मोकोकचुंग
मोकोकचुंग Mokokchung | |
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पर्वत को ढके हुए मोकाकचुआंग शहर | |
निर्देशांक: 26°19′30″N 94°30′43″E / 26.325°N 94.512°Eनिर्देशांक: 26°19′30″N 94°30′43″E / 26.325°N 94.512°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | नागालैण्ड |
ज़िला | मोकोकचुंग ज़िला |
जनसंख्या | |
• कुल | 35,913 |
भाषा | |
• प्रचलित | नागामी, आओ |
पिनकोड | 798601 |
दूरभाष कोड | 91 (0)369 |
वाहन पंजीकरण | NL-02 |
वेबसाइट | mokokchung |
मोकोकचुंग (Mokokchung) भारत के नागालैण्ड राज्य के मोकोकचुंग ज़िले में स्थित एक शहर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। यह आओ समुदाय का ऐतिहासिक व सांस्कृतिक केन्द्र है।[1]
विवरण
[संपादित करें]यहां के निवासी क्रिसमस और नए साल पर भव्य समारोह का आयोजन करते हैं। इनके अलावा यहां पर आपसी भाई-चारे और सौहार्द के प्रतीक मोआत्सु उत्सव का आयोजन भी किया जाता है। इन उत्सवों में स्थानीय निवासी और पर्यटक बड़े उत्साह से भाग लेते हैं। उत्सवों के अलावा यहां पर खूबसूरत घाटियों, पर्वत श्रृंखलाओं, दर्रो और नदियों के मनोरम दृश्य देखे जा सकते हैं। त्जुरंगकोंग, जपुकोंग और चांगकिकोंग इसकी प्रमुख पर्वत श्रृंखलाएं हैं। इन पर्वत श्रृंखलाओं पर रोमांचक यात्राओं का आनंद लिया जा सकता है। यात्रा के अलावा इन पहाड़ियों से पूर मोकोकचुंग के मनोहारी दृश्य भी देखे जा सकते हैं।
भूगोल
[संपादित करें]मोकाकचुंग की स्थिति 26°20′N 94°32′E / 26.33°N 94.53°E पर है। यहां की औसत ऊंचाई 1325 मीटर है।
प्रमुख आकर्षण
[संपादित करें]लोंगखुम
[संपादित करें]नागा कहावत के अनुसार लोंगखुम की एक बार यात्रा करना काफी नहीं है। ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि जब पहली बार कोई यहां आता है तो उनकी आत्मा यहां रह जाती है। इसलिए अपनी आत्मा वापस लाने के लिए दोबारा लोंगखुम आना चाहिए। ऐसा इसलिए यह कहा जाता है क्योंकि यह बहुत खूबसूरत है और पर्यटकों को यहां आकर बहुत अच्छा लगता है। इसके अलावा यहां पर हथकरघा और हस्तशिल्प की शानदार कलाकृतियां भी देखी जा सकती है। यह कलाकृतियां पर्यटकों को बहुत पसंद आती हैं और वह इन्हें स्मृतिकाओं के रूप में खरीद कर ले जाते हैं। लोंगखुम गांव के कुछ निवासी लीमापुर धर्म में विश्वास रखते हैं और लोंगलंपा त्सुंग्रेम भगवान की पूजा करते हैं।
गुफाएं
[संपादित करें]मोकोकचुंग में पर्यटक फ्युसन केई और मोंगजु की गुफाओं की यात्रा कर सकते हैं। अभी तक इन गुफाओं की पूरी जानकारी हासिल नहीं हो पाई हैं। लेकिन स्थानीय निवासियों के अनुसार यह गुफाएं लगभग 25 कि॰मी॰ लंबी हैं और बहुत खूबसूरत हैं।
तेंगकम मारोक
[संपादित करें]तेंगकम मारोक का अर्थ होता है जीवन का प्याला। यह एक खूबसूरत झरना है। माना जाता है कि इस झरने में दिव्य शक्ति है जो आयु बढ़ाती है। इस झरने का पानी साफ और स्वादिष्ट है और यह एक चट्टान से निकलता है। इस झरने को देखने के बाद लोंगरित्जु लेंडेन घूमने जाया जा सकता है। यह एक खूबसूरत घाटी है। स्थानीय निवासियों के अनुसार इसमें आत्माएं रहती हैं। घाटी के नीचे एक नदी भी हैं। कहा जाता है कि इस नदी में आत्माएं स्नान करती हैं। इसके पास एक हथौडा भी है। लोगों का मानना है कि इसका प्रयोग शिजुंग तोड़ने के लिए किया जाता है। शिजुंग का प्रयोग आत्माएं साबुन के रूप में करती हैं।
उन्गमा
[संपादित करें]मोकोकचुंग से 3 कि॰मी॰ की दूरी पर स्थित उन्गमा गांव ओ आदिवासियों का सबसे बड़ा और पुराना गांव है। इस गांव को ओ आदिवासियों ने बसाया था। यह आदिवासी आज भी यहां रहते हैं। इसलिए उन्गमा गांव को आदिवासियों का जीता-जागता संग्राहलय माना जाता है।
चूचूयिमलांग
[संपादित करें]चूचूयिमलांग अपने मोआत्सु उत्सव के लिए काफी प्रसिद्ध है। यह उत्सव आपसी सौहार्द और भाई-चारे का प्रतीक है। इस उत्सव में कई गांव के निवासी इकट्ठे होते हैं और एक-दूसर को उपहार देते हैं।
आवागमन
[संपादित करें]- वायु मार्ग
असम के जोरहट हवाई अड्डे और नागालैंड के दीमापुर हवाई अड्डे से मोकोकचुंग तक पहुंचा जा सकता है।
- रेल मार्ग
रेलमार्ग से मोकोकचुंग तक पहुंचने के लिए पर्यटकों को पहले असम के मरियानी स्टेशन तक पहुंचना पड़ता है। मरियानी स्टशेन के अलावा दीमापुर रेलवे स्टेशन से भी आसानी से मोकोकचुंग तक पहुंचा जा सकता है।
- सड़क मार्ग
राष्ट्रीय राजमार्ग 2 और राष्ट्रीय राजमार्ग 202 से बसों और निजी वाहनों द्वारा मोकोचुंग पहुंचना काफी आसान है।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "Mountains of India: Tourism, Adventure and Pilgrimage," M.S. Kohli, Indus Publishing, 2002, ISBN 9788173871351