम के लिए एकमात्र कारगर औषधि थी, बाद में एंटी मलेरिया टीके का प्रयोग भी इससे निपटने के लिए किया जाने लगा। मूल शुद्ध रूप में कुनैन एक सफेद रंग का क्रिस्टल युक्त पाउडर होता है, जिसका स्वाद कड़वा होता है। ये कड़वा स्वाद ही इसकी पहचान बन चुका है। इसे टॉनिक वाटर में मिलाने के कारण एक समय ऊष्णकटिबंध में रहने वाले कई लोगों की मौत हो गई थी, जहां इसे रोगनिरोधी के रूप में प्रयोग के लिए ले जाया गया था। इस टॉनिक वाटर को एंटी मलेरिया औषधि के रूप में विकसित किया गया, लेकिन बाद में लोगों ने इसे मदिया में मिलाना शुरू कर दिया क्योंकि इससे उन्हें शराब का स्वाद बेहतर लगने लगता था।
'''कुनैन''' ({{IPA-en|ˈkwaɪnaɪn|यू.एस}}, {{IPA-en|kwɪˈniːn, ˈkwɪniːn|यू.के}}) एक प्राकृतिक श्वेत क्रिस्टलाइन एल्कलॉएड पदार्थ होता है, जिसमें [[ज्वर]]-रोधी, [[मलेरिया]]-रोधी, दर्दनाशक (एनलजेसिक), [[सूजन|सूजन रोधी]] गुण होते हैं। ये क्वाइनिडाइन का स्टीरियो [[समावयवता|समावयव]] होता है, जो क्विनाइन से अलग [[:en:anti-arrhythmic|एंटिएर्हाइमिक]] होता है। ये [[दक्षिण अमेरिकी|दक्षिण अमेरिकी]] पेड़ [[सिनकोना]] पौधै की छाल से प्राप्त होता है। इससे क्यूनीन नामक [[मलेरिया]] बुखार की दवा के निर्माण में किया जाता है। इसके अलावा भी कुछ अन्य दवाओं के निर्माण में इसका प्रयोग होता है। इसे टॉनिक वाटर में भी मिलाया जाता है, और अन्य पेय पदार्थों में मिलाया जाता है। यूरोप में सोलहवीं शताब्दी में इसका सबसे पहले प्रयोग किया गया था। ईसाई मिशन से जुड़े कुछ लोग इसे दक्षिण अमेरिका से लेकर आए थे। पहले-पहल उन्होंने पाया कि यह मलेरिया के इलाज में कारगर होता है, किन्तु बाद में यह ज्ञात होने पर कि यह कुछ अन्य रोगों के उपचा में भी काम आ सकती है, उन्होंने इसे बड़े पैमाने पर दक्षिण अमेरिका से लाना शुरू कर दिया। १९३० तक कुनैन मलेरिया की रोकथाम के लिए एकमात्र कारगर औषधि थी, बाद में एंटी मलेरिया टीके का प्रयोग भी इससे निपटने के लिए किया जाने लगा। मूल शुद्ध रूप में कुनैन एक सफेद रंग का क्रिस्टल युक्त पाउडर होता है, जिसका स्वाद कड़वा होता है। ये कड़वा स्वाद ही इसकी पहचान बन चुका है। इसे टॉनिक वाटर में मिलाने के कारण एक समय ऊष्णकटिबंध में रहने वाले कई लोगों की मौत हो गई थी, जहां इसे रोगनिरोधी के रूप में प्रयोग के लिए ले जाया गया था। इस टॉनिक वाटर को एंटी मलेरिया औषधि के रूप में विकसित किया गया, लेकिन बाद में लोगों ने इसे मदिया में मिलाना शुरू कर दिया क्योंकि इससे उन्हें शराब का स्वाद बेहतर लगने लगता था।


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07:05, 16 जुलाई 2010 का अवतरण

