मराठा
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हिंदु मराठा | |||
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वर्ण | क्षत्रिय | ||
धर्म | हिन्दू धर्म | ||
भाषा | मराठी | ||
वासित राज्य | बहुसंख्यक: महाराष्ट्र अल्पसंख्यक: गोआ, गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना, छत्तीसगढ, मध्य प्रदेश , उत्तरप्रदेश, तमिलनाडू, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, आंध्र प्रदेश | ||
आबादी | लगभग 2.5 करोड़ | ||
रंग | भगवा | ||
सृष्टि (मूल) | मराठा साम्राज्य |
मराठा (पुरातन रूप से मरहट्टा या महारट्ट के रूप में लिप्यंतरित) भारत में जातियों का एक समूह मुख्य रूप से महाराष्ट्र राज्य में रहता है। एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के मुताबिक , "मराठा, भारत के इतिहास के बहादुर लोग हैं, इतिहास में प्रचलित हैं और हिंदू धर्म के विजेता हैं।" वे मुख्यतः भारतीय राज्य महाराष्ट्र में रहते हैं। ब्रिटिश राज काल के एक अप्रशिक्षित नृवंशविद वैज्ञानिक रॉबर्ट वाणे रसेल, जो वैदिक साहित्य पर बड़े पैमाने पर अपने शोध का आधार था, ने लिखा कि मराठों को 96 विभिन्न कुलों में विभाजित किया जाता है, जिसे 96 कुलि मराठों या 'शाहन्नो कुले', के रूप में जाना जाता है, जो की क्षत्रिय मराठा है , में शाहन्नौ का मतलब है 96। सूचियों का सामान्य निकाय अक्सर एक-दूसरे के साथ महान विचरण होता है।
इतिहास[संपादित करें]
"मराठा" शब्द मूल रुप से ९६ कुल के लोगों के लिये प्रयोग किया जाता है। १७वीं शताब्दी में, यह डेक्कन सल्तनत की सेनाओं (और बाद में छत्रपती शिवाजी महाराज ) की सेनाओं में सेवा करने वाले सैनिकों के लिए एक पद के रूप में उभरा। छत्रपती शिवाजी महाराज के पिता शहाजी राजे सहित कई मराठा योद्धा, मूल रूप से उन सेनाओं में काम करते थे। मध्य 1660 के दशक तक, छत्रपती शिवाजी महाराज ने एक स्वतंत्र मराठा राज्य स्थापित किया था। ] उनकी मृत्यु के बाद, उनके पुत्र छत्रपती संभाजी महाराज राजा बने और 27 साल के युद्ध में औरंगजेब को पराजित किया। इसे आगे बढ़ाकर पेशवाओं सहित मराठा संघ द्वारा एक विशाल साम्राज्य में विस्तारित किया गया, जो मध्य भारत से दक्षिण में पेशावर (आधुनिक पाकिस्तान में) उत्तर में अफगानिस्तान सीमा पर, और पूर्व में बंगाल के लिए अभियान के साथ। 1 9वीं शताब्दी तक, साम्राज्य मराठा प्रमुखों जैसे कि बड़ौदा के गायकवाड़ , इंदौर के होलकर , ग्वालियर की सिंधियां , धार और देवास के पवार , और नागपुर के भोसले द्वारा नियंत्रित अलग-अलग राज्यों का एक संघाध्यक्ष बन गया था। तीसरा एंग्लो-मराठा युद्ध (1817-1818) में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा अपनी हार तक भारत में कमान संभाली जाने वाली प्रमुख शक्ति बनेगी।
