मखाना
मखाना | |
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वैज्ञानिक वर्गीकरण | |
जगत: | पादप |
विभाग: | मैग्नोलियोफाइटा |
वर्ग: | मैग्नोलियोप्सीडा |
गण: | Nymphaeales |
कुल: | Nymphaeaceae |
वंश: | Euryale सैलिस्बरी., १८०५ |
जाति: | E. ferox |
द्विपद नाम | |
यूरेल फ़ेरॉक्स सैलिस्बरी., १८०५ |
इसे भारत के कई छेत्रों में लावा भी कहते हैं।तालाब, झील, दलदली क्षेत्र के शांत पानी में उगने वाला मखाना पोषक तत्वों से भरपूर एक जलीय उत्पाद है। मखाने के बीज को भूनकर इसका उपयोग मिठाई, नमकीन, खीर आदि बनाने में होता है। मखाने में 9.7% आसानी से पचनेवाला प्रोटीन, 76% कार्बोहाईड्रेट, 12.8% नमी, 0.1% वसा, 0.5% खनिज लवण, 0.9% फॉस्फोरस एवं प्रति १०० ग्राम 1.4 मिलीग्राम लौह पदार्थ मौजूद होता है। इसमें औषधीय गुण भी होता है।[1]
उत्पादन[संपादित करें]
बिहार में मिथिला के दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सहरसा, सुपौल, सीतामढ़ी, पूर्णिया, कटिहार आदि जिलों में मखाना का सार्वाधिक उत्पादन होता है। मखाना के कुल उत्पादन का ८८% बिहार में होता है।[2]
अनुसंधान[संपादित करें]
28 फ़रवरी 2002 को दरभंगा के निकट बासुदेवपुर में राष्ट्रीय मखाना शोध केंद्र की स्थापना की गयी। दरभंगा में स्थित यह अनुसंधान केंद्र भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत कार्य करता है। दलदली क्षेत्र में उगनेवाला यह पोषक भोज्य उत्पाद के विकाश एवं अनुसंधान की प्रबल संभावनाएँ है।
सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ [1] Archived 8 अप्रैल 2006 at the वेबैक मशीन. दरभंगा जिले में मखाना उद्योग पर जानकारी
- ↑ [2] Archived 6 अक्टूबर 2009 at the वेबैक मशीन. उद्योग विभाग, बिहार सरकार द्वारा उत्पादन पर जारी तथ्य
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
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विकिस्पीशीज़ पर सूचना मिलेगी, Euryale (Nymphaeaceae) के विषय में |
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मखाना से संबंधित मीडिया विकिमीडिया कॉमंस पर उपलब्ध है। |