बन्द जलसम्भर

बंद जलसंभर या समावृत जलसंभर भूगोल में ऐसे जलसंभर क्षेत्र को कहा जाता है जिसमें वर्षा अथवा पिघलती बर्फ़ का पानी एकत्रित हो कर किसी नदी के ज़रिये समुद्र या महासागर में बहने की बजाय किसी सरोवर, दलदली क्षेत्र या शुष्क क्षेत्र में जाकर वहीँ रुक जाता है।[1] आम तौर पर जो भी पानी धरती पर बारिश या हिमपात के कारण पड़ता है वो नदियों, नेहरों और झरनों के द्वारा ऊंचे इलाकों से निचले इलाकों की ओर बहता है। यह चलते पानी के समूह एक-दुसरे से संगम करते रहते हैं जब तक के एक ही बड़ी नदी न बन जाए। फिर यह नदी आगे चलकर किसी सागर में मिल जाती है। लेकिन जो क्षेत्र सागरों से ढलान, पहाड़ों या रेगिस्तानों की वजह से पृथक हैं वहाँ पर पानी सब से निचले स्थान पर पहुँच कर रुक जाता है। ऐसे स्थानों पर या तो झीलें बन जाती हैं या धरती पानी को सोख लेती है। दुनिया की सब से बड़ी झीलों में ऐसे ही बंद जलसंभारों की वजह से बनी हुई कुछ झीलें हैं, जैसे की अरल सागर और कैस्पियन सागर।[2]
अन्य भाषाओं में
[संपादित करें]अंग्रेज़ी में बंद जलसंभर को "एनडोरहेइक बेसिन" (endorheic basin) कहा जाता है।
बंद जलसंभर और मरुस्थल
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भौगोलिक दृष्टि से ऐसा देखा जाता है के बंद जलसंभर वाले क्षेत्र प्रायः रेगिस्तानी क्षेत्र भी होते हैं। ऐसा इसलिए है के अगर पानी एक ही स्थान पर इक्कठा होने से उसकी मात्रा बढ़ती ही जाए तो अंततः पानी अपने और समुद्र के बीच की रूकावट को पराजित कर ही देता है। वैज्ञानिकों का अनुमान है के कृष्ण सागर किसी समय पर ऐसी ही एक बंद जलसंभर की झील थी जो पानी बढ़ने से अपनी सीमाओं को तोड़कर भूमध्य सागर से जा मिली।
खुले जलसंभारों में जो नमक और अन्य पदार्थ मिलते रहते हैं वे आगे चलकर सागर में बह जाते हैं। बंद जलसंभारों में ऐसा नहीं होता। पानी में मिले नमक और अन्य पदार्थ इन झीलों या शुष्क क्षेत्रों में जाकर जमा होतें रहते हैं। इसलिए बंद जलसंभर झीलें समय के साथ बहुत खारी हो जाती हैं। भारत के राजस्थान राज्य में अजमेर के पास स्थित सांभर झील ठीक ऐसे ही बंद जलसंभर की एक खारी झील है। ऐसी झीलों पर प्रदुषण का भी बहुत बुरा असर पड़ता है क्योंकि प्रदूषक समुद्र में बह कर तितर-बितर होने की बजाय एकत्रित होकर बढ़ते ही रहते हैं।[2]
अपनी भिन्न भौगोलिक और मौसमी परिस्थितियों के कारण अलग महाद्वीपों में बंद जलसंभारों की संख्या भी भिन्न है। ऑस्ट्रेलिया का लगभग २१% क्षेत्रफल बंद जलसंभरों का क्षेत्र है जबकि उत्तर अमेरिका में बंद जलसंभर केवल ५% क्षेत्र पर फैले हैं। पूरे विश्व का लगभग १८% ज़मीनी क्षेत्रफल बंद जलसंभरों से ग्रस्त है। दुनिया के सब से अधिक क्षेत्रफल वाले बंद जलसंभर एशिया के भीतरी इलाकों में पाए जाते हैं।[3]
कुछ सूखे क्षेत्रों में बंद जलसंभर का पानी नमक और अन्य लवण तो ले आता है, लेकिन गरमी और शुष्कता के कारण तेज़ी से वाष्पित (इवैपोरेट) होता रहता है। कहीं-कहीं पर पानी केवल एक ही मौसम में बह कर आता है या कुछ योगों तक बहने के बाद भौगोलिक परिस्तिथियों के बदल जाने से आना बंद हो जाता है। ऐसे शुष्क झील वाले इलाक़ों में नमक की मोटी और सख्त परत जमकर एक विस्तृत समतल मैदान बना देती है जो मीलों-कोसों तक फैला होता है। क्योंकि ऐसे नमक के मैदान बिलकुल समतल और बहुत बड़े होते हैं, इनका प्रयोग तेज़ गाड़ियों द्वारा गति कीर्तिमान स्थापित करने के लिए किया जाता है।
कभी-कभी बंद जलसंभारों की झीलों का आकार मौसम के साथ बदलते पानी के बहाव के साथ-साथ बदलता रहता है। यह झीलें सूखे मौसम में सिकुड़ जाती हैं और बारिशों या हिमपात की वजह से बढ़ जाती हैं। कभी-कभी जब पानी कम होता है तो एक झील कई छोटी झीलों में बट जाती है और फिर बारिशों के बाद पानी बढ़ने पर मिलकर फिर एक बड़ी झील बन जाती है। अगर किसी क्षेत्र में आर्थिक विकास के साथ पानी रोकने वाले बाँध या सिंचाई के लिए नहरें बना दी जाएँ जो बंद जलसंभर झीलों में पानी का बहाव कम कर दें, तो अक्सर यह झीलें सिकुड़ कर बहुत छोटी हो जाती हैं। ऐसी स्थिति में उन आबादियों पर बहुत ख़राब असर पड़ता है जो अपने व्यवसाय या जीवन के लिए इन झीलों पर निर्भर हों। ऐसा ही कुछ मध्य एशिया के अरल सागर के साथ हुआ है।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "Drainage systems". Encyclopedia Britannica. Archived from the original on 23 जून 2013. Retrieved 2008-02-11.
- ↑ अ आ "Endorheic Lakes: Waterbodies That Don't Flow to the Sea". संयुक्त राष्ट्र Environment Programme. Archived from the original on 27 सितंबर 2007. Retrieved 2008-02-11.
- ↑ Saline Lake Ecosystems of the World. स्प्रिंगर. Archived from the original on 18 अप्रैल 2016. Retrieved 2007-07-31.