"भगवान": अवतरणों में अंतर
रोहित साव27 (वार्ता | योगदान) |
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(विष्णु पुराण 6/5/74) |
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'''भगवान''' |
'''भगवान''' शब्द सर्व शक्तिमान के लिये होता है। यह "भग" धातु से बना है ,भग के ६ अर्थ है:- |
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१-ऐश्वर्य |
१-समस्त ऐश्वर्य |
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२- |
२-धर्म |
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३-यश |
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३-स्मृति |
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४- |
४-श्री |
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५-ज्ञान और |
५-ज्ञान और |
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६-वैराग्य |
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६-सौम्यता |
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जिसके पास ये ६ गुण है वह भगवान है। |
जिसके पास ये ६ गुण है वह भग संज्ञा प्राप्त कर भगवान बनता है। |
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"ऐश्वर्यस्य समस्तस्य (समग्रस्य) धर्मस्य यशसः श्रीयः ज्ञान वैराग्ययोश्चैव षण्णां भग इतिड़्ना।।" |
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संस्कृत भाषा में भगवान "भंज" धातु से बना है जिसका अर्थ हैं:- सेवायाम् । जो सभी की सेवा में लगा रहे कल्याण और दया करके सभी मनुष्य जीव ,भूमि गगन वायु अग्नि नीर को दूषित ना होने दे सदैव स्वच्छ रखे वो भगवान का भक्त होता है |
संस्कृत भाषा में भगवान "भंज" धातु से बना है जिसका अर्थ हैं:- सेवायाम् रत । जो सभी की सेवा में लगा रहे कल्याण और दया करके सभी मनुष्य जीव ,भूमि गगन वायु अग्नि नीर को दूषित ना होने दे सदैव स्वच्छ रखे वो भगवान का भक्त होता है |
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== संज्ञा == |
== संज्ञा == |
05:55, 17 मार्च 2021 का अवतरण
(विष्णु पुराण 6/5/74) भगवान शब्द सर्व शक्तिमान के लिये होता है। यह "भग" धातु से बना है ,भग के ६ अर्थ है:- १-समस्त ऐश्वर्य २-धर्म ३-यश ४-श्री ५-ज्ञान और ६-वैराग्य जिसके पास ये ६ गुण है वह भग संज्ञा प्राप्त कर भगवान बनता है। "ऐश्वर्यस्य समस्तस्य (समग्रस्य) धर्मस्य यशसः श्रीयः ज्ञान वैराग्ययोश्चैव षण्णां भग इतिड़्ना।।"
संस्कृत भाषा में भगवान "भंज" धातु से बना है जिसका अर्थ हैं:- सेवायाम् रत । जो सभी की सेवा में लगा रहे कल्याण और दया करके सभी मनुष्य जीव ,भूमि गगन वायु अग्नि नीर को दूषित ना होने दे सदैव स्वच्छ रखे वो भगवान का भक्त होता है
संज्ञा
संज्ञा के रूप में भगवान् हिन्दी में लगभग हमेशा ईश्वर / परमेश्वर का मतलब रखता है। इस रूप में ये देवताओं के लिये नहीं प्रयुक्त होता।
विशेषण
विशेषण के रूप में भगवान् हिन्दी में ईश्वर / परमेश्वर का मतलब नहीं रखता। इस रूप में ये देवताओं, विष्णु और उनके अवतारों (राम, कृष्ण), शिव, आदरणीय महापुरुषों जैसे, महावीर, धर्मगुरुओं, गीता, इत्यादि के लिये उपाधि है। इसका स्त्रीलिंग भगवती है।
इन्हें भी देखें
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