मध्यबिन्दु प्रमेय (त्रिभुज)

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मध्यबिन्दु प्रमेय

मध्यबिन्दु प्रमेय के अनुसार किसी त्रिभुज की किन्ही दो भुजाओं के मध्यबिन्द्वों को मिलाने वाला रेखा खण्ड तृतीय भुजा के समान्तर एवं अर्ध होता है। मध्यबिन्दु प्रमेय मौलिक समानुपात प्रमेय को सामान्यीकृत होता है, जहाँ मध्यबिन्द्वों का प्रयोग करने के बजाय दोनों भुजाओं को समानुपात में विभाजित किया जाता है।

प्रमेय का विलोम भी सत्य है। अर्थात् किसी त्रिभुज की एक भुजा के मध्यबिन्दु से द्वितीय भुजा के समान्तर खींची गई रेखा तृतीय भुजा को समद्विभाजित करती है।

किसी त्रिभुज की भुजाओं के तीन मध्यबिन्द्वों से होकर जाने वाली तीन समान्तर रेखाओं से बनने वाला त्रिभुज उसका मध्य त्रिभुज कहलाता है।

उपपत्ति[संपादित करें]

प्रदत्त: एक में बिन्दु M और N क्रमशः भुजाओं AB और AC के मध्यबिन्दु हैं।

निर्मेय: MN को D तक बढ़ाया जहाँ MN=DN, C को D से मिलाया।

सिद्ध्यर्थ:

उपपत्ति:

  • (प्रदत्त)
  • (शीर्षाभिमुख कोण)
  • (निर्मेय)

अतः भुजा-कोण-भुजा सर्वांगसमता से

अतः सर्वांगसम त्रिभुजों की संगत भुजाएँ और कोण समान होंगे

तिर्यग्रेखा AC रेखाओं AB और CD को प्रतिच्छेद करती है और एकान्तर कोण ∠MAN तथा ∠DCN समान हैं। अतः

अतः BCDM एक समान्तर चतुर्भुज है। BC और DM भी समान तथा समान्तर है।

सन्दर्भ[संपादित करें]