बिलासपुर (हिमाचल प्रदेश)
बिलासपुर | |||||
— नगर — | |||||
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |||||
देश | भारत | ||||
राज्य | हिमाचल प्रदेश | ||||
जिलाधीक्षक | श्री देवेश कुमार | ||||
पुलिस अधीक्षक | |||||
जनसंख्या | १३०५८ (२००१ के अनुसार [update]) | ||||
क्षेत्रफल • ऊँचाई (AMSL) |
• ४७८ मीटर | ||||
विभिन्न कोड
| |||||
आधिकारिक जालस्थल: hpbilaspur.gov.in |
निर्देशांक: 31°20′N 76°45′E / 31.33°N 76.75°E बिलासपुर भारतीय राज्य हिमाचल प्रदेश का एक नगर है। यह हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के पश्चिमोत्तर में एक कृत्रिम झील गोविंदसागर के समीप स्थित है[1]। बिलासपुर, 'कहलूर' भी कहलाता है।सतलुज नदी के दक्षिण पूर्वी हिस्से में स्थित बिलासपुर समुद्र तल से 670 मीटर की ऊँचाई पर है। यह नगर धार्मिक पर्यटन में रूचि रखने वाले लोगों को काफी रास आता है। न्यू बिलासपुर टाउनशिप को देश का सबसे प्रथम नियोजित हिल टाउन के रूप में प्रतिष्ठित किया जाता है। यहां के नैना देवी का मंदिर निकट और दूर दराज के लोगों के बीच आकर्षण का केन्द्र रहता है। यहां बना भाखडा बांध भी अपनी ग्रेविटी के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। बिलासपुर को प्राचीन किलों के लिए भी जाना जाता है। यहां आने वाले सैलानियों का अनुभव अन्य स्थानों से एकदम अलग होता है। कुछ अलग तरह के पर्यटन के शौकीन लोगों को यह स्थान काफी पसंद आता है। इसके उत्तर में मंडी और हमीरपुर जिले हैं, पश्चिम में ऊना और दक्षिण में सोलन जिले का नालागढ़ का क्षेत्र है।
मुख्य आर्कषण
[संपादित करें]नैना देवी मंदिर
[संपादित करें]श्री नैना देवी जी का यह मंदिर एक पहाड़ी की चोटी पर बना है। रोपड़ के पवित्र नगर आनंदपुर साहिब से इस मंदिर की ऊँचाई 915 मीटर है। पहाड़ी पर बने इस मंदिर तक पहुंचने के लिए पत्थर की सीढि़यों का इस्तेमाल किया जाता है। मंदिर तक पहुंचने के लिए केबल कार की भी व्यवस्था है। मंदिर के निकट एक छोटा सा बाजार भी लगता है।
बहादुरपुर किला
[संपादित करें]बहादुरपुर नामक एक पहाड़ी की चोटी पर बना यह किला 1980 मीटर की ऊँचाई पर है। इसे जिले को सबसे ऊंचा प्वाइंट माना जाता है। परगना बहादुरपुर के तेपरा गांव के निकट बना यह किला बिलासपुर से 40 किलोमीटर दूर है। देवदार और बान के सुंदर जंगलों ने इस स्थान को चारों तरफ से घेर रखा है। इस किले से फतेहपुर, नैना देवी की पहाडी़, रोपड़ के मैदान और शिमला की पर्वत श्रृंखलाएं देखी जा सकती हैं। यह किला 1835 में बनवाया गया था जो अब काफी क्षतिग्रस्त हो चुका है।
सरियन किला
[संपादित करें]यह किला बिलासपुर से 58 किलोमीटर की दूरी पर है। कहा जाता है कि इस किले को मूल रूप से सुकेत राज्य के राजा ने बनवाया था। स्थानीय लोगों में यह अंधविश्वास प्रचलित है कि किले में इस्तेमाल किए गए पत्थरों को स्थानीय इमारतों में प्रयुक्त नहीं किया जाना चाहिए।
व्यास गुफा
[संपादित करें]यह गुफा न्यू टाउनशिप के तल पर स्थित है। कहा जाता है कि इस गुफा में ऋषि व्यास ने तपस्या की थी। व्यासपुर गांव के नाम की उत्पत्ति भी इसी गुफा के कारण मानी जाती है। महाभारत से संबंध रखने वाले व्यास ऋषि एक महान दार्शनिक थे, जो सतलुज नदी के बांए तट पर बनी इस गुफा में ध्यान लगाया करते थे। इस गुफा को एक पवित्र तीर्थस्थल माना जाता है।
स्वारघट
[संपादित करें]बिलासपुर से 40 किलोमीटर दूर बिलासपुर-चंडीगढ़ रोड पर स्वारघाट स्थित है। समुद्रतल से 1220 मीटर ऊंचे स्वारघट से आसानी से नैना देवी मंदिर और भांखड़ा बांध पहुंचा जा सकता है। स्वारघट में लक्ष्मी नारायण को समर्पित एक मंदिर बना हुआ है। कुछ दिन शांति से गुजारने के लिए यह एक आदर्श स्थान है। हाल ही में हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम ने यहां एक आठ कमरों को होटल बनवाया है। श्री लक्ष्मी नारायण मन्दिर परिसर की शोभा देखने लायक है जब कभी भी आपको यहाँ आने का अवसर मिले तो जानियेगा की इस मन्दिर की शोभा कितनी निराली है।
भांखड़ा बांध
[संपादित करें]बिलासपुर के भांखड़ा गांव में स्थित यह बांध नांगल टाउनशिप से 13 किलोमीटरदूर है। यह बांध विश्व का सबसे ऊंचा ग्रेविटी बांध है। बांध पर बनी झील लगभग 90 किलोमीटर लंबी है। यह बांध लगभग 168 वर्ग किलोमीटरके क्षेत्र में फैला हुआ है। यह बांध बिलासपुर का 90 प्रतिशत और ऊना जिले का 10 प्रतिशत हिस्सा घेरता है। इस बांध को 20 नवम्बर 1963 को पंडित जवाहर लाल नेहरू ने राष्ट्र को समर्पित किया था। बांध से आसपास के क्षेत्र का नजारा देखा जा सकता है।
मार्कंडेय मंदिर
[संपादित करें]यह लोकप्रिय मंदिर बिलासपुर से 20 किलोमीटर दूर तहसील सदर में स्थित है। पहले इस मंदिर में ऋषि मार्कंडेय रहते थे और अपने आराध्य की आराधना करते थे। इसी कारण इस मंदिर को मार्कंडेय कहा जाता है। यहां एक प्राचीन पानी का झरना भी है, जहां बैसाखी की रात्रि में एक वार्षिक पर्व आयोजित किया जाता है।
कंदरूर ब्रिज
[संपादित करें]सतलुज नदी पर बना यह शानदार ब्रिज राष्ट्रीय राजमार्ग 88 पर बना हुआ है। इस ब्रिज का निर्माण कार्य अप्रैल 1959 में शुरू हुआ जो 1965 में जाकर पूरा हुआ। यह ब्रिज 280 मीटर लंबा और 7 मीटर चौड़ा है। नदी के तल से 80 मीटर ऊंचे इस पुल का विश्व के सबसे ऊंचे पुलों में माना जाता है। ऊँचाई के मामले में यह ब्रिज एशिया में प्रथम स्थान रखता है। इस पुल का शिलान्यास परिवहन मंत्री श्री राज बहादुर ने 1965 में किया था।
घुमारवीं
आवागमन
[संपादित करें]- वायु मार्ग
बिलासपुर का निकटतम एयरपोर्ट चंडीगढ़ और भुंटार में है। चंडीगढ़ बिलासपुर से 135 और भुंटार 131 किलोमीटर की दूरी पर है।
- रेल मार्ग
कीरतपुर बिलासपुर का नजदीकी रेलवे स्टेश्ान है, जो बिलासपुर से 60 किलोमीटरकी दूर है।
- सड़क मार्ग
राष्ट्रीय राजमार्ग 21 बिलासपुर को सड़क मार्ग से जोड़ता है। चंडीगढ़ से बिलासपुर के लिए नियमित डीलक्स और साधारण्ा बसें चलती हैं। शिमला से दरलाघाट होते हुए भी बिलासपुर पहुंचा जा सकता है।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ bharatdiscovery.org/india/बिलासपुर_हिमाचल_प्रदेश
सोहनी देवी
[संपादित करें]माता सोहनी देवी का मन्दिर छन्जयार की पहाड़ियों के साथ वाली पहाड़ी पर बना हुआ है। यह मन्दिर घुमारवीं तहसील में पडता है। यहां से बर्फ़ की पहाड़ियाँ भी दिखाई देती हैं ।यहां से पूरी घुमारवीं दिखाई पड़ती है।यहां चारों तरफ चील के पेड़ पाए जाते हैं।
एम्स:- बिलासपुर मे भारत की टाप मेडिकल संस्थान एम्स भी स्थापित हे जो जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर हे जिसमे कई मेडिकल स्टूडेंट अध्ययन कर मेडिकल क्षेत्र मे अपनी सेवाए देते हे।