सामग्री पर जाएँ

मनोज बाजपेयी

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
मनोज बाजपेयी
जन्म 23 अप्रैल 1969 (1969-04-23) (आयु 55)
नरकटियागंज, पश्चिमी चंपारण, बिहार, भारत
पेशा अभिनेता
जीवनसाथी नेहा (2006–वर्तमान)
बच्चे 1

मनोज बाजपेयी भारतीय हिन्दी फ़िल्म उद्योग, बॉलीवुड, के एक जाने-माने अभिनेता हैं। मनोज प्रयोगकर्मी अभिनेता के रूप में जाने जाते है। उन्होने अपना फ़िल्मी सफ़र सन १९९४ मे शेखर कपूर निर्देशित अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त फ़िल्म बैंडिट क्वीन से शुरु किया था। बॉलीवुड मे उनकी पहचान १९९८ मे राम गोपाल वर्मा निर्देशित फ़िल्म सत्या से बनी। इस फ़िल्म ने मनोज को उस दौर के अभिनेताओं के समकक्ष ला खड़ा किया। इस फ़िल्म के लिये उन्हें सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। सन 2019 के लिए 67 वे फ़िल्म पुरुस्कार हेतु - मनोज बाजपेयी को सर्वश्रेस्ठ अभिनेता का पुरुस्कार दिया गया।

प्रारंभिक जीवन

[संपादित करें]

मनोज बाजपेयी का जन्म २३ अप्रिल १९६९ को बिहार के पश्चिमी चंपारण के छोटे से गांव बेलवा बहुअरी में हुआ था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा के.आर. हाई स्कूल, बेतिया से हुई। इसके बाद मनोज दिल्ली चले गये और रामजस कॉलेज से अपनी आगे की पढाई की। उन्हे राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय मे तीन कोशिशों के बावजूद प्रवेश नही मिल सका। इसके बाद उन्होने बैरी जॉन के साथ रंगमंच किया। मनोज ने बैरी जॉन के मार्गदर्शन में स्ट्रीट चिल्ड्रेन के साथ काफी काम किया है।

मनोज बाजपेयी ने अपना कैरियर दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले धारावाहिक स्वाभिमान के साथ शुरु किया। इसी धारावाहिक से आशुतोष राणा और रोहित रॉय को भी पहचान मिली। बैंडिट क्वीन की कास्टिंग के दौरान तिग्मांशु धूलिया ने मनोज को पहली बार शेखर कपूर से मिलवाया था। इस फ़िल्म मे मनोज ने डाकू मान सिंह का चरित्र निभाया था। १९९४ मे आयी फ़िल्म द्रोह काल और १९९६ मे आयी दस्तक फ़िल्म मे भी मनोज ने छोटे किरदार निभाये। १९९७ मे मनोज ने महेश भट्ट निर्देशित तमन्ना फ़िल्म की। इसी साल राम गोपाल वर्मा निर्देशित और संजय दत्त अभिनीत फ़िल्म दौड़ मे भी मनोज दिखे। १९९८ मे राम गोपाल वर्मा की फ़िल्म सत्या के बाद मनोज ने कभी वापस मुड़ कर नहीं देखा। इस फ़िल्म मे उनके द्वारा निभाये गये भीखू म्हात्रे के किरदार के लिये उन्हे कई पुरस्कार मिले जिसमे सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार और फ़िल्मफेयर का सर्वोत्तम अभिनेता पुरस्कार (समीक्षक) मुख्य हैं। १९९९ मे आयी फ़िल्म शूल मे उनके किरदार समर प्रताप सिंह के लिये उन्हे फ़िल्मफेयर का सर्वोत्तम अभिनेता पुरस्कार मिला। अमृता प्रीतम के मशहूर उपन्यास 'पिंजर' पर आधारित फ़िल्म पिंजर के लिये उन्हे एक बार फिर राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।

