योगेन्द्र सिंह यादव
सम्मानित कैप्टन योगेन्द्र सिंह यादव परमवीर चक्र | |
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परमवीर चक्र से सुसज्जित कैप्टन यादव | |
जन्म |
10 मई 1980[1] बुलंदशहर जिला, उत्तर प्रदेश, भारत |
निष्ठा | भारत |
सेवा/शाखा | भारतीय सेना |
उपाधि |
सूबेदार मेजर सम्मानित कैप्टन |
सेवा संख्यांक | 2690572 |
दस्ता | 18वीं ग्रेनेडियर्स |
युद्ध/झड़पें | कारगिल युद्ध (ऑपेरशन विजय) |
सम्मान | परमवीर चक्र |
सम्मानित कैप्टन योगेन्द्र सिंह , पिभिसि भारतीय सेना अधिकारी हैं, जिन्हें कारगिल युद्ध के दौरान 4 जुलाई 1999 की कार्रवाई के लिए उच्चतम भारतीय सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। मात्र 19 वर्ष की आयु में परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले ग्रेनेडियर यादव, सबसे कम उम्र के सैनिक हैं जिन्हें यह सम्मान प्राप्त हुआ।
प्रारम्भिक जीवन
[संपादित करें]कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव का जन्म 10 मई 1980 को उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले औरंगाबाद अहीर गांव में एक फौजी परिवार में हुआ था। उनके पिता राम करण सिंह यादव ने 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्धों में भाग लेकर कुमाऊं रेजिमेंट में सेवा की थी। पिता से 1962युद्ध और 1965 और 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध की कहानियां सुनकर बड़े हुए दोनों भाई भारतीय सेना में भर्ती हुए,इनके बड़े भाई जितेंद्र सिंह यादव भी सेना की आर्टिलरी शाखा में हैं, यादव 16 साल और 5 महीने की उम्र में ही भारतीय सेना में शामिल हो गए थे। इनके छोटे भाई एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में कार्यरत है|
सैन्य जीवन
[संपादित करें]ग्रेनेडियर यादव 18 ग्रेनेडियर्स के साथ कार्यरत कमांडो प्लाटून 'घातक' का हिस्सा थे, जो 4 जुलाई 1999 के शुरुआती घंटों में टाइगर हिल पर तीन सामरिक बंकरों पर कब्ज़ा करने के लिए नामित की गयी थी। बंकर एक ऊर्ध्वाधर, बर्फ से ढके हुए 1000 फुट ऊंची चट्टान के शीर्ष पर स्थित थे। यादव स्वेच्छा से चट्टान पर चढ़ गए और भविष्य में आवश्यकता की सम्भावना के चलते रस्सियों को स्थापित किया। आधे रस्ते में एक दुश्मन बंकर ने मशीन गन और रॉकेट फायर खोल दी जिसमे प्लाटून कमांडर और दो अन्य शहीद हो गए। अपने गले और कंधे में तीन गोलियों के लगने के बावजूद, यादव शेष 60 फीट चढ़ गए और शीर्ष पर पहुंचे। गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद वह पहले बंकर में घुस गए और एक ग्रेनेड से चार पाकिस्तानी सैनिकों की हत्या कर दी और दुश्मन को स्तब्ध कर दिया, जिससे बाकी प्लाटून को चट्टान पर चढ़ने का मौका मिला।
उसके बाद यादव ने अपने दो साथी सैनिकों के साथ दूसरे बंकर पर हमला किया और हाथ से हाथ की लड़ाई में चार पाकिस्तानी सैनिकों की हत्या की। अतः प्लाटून टाइगर हिल पर काबिज होने में सफल रही।
रोचक तथ्य
[संपादित करें]ग्रेनेडियर यादव के लिए परमवीर चक्र की घोषणा मरणोपरांत के लिए की गई थी इसलिए भ्रम की स्थिति हो गई क्योंकि उनकी ही यूनिट में उनके ही नाम के एक और सैनिक योगेंद्र सिंह यादव टाइगर हिल फतेह के दौरान शहीद हुए थे जो उनके ही पड़ोसी जिले मेरठ के थे और योगेंद्र सिंह यादव के बहुत घनिष्ठ मित्र थे लेकिन जल्द ही पता चला कि मेरठ के शहीद योगेंद्र सिंह यादव को सेना मेडल मिला है जबकि परम वीर चक्र पाने वाले बुलन्दशहर के योगेंद्र सिंह यादव जीवित हैं और आर्मी रेफरल हॉस्पिटल दिल्ली में सुधार की हालात में हैं तब तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल वेद प्रकाश मलिक वहाँ पहुंचे और योगेंद्र सिंह को देश के सबसे बड़े सैन्य पुरस्कार के लिए जानकारी दी और बधाई दी।
सम्मान
[संपादित करें]जान की बाजी लगाकर दुश्मन की 17गोलियां झेलकर भी अदम्य साहस के परिचय देते हुए कारगिल युद्ध में सामरिक टाइगर हिल चोटी फतह करने में अनुकरणीय भूमिका के कारण भारत के राष्ट्रपति द्वारा परमवीर चक्र का सम्मान दिया गया। कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव परमवीर चक्र पाने वाले देश के सबसे युवा सैनिक हैं। कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव को टाइगर हिल का टाइगर कहा जाता है। वह कौन बनेगा करोड़पति शो में अमिताभ बच्चन के विशेष आमंत्रण पर अपने साथी परमवीर चक्र विजेता सूबेदार संजय कुमार के साथ शामिल हुए और जीती गई पूरी धनराशि आर्मी वेलफेयर फण्ड में दान कर दिया। देश सेवा के लिए वर्ष 2014 में इनको उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश के सर्वोच्च पुरस्कार यश भारती से सम्मानित किया गया।[2]
प्रचलित चित्रपट
[संपादित करें]बॉलीवुड की फ़ीचर फ़िल्म एल ओ सी कारगिल (2003 फ़िल्म) में योगेंद्र सिंह यादव का किरदार अभिनेता मनोज बाजपेयी ने निभाया।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "Grenadier Yogendra Singh Yadav, PVC". twdi.in. मूल से 27 मार्च 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 अप्रैल 2018.
- ↑ "यश भारती सम्मान से 56 हस्तियां अलंकृत 12063610". jagran.com.