19वीं शताब्दी तक, ब्रिटिश प्रशासनिक रिकॉर्डों में मराठा शब्द की कई व्याख्याएं थीं। 1882 के ठाणे जिला गैजेटियर में, विभिन्न जातियों में कुलीन परतों को निरूपित करने के लिए इस शब्द का इस्तेमाल किया गया था: उदाहरण के लिए, कृषि जाति में "मराठा-कृषि", कोली जाति के भीतर "मराठा-कोली" और इसी तरह [5] पुणे जिले में , कुणबी और मराठा शब्द मराठा-कुनबी जाति परिसर को जन्म दे, का पर्याय बन गया था। 1882 के पुणे जिला गैजेटियर ने कुनबीस को दो वर्गों में विभाजित किया: मराठों और अन्य कुनबिस 1 9 01 की जनगणना में मराठा-कुनबी जाति परिसर के भीतर तीन समूहों को सूचीबद्ध किया गया था: "मराठों को उचित", "मराठा कुणबी" और " कोंकणी मराठा"। कुणबी वर्ग में कृषि मजदूर और सैनिक शामिल थे। ऊपरी-वर्ग "मराठों को उचित" (96 कुलाे वाले) ने क्षत्रिय के दर्जा के साथ क्षत्रिय वंश का दावा किया, और शासकों, अधिकारियों और जमींदारों को शामिल किया। क्षत्रिय वंश का दावा करने वाले कुछ मराठा परिवारों में भोंसले , शिसोदे, चव्हाण ( चौहान ), और पवार ( पंवार तथा परमार से ) , राठोड़ ( राठौड ), जाधव ( यादव ), परिहार ( प्रतिहार ) , सकपाळ ( शंखपाळ ) जैसे तथा कई और कुल भी शामिल हैं।
दक्खनी क्षत्रियों के ९६ कबिलों ने ( जिनमें सामंत सरदार सैनिक या राजा थे ) ने एकत्रित आकर परस्पर रोटी बेटी व्यवहार किये और ९६ कुल बन गये। कुछ मराठो के उपनाम जगह गांव , कार्य, या पद के अनुसार लगाए गये | ( उदा. पाटिल , देशमुख ) परन्तु गोत्र और वंश के अनुसार आज भी मराठो ने अपनी पहचान महाराष्ट्र मे शासक क्षत्रिय के रुप मे बनाई रखी है।
महाराष्ट्र की जनसंख्या मे मराठों की आबादी १५% है । इनका सैन्य इतिहास गौरवशाली रहा है। शिवाजी महाराज की सेना मे मराठों की संख्या सर्वाधिक थी। मराठों की सैन्य सामर्थ्य और रणकुशलता जानकर अंग्रेजों ने मराठों की सैन्य युद्ध टुकड़ी बनाई। छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना से लेकर मराठा साम्राज्य के समय तक और मराठा लाईट इंन्फंट्री से लेकर आज तक मराठा समाज ने देश के लिए सैनिक सेवा दी है और कई युद्धों मे अपनी सैन्य कुशलता का लोहा मनवाया है। सेना के कई मेडल और शौर्य पदक मराठा रेजिमेंट के नाम हैं।
क्षत्रिय 96 कुली मराठा सूची[संपादित करें]
96 कुळी मराठा के गोत्र देवक और वंश
1. गोत्र - अपना मूल पुरुष मतलब गोत्र इनकी संख्या ८ है . विश्वामित्र, जमदग्नी, भारद्वाज, गौतम, अत्रि, वशिष्ट, कश्यप आणि अगस्ती....
2. देवक - जिसमें कुलदेवता वास करते है उसको देवक कहते हैं ... वृक्ष, पर्ण ,फुल, वेल, मोर के पंख मोराचे, शस्त्र, इत्यादी.
3. वंश - क्षत्रिय मे दो वंश है.