२०१० मे आयी प्रकाश झा निर्देशित फ़िल्म राजनीति मे उनके द्वारा निभाये वीरेन्द्र प्रताप उर्फ वीरू भैया ने अभिनय की एक नयी परिभाषा गढ दी। यह किरदार महाभारत के पात्र दुर्योधन से काफी मिलता-जुलता है। २०१२ मे आयी फ़िल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर – भाग 1 मे मनोज सरदार खान के किरदार में दिखे। इस फ़िल्म को और मनोज के किरदार को समीक्षकों की तरफ से खाफी सराहना मिली। मनोज बाजपेयी ने बताया कैसे बने हीरो, बेतिया से दिल्ली-मुंबई का सफर और संघर्ष भी की कहानी जानिए।[1]

प्रमुख फिल्में

[संपादित करें]
वर्ष फ़िल्म चरित्र टिप्पणी
2018 सत्यमेव जयते डी°सी°पी° शिवांश
2018 अय्यारी कर्नल अभय सिंह
2016 ट्रैफ़िक कांस्टेबल रामदास गोडबोले
2016 बुधिया सिंह - चलाने के लिए जन्मे बिराची दास
2016 ट्रैफ़िक कांस्टेबल रामदास गोडबोले
2016 अलीगढ़ रामचंद्र सिरस
2016 तांडव फ़िल्मफेयर लघु फ़िल्म पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता
2015 जय हिन्द नितेश कुमार
2015 जय हिन्द सुगन लाल
2015 तेवर लक्ष्मण
2014 अंजान गजानन भाई
2014 महाभारत युधिष्ठिर (आवाज)
2013 महाभारत युधिष्ठिर (आवाज)
2013 सत्याग्रह बलराम सिंह
2013 शूटआउट एट वडाला शिव राज हँसकर
2013 स्पेशल 26 सीबीआई अधिकारी भारत
2013 समर राजेश अरुणाचलम
2012 गैंग्स ऑफ वासेपुर – भाग 1 विनोद
2012 चक्रव्यूह राजन
2011 लंका जसवंत सिसोदिया
2011 आरक्षण मिथिलेश सिंह
2010 दस तोला शंकर सुनार
2010 राजनीति वीरेन्द्र प्रताप सिंह "वीरू भैया"
2009 जुगाङ संदीप
2009 जेल राजेश
2008 एसिड फैक्टरी विकाश
2008 मनी है तो हनी है लालाभाई भरोङिया
2007 दस कहानियाँ विशाल
2005 बेवफा राम लाल
2004 हनन चंद्र शेखर
2004 वीर-ज़ारा सत्या
2003 पिंजर रमेश
2003 एल ओ सी कारगिल ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव
2002 रोड बाबू
2001 ज़ुबेदा महाराजा विजयेन्द्र सिंह
2001 अक्स प्रकाश चंद्र
2000 घात कृष्णा पाटिल
2000 फ़िज़ा लखन
1999 शूल समर प्रताप सिंह
1998 सत्या भीखू म्हात्रे
1997 तमन्ना भीम
1997 दौड़ सुखलाल
1996 संशोधन भँवर
1996 दस्तक रामचंद्र
1995 स्वाभिमान हजारी लाल दूरदर्शन धारावाहिक फ़िल्म
1994 बैन्डिट क्वीन

2021 द फैमिली मेन (श्रीकांत तिवारी )

नामांकन और पुरस्कार

[संपादित करें]

2019 के लिए 67 वे फ़िल्म पुरुस्कार - मनोज बाजपेयी को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरुस्कार दिया गया है

इन्हें भी देखें

[संपादित करें]

सन्दर्भ

[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ

[संपादित करें]
  1. "मनोज बाजपेयी ने बताया कैसे बने हीरो, बेतिया से दिल्ली-मुंबई का सफर और संघर्ष भी जानिए". प्रभात खबर. अभिगमन तिथि २७ मई २०२४.