विशेषण
संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों की विशेषता (गुण, दोष, संख्या, परिमाण आदि) बताने वाले शब्द ‘विशेषण’ कहलाते हैं। जैसे - बड़ा, काला, लंबा, दयालु, भारी, सुन्दर, कायर, टेढ़ा-मेढ़ा, एक, दो आदि।[1]
व्याकरण में विशेषण विकारी शब्दों में आता है अथवा यह सार्थक शब्दों के आठ भेदों में एक भेद है।[1]
परिमाणवाचक विशेषण
[संपादित करें]जिससे किसी चीज की परिमाण या मात्रा का बोध होता है उसे परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं।
यथा ―
थोड़ा पानी, बहुत दूध इत्यादि।
यहां पर थोड़ा और बहुत यह दोनों विशेषण है। जो क्रमानुसार पानी और दूध के परिमाण को समझा रहा हैं।
संख्यावाचक विशेषण
[संपादित करें]जिससे संख्या का बोध होता है उसे संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।
यथा ―
'एक किताब, दो मनुष्य, तीन,'भाईचार',,,लड़के इत्यादि। यहां पर एक, दो तीन और चार यह चार विशेषण है। जिससे क्रमानुसार किताब, मनुष्य, भाई और लड़के की संख्या का बोध हो रहा हैं।
सार्वनामिक विशेषण
[संपादित करें]ऐसे सर्वनाम शब्द जो संज्ञा से पहले लगकर उस संज्ञा शब्द की विशेषण की तरह विशेषता बताते हैं, वे शब्द सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं। यह शब्द संज्ञा के लिए विशेषण का काम करते हैं। जैसे ― मेरी पुस्तक, कोई बालक, किसी का महल, वह लड़का, वह बालक, वह पुस्तक, वह आदमी, वह लड़की आदि।