इन दोनों कुलों में से जिन्होंने एकत्र आकर अपने समूह का निर्माण किया वह 96 कुली मराठा हैं और इनके 5000 के ऊपर सरनेम है
वंश गोत्र देवक
1. :- अहिरराव वंश :- सूर्य गोत्र :- भारद्वाज देवक :- पंचपल्लव
2. :- आंग्रे वंश :- चंद्र गोत्र :- गार्ग्य देवक :- पंचपल्लव
3. :- आंगणे वंश :- चंद्र गोत्र :- दुर्वास देवक :- कळंब, केतकी, हळद, सोने
4. :- इंगळे वंश :- चंद्र गोत्र :- भारद्वाज, देवक :- देव कमळ, साळुंखी पंख
5. :- कदम वंश :- सूर्य गोत्र :- भारद्वाज, देवक :- कळंब, केतकी, हळद, सोने
6. :- काळे वंश :- सूर्य गोत्र :- भारद्वाज देवक :- कळंब, केतकी, हळद, सोन, साळुंखी पंख
7. :- काकदे वंश :- सूर्य गोत्र :- कौंडिण्य देवक :- कळंब, रुई, मोरवेल, सूर्यफूल
8. :- कोकाटे वंश :- सूर्य गोत्र :- काश्यप देवक :- कळंब, हळद, सोने, रुई, वासनवेलस
9. :- खंडागळे वंश :- सूर्य गोत्र :- वसिष्ठ देवक :- कळंब, सूर्यफूल
10. :- खडतरे वंश :- चंद्र गोत्र :- लोमेश देवक :- पंचपल्लव
11. :- खैरे वंश :- चंद्र गोत्र :- मरकडेय देवक :- पंचपल्लव
12. :- गव्हाणे वंश :- चंद्र गोत्र :- कौशीक देवक :- पंचपल्लव, साळुंखी पंख
13. :- गुजर
वंश :- सूर्य
गोत्र :- शौनक
देवक :- पंचपल्लव
14. :- गायकवाड वंश :- चंद्र गोत्र :- गौतम देवक :- पंचपल्लव, सूर्यफूल
15. :- घाटगे वंश :- सूर्य गोत्र :- काश्यप देवक :- साळुंखी पंख, पंचपल्लव
16. :- चव्हाण वंश :- सूर्य गोत्र :- काश्यप देवक :- कळंब, वासुंदीवेल, हळद, सोने, रुई
17 :- चालुक्य वंश :- चंद्र गोत्र :- भारद्वाज देवक :- मांडव्य, उंबर, शंख
18. :- जगताप वंश :- चंद्र गोत्र :- मांडव्य देवक :- पंचपल्लव, उंबर, वड, पिंपळ
19. :- जगदाळे वंश :- चंद्र गोत्र :- कपिल देवक :- पंचपल्लव, धारेची तलवार
20. :- जगधने वंश :- चंद्र गोत्र :- कपिल देवक :- पंचपल्लव
21. :- जाधव, यादव वंश :- चंद्र गोत्र :- कौंडिण्य देवक :- अत्रि, कळंब, पंचपल्लव, उंबर, पानकणीस, आंबा
22. :- ठाकूर वंश :- सूर्य गोत्र :- कौशिक देवक :- पंचपल्लव
23. :- ढमाले वंश :- सूर्य गोत्र :- शौनल्य देवक :- पंचपल्लव
24. :- ढमढरे वंश :- सूर्य गोत्र :- काश्यप देवक :- कळंब
25. :- ढवळे वंश :- चंद्र गोत्र :- भारद्वाज देवक :- उंबर, शंख, धारेची तलवार
26. :- ढेकळे वंश :- चंद्र गोत्र :- वत्स देवक :- कळंब, पिंपळ, उंबर.
27. :- ढोणे वंश :- सूर्य गोत्र :- भारद्वाज देवक :- कळंब, केतकी, हळद, सोने..
28. :- तायडे / तावडे वंश :- सूर्य गोत्र :- विश्वामित्र देवक :- कळंब, हळद, ताडपल्लव
29. :- तावरे / तोवर वंश :- सूर्य गोत्र :- गार्ग्य देवक :- उंबर
30. :- तेजे वंश :- सूर्य गोत्र :- कौंडिण्य देवक :- कळंब, मोरवेल, रुई
31. :- थोरात वंश :- सूर्य गोत्र :- भारद्वाज देवक :- कळंब, केतकी, हळद, सोने,
32. :- थोटे /थिटे वंश :-सूर्य गोत्र :-वसिष्ठ देवक :-कळंब, सुर्यफूल
33. :- दरबारे वंश :-चंद्र गोत्र :-कौशीक देवक :-पंचपल्लव
34. :- दळवी वंश :-सूर्य गोत्र :-वसिष्ठ देवक :-कळंब, पंचपल्लव
35. :- दाभाडे वंश :-सूर्य गोत्र :-शौनल्य देवक :-कळंब
36. :- धर्मराज वंश :-सूर्य गोत्र :-विश्वामित्र देवक :-पंचपल्लव
37. :- देवकाते वंश :-चंद्र गोत्र :-कौशीक देवक :-पंचपल्लव
38. :- धायबर वंश :-चंद्र गोत्र :-भारद्वाज देवक :-उंबर, शंख
39 . :- धुमाळ वंश :-चंद्र गोत्र :-दुर्वास देवक :-हळद, आपटय़ाचे पान
40. :- नाईक
वंश :-चंद्र
गोत्र :-वसिष्ठ
देवक :-दुर्वास नागवेल
41. :- नालिंबरे वंश :-चंद्र गोत्र :-भारद्वाज देवक :-उंबर, शंख
42. :- निकम वंश :-सूर्य गोत्र :-पराशर देवक :-मान्यव्य, कळंब, उंबर, वेळू
43. :- निसाळ वंश :- सूर्य गोत्र :-वाजपेयी देवक :-पंचपल्लव
44. :- पवार /परमार
वंश :-सूर्य
गोत्र :-वसिष्ठ
देवक :-कळंब, धारेची तलवार
45. :- प्रतिहार
वंश :-सूर्य
गोत्र :-भारद्वाज
देवक :-कळंब, केतकी, हळद, सोने
46. :- पानसरे
वंश :-चंद्र
गोत्र :-कश्यप
देवक :-कळंब
47. :- पांढरे वंश :-चंद्र गोत्र :-लोमेश देवक :-पंचपल्लव
48. :- पठारे वंश :-सूर्य गोत्र :-काश्यप देवक :-कळंब, केतकी, हळद, सोने, वासुंदीवेल
49. :- पालवे वंश :-सूर्य गोत्र :-भारद्वाज देवक :-कळंब
50. :- पलांढ वंश :-सूर्य गोत्र :-शौनल्य देवक :-पलांढ
51. :- पिंगळे वंश :-चंद्र गोत्र :-भारद्वाज देवक :-उंबर, शंख
52. :- पिसाळ वंश :-सूर्य गोत्र :-कौशीक देवक :-पंचपल्लव, वड
53. :- फडतरे वंश :-चंद्र गोत्र :-याज्ञवल्क्य देवक :-पंचपल्लव, साळुंखी पंख
54. :- फाळ्के
वंश :-चंद्र
गोत्र :-कौशीक
देवक :-पंचपल्लव
55. :- फाकडे
वंश :-सूर्य
गोत्र :-विश्वामित्र
देवक :-पंचपल्लव
56. :- फाटक
वंश :-चंद्र
गोत्र :-भारद्वाज
देवक :-कमळ
57. :- बागल
वंश :-सूर्य
गोत्र :-शौनक
देवक :-कळंब, पंचपल्लव
58. :- बागवर /बांगर
वंश :-चंद्र
गोत्र :-भारद्वाज
देवक :-उंर्ब, शंख
59. :- बांडे
वंश :-सूर्य
गोत्र :-भारद्वाज
देवक :-कळंब, केतकी, हळद, सोने
60. :- बाबर
वंश :-सूर्य
गोत्र :-भारद्वाज
देवक :-कळंब, केतकी, हळद, सोने, साळुंखी पंख
61. :- भागवत
वंश :-सूर्य
गोत्र :-काश्यप
देवक :-कळंब
62. :- भोसले
वंश :-सुर्य
गोत्र :-कौशीक
देवक :-पंचपल्लव
63. :- भोवारे
वंश :-चंद्र
गोत्र :-कौशीक
देवक :-पंचपल्लव
64. :- भोगले /भोगते
वंश :-सूर्य
गोत्र :-कौशीक
देवक :-पंचपल्लव
65. :- भोईटे
वंश :-सूर्य
गोत्र :-शौनक
देवक :-पंचपल्लव
66. :- मधुरे
वंश :-सूर्य
गोत्र :-विष्णूवृद्ध
देवक :-पंचपल्लव, सूर्यफूल
67. :- मालपे
वंश :-चंद्र
गोत्र :-भारद्वाज
देवक :-उंबर, शंख
68. :- माने
वंश :-चंद्र
गोत्र :-गार्ग्य
देवक :-शंख, गरुड पंख
69. :- मालुसरे
वंश :-सूर्य
गोत्र :-काश्यप
देवक :-कळंब
70. :- महाडीक
वंश :-सूर्य
गोत्र :-माल्यवंत
देवक :-कळंब, पिंपळ
71. :- म्हांबरे
वंश :-चंद्र
गोत्र :-अगस्ति
देवक :-कळंब, शमी
72. :- मुळीक
वंश :-सूर्य
गोत्र :-गौतम
देवक : -पंचपल्लव, सूर्यफूल
73. :- मोरे / मोर्य
वंश :-चंद्र
गोत्र :-भारद्वाज
देवक :-मयूर पंख, ३६० दिवे
74. :- मोहीते
वंश :-चंद्र
गोत्र :-गार्ग्य
देवक :-कळंब, कळंबगादी, वासणीचा वेल
75. :- राठोड
वंश :-सूर्य
गोत्र :-काश्यप
देवक :-सूर्यकांत
76. :- राष्ट्रकुट
वंश :-सूर्य
गोत्र :-कौशीक
देवक :-पंचपल्लव
77. :- राणे
वंश :-सूर्य
गोत्र :-जमदग्नी
देवक :-वड, सूर्यकांत
78. :- राऊत
वंश :-सूर्य
गोत्र :-जामदग्नी
देवक :-वड, सूर्यकांत, सूर्यफूल
79. :- रेणुस
वंश :-चंद्र
गोत्र :-विश्वामित्र
देवक :-पंचपल्लव
80. :- लाड
वंश :-चंद्र
गोत्र :-वसिष्ठ
देवक :-लाड
81. :- वाघ
वंश :-सूर्य
गोत्र :-वत्स,
देवक :-विश्वावसू कळंब, हळद, निकुंभ
82. :- विचारे
वंश :-सूर्य
गोत्र :-शौनक
देवक :-पंचपल्लव
83. :- शेलार
वंशb :-सूर्य
गोत्र :-भारद्वाज
देवक :-विश्वामित्र, कळंब, पंचपल्लव, कमळ
84. :- शंखपाळ
वंशb :-चंद्र
गोत्र :-गार्ग्य
देवक :-शंखपाळ
85. :- शिंदे / सिंधिया
वंश :-सूर्य
गोत्र :-कौंडिण्य
देवक :-कळंब, रुई, मृत्ति, केचावेल, भोरवेल
86. :- शितोळे
वंश :-सूर्य
गोत्र :-काश्यप
देवक :-वड, सूर्यकांत
87. :- शिर्के
वंश :-चंद्र
गोत्र :-शांडील्य
देवक :-कळंब, आपटय़ाचे पान
88. :- साळवे
वंश :-सूर्य
गोत्र :-कौंडिण्य
देवक :-कळंब, रुई, मोरवेल
89. :- सावंत
वंश :-चंद्र
गोत्र :-दुर्वास
देवक :-कमळ, कळंब, साळुंखी पंख
90. :- साळुंखे
वंश :-सूर्य
गोत्र :-भारद्वाज
देवक :-पंचपल्लव, साळुंखी पंख
91. :- सांबरे
वंश :-सूर्य
गोत्र :-मान्यव्य
देवक :-कळंब, हळद
92. :- सिसोदे
वंश :-सूर्य
गोत्र :-कौशीक
देवक :-पंचपल्लव
93. :- सुर्वे
वंश :-सूर्य
गोत्र :-वसिष्ठ
देवक :-पंचपल्लव
94. :- हंडे
वंश :-सूर्य
गोत्र :-विष्णुवृद्ध
देवक :-पंचपल्लव, सूर्यफूल
95. :- हरफळे
वंश :-चंद्र
गोत्र :-कौशीक
देवक :-पंचपल्लव
96. :- क्षिरसागर
वंश :-सूर्य
गोत्र :-वसिष्ठ
देवक :-कळंब
प्रमुख मराठा संस्थान[संपादित करें]
1. सातारा 2. कोल्हापुर 3. बडोदा 3. ग्वालियर 4. नागपुर 5. तंजावर 6. अक्कलकोट 7. सावंतवाडी 8. देवास सीनियर 9. देवास जुनियर 10. धार 11. तंजोर 12. इंदोर
अन्य छोटी-छोटी राजशाही जागीरे 1. सोणडूर 2. मालेगांव 3. जत 4. रतनपुर 5. खामगांव 6. अलीबाग 7. कल्याण इत्यादि दर्जनों रियासते रही |