कुनैन
सिस्टमैटिक (आईयूपीएसी) नाम
(R)-(६-मीथॉक्सीक्वीनोलिन-४-आयल)((२S,४S,८R)- ८-विनायल्क्वीन्यूक्लिडिन-२-आयल) मीथेनॉल
परिचायक
CAS संख्या 130-95-0
en:PubChem 8549
en:DrugBank DB00468
en:ChemSpider 84989
रासायनिक आंकड़े
सूत्र C20H24N2O2 
आण्विक भार 324.417 ग्रा./मोल
भौतिक आंकड़े
गलनांक 177 °C (351 °F)
फ़ार्मओकोकाइनेटिक आंकड़े
जैव उपलब्धता 76 to 88%
प्रोटीन बंधन ~70%
उपापचय हेपैतिक (प्रायः CYP3A4 एवं CYP3A4-मध्यस्थित)
अर्धायु ~१८ घंटे
उत्सर्जन रीनल (२०%)

कुनैन (आईपीए: /ˈkwaɪnaɪn/, आईपीए: /kwɪˈniːn, ˈkwɪniːn/) एक प्राकृतिक श्वेत क्रिस्टलाइन एल्कलॉएड पदार्थ होता है, जिसमें ज्वर-रोधी, मलेरिया-रोधी, दर्दनाशक (एनलजेसिक), सूजन रोधी गुण होते हैं। ये क्वाइनिडाइन का स्टीरियो समावयव होता है, जो क्विनाइन से अलग एंटिएर्हाइमिक होता है। ये दक्षिण अमेरिकी पेड़ सिनकोना पौधै की छाल से प्राप्त होता है। इससे क्यूनीन नामक मलेरिया बुखार की दवा के निर्माण में किया जाता है। इसके अलावा भी कुछ अन्य दवाओं के निर्माण में इसका प्रयोग होता है। इसे टॉनिक वाटर में भी मिलाया जाता है, और अन्य पेय पदार्थों में मिलाया जाता है। यूरोप में सोलहवीं शताब्दी में इसका सबसे पहले प्रयोग किया गया था। ईसाई मिशन से जुड़े कुछ लोग इसे दक्षिण अमेरिका से लेकर आए थे। पहले-पहल उन्होंने पाया कि यह मलेरिया के इलाज में कारगर होता है, किन्तु बाद में यह ज्ञात होने पर कि यह कुछ अन्य रोगों के उपचा में भी काम आ सकती है, उन्होंने इसे बड़े पैमाने पर दक्षिण अमेरिका से लाना शुरू कर दिया। १९३० तक कुनैन मलेरिया की रोकथाम के लिए एकमात्र कारगर औषधि थी, बाद में एंटी मलेरिया टीके का प्रयोग भी इससे निपटने के लिए किया जाने लगा। मूल शुद्ध रूप में कुनैन एक सफेद रंग का क्रिस्टल युक्त पाउडर होता है, जिसका स्वाद कड़वा होता है। ये कड़वा स्वाद ही इसकी पहचान बन चुका है। इसे टॉनिक वाटर में मिलाने के कारण एक समय ऊष्णकटिबंध में रहने वाले कई लोगों की मौत हो गई थी, जहां इसे रोगनिरोधी के रूप में प्रयोग के लिए ले जाया गया था। इस टॉनिक वाटर को एंटी मलेरिया औषधि के रूप में विकसित किया गया, लेकिन बाद में लोगों ने इसे मदिया में मिलाना शुरू कर दिया क्योंकि इससे उन्हें शराब का स्वाद बेहतर लगने लगता था।

कुनैन

आज के टॉनिक वाटर में पर्याप्त मात्र में कुनैन नहीं मिलाई जाती, जिस कारण यह मलेरिया के लिए रोगनिरोधक के तौर पर प्रयोग नहीं होती। कुनैन को बाजार से गोली या फिर तरल रूप में खरीदा जा सकता है। इसका प्रयोग हड्डियों के मरोड़ में भी किया जाता है। प्रसव (बच्चे के जन्म) के दौरान गर्भाशय में संकुचन के लिए भी किया जाता है। इसीलिए गर्भवती महिलाओं को कुनैन का प्रयोग नहीं करना चाहिए।