बेस्ट बेकरी केस
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बेस्ट बेकरी केस (जिसे तुलसी बेकरी केस भी कहा जाता है) 1 मार्च 2002 को वडोदरा, गुजरात, भारत के हनुमान टेकरी क्षेत्र में एक छोटे से आउटलेट बेस्ट बेकरी को जलाने से संबंधित एक कानूनी मामला था। इस घटना में एक हिंदुत्ववादी भीड़ ने शेख परिवार को निशाना बनाया था, जो बेकरी चलाता था और अंदर शरण ले रखी थी, जिसके परिणामस्वरूप चौदह लोगों की मौत हो गई [1] (परिवार के सदस्यों सहित 11 मुस्लिम और 3 हिंदू कर्मचारी [2] बेकरी के [3] ). यह मामला 2002 के गुजरात दंगों में नरसंहार का प्रतीक बन गया है। पुलिस की लचर कार्यप्रणाली के कारण सभी 21 अभियुक्तों को अदालत ने बरी कर दिया था। [4]
पार्श्वभूमि
[संपादित करें]2003 में केस और बरी
[संपादित करें]प्रतिक्रिया
[संपादित करें]पुन: परीक्षण और शत्रुतापूर्ण गवाह
[संपादित करें]झूठा साक्ष्य
[संपादित करें]झूठे बयान देने का आरोप
[संपादित करें]आजीवन कारावास
[संपादित करें]2012 बंबई उच्च न्यायालय
[संपादित करें]यह देखें
[संपादित करें]- गुलबर्ग सोसाइटी नरसंहार
- नरोदा पाटिया नरसंहार
संदर्भ
[संपादित करें]बाहरी संबंध
[संपादित करें]- संबंधित नागरिक न्यायाधिकरण द्वारा गोधरा दंगों पर विस्तृत रिपोर्ट
- बेस्ट बेकरी केस - केस 315 ऑफ 2004 पर सेशन कोर्ट मझगांव का 693 पेज का फैसला Archived 2022-12-14 at the वेबैक मशीन
- फ्री सुप्रीम कोर्ट के फैसले
- न्यायमूर्ति श्री जी.टी. नानावती और श्री न्यायमूर्ति अक्षय एच. मेहता से युक्त जाँच आयोग की रिपोर्ट Archived 2013-03-16 at the वेबैक मशीन