मौलिक समानुपात प्रमेय

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मौलिक समानुपात प्रमेय प्राथमिक भूमिति में एक महत्त्वपूर्ण प्रमेय है जो विभिन्न रेखा खण्डों के अनुपात के बारे में है जो कि एक सामान्य प्रारम्भिक बिन्दु वाली दो किरणों को समान्तर की एक जोड़ी द्वारा बाधित किया जाता है। यह समरूप त्रिभुजों में अनुपातों के बारे में प्रमेय के तुल्य है। पारम्परिक रूप से इसका श्रेय यूनानी गणितज्ञ थेल्स को जाता है। इसका प्रथम ज्ञात उपपत्ति यूक्लिड के तत्वों में प्रकट किया गया है।

अवधारणा[संपादित करें]

यदि दो त्रिभुजों के संगत कोण समान हों, तो वे समानकोणिक त्रिभुज कहलाते हैं। थेल्स ने दो समानकोणिक त्रिभुजों से सम्बन्धित एक महत्त्वपूर्ण तथ्य प्रतिपादित किया, जो निम्नोक्त हैं:

दो समानकोणिक त्रिभुजों में उनकी संगत भुजाओं का अनुपात सदैव समान रहता है।

ऐसी मान्यता है कि थेल्स ने उपरोक्त प्रमेय को मौलिक समानुपात प्रमेय का प्रयोग करके प्रमाणित किया था।

प्रमेय[संपादित करें]

यदि किसी त्रिभुज की एक भुजा के समान्तर अन्य दो भुजाओं को भिन्न-भिन्न बिन्द्वों पर प्रतिच्छेद करने हेतु एक रेखा खींची जाए, तो ये अन्य दो भुजाएँ एक ही अनुपात में विभाजित हो जाती हैं।

उपपत्ति[संपादित करें]

प्रदत्त: एक जिसमें , तथा को क्रमश: D और E पर काटती है।

निर्माण:

सिद्ध्यर्थ:

उपपत्ति: त्रिभुज का क्षेत्रफल = ½×आधार×औच्च्य

तो,

और,

अतः,

तथा,

किन्तु, , क्योंकि वे एक ही आधार DE तथा समान्तर रेखाओं BC और DE के मध्य बने दो त्रिभुज हैं।.

सन्दर्भ[संपादित